अंबानी परिवार के विवाह समारोह से पहले ममेरे रस्म का महत्व: एक पारंपरिक गुजराती प्री-वेडिंग अनुष्ठान

अंबानी परिवार के विवाह समारोह से पहले ममेरे रस्म का महत्व: एक पारंपरिक गुजराती प्री-वेडिंग अनुष्ठान

4 जुलाई 2024 · 0 टिप्पणि

भारत में विवाह समारोह केवल दो व्यक्तियों के मिलन तक सीमित नहीं होते, बल्कि यह दो परिवारों और संस्कृतियों के मिलन का भी प्रतीक होते हैं। ऐसे ही एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान का नाम है ममेरे रस्म, जो गुजराती समाज में विशेष रूप से माने जाने वाला एक प्री-वेडिंग अनुष्ठान है। हाल ही में, अंबानी परिवार ने इस रस्म को अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के आगामी विवाह के पूर्व मनाया, जो इस प्राचीन परंपरा की सुंदरता और उसके महत्व को रेखांकित करता है।

ममेरे रस्म का सबसे अनूठा और प्यारा पहलू यह है कि इसमें दुल्हन की मां के भाई यानी मामा का विशेष महत्व होता है। मामा दुल्हन को उपहार स्वरूप साड़ियां, गहने, हाथी दांत या सफेद चूड़ियां, मिठाइयां और सूखे मेवे भेंट करते हैं। यह केवल उपहार देने का मामला नहीं होता, बल्कि इसमें शामिल होते हैं मामा के दिल से आने वाले प्रेम, स्नेह, संवेदनाएँ और दुल्हन के सुखद दांपत्य जीवन के लिए शुभकामनाएँ। यह रस्म पीढ़ियों के बीच संबंधों को भी मजबूत करती है, पुराने सूत में नई गांठ जोड़ती है और प्रेम और विश्वसनीयता की निरंतरता को दर्शाती है।

ममेरे रस्म का महत्व केवल भव्यता या उपहारों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस ममता और भावनात्मक जोड़ की भी प्रतीक है जो दुल्हन के मामा के मन में होता है। इस रस्म के दौरान मामा अपनी भांजी को दुल्हन के रूप में देखता है, और अपने उपहारों के माध्यम से उसे यह संदेश देना चाहता है कि विवाह के बाद भी वह उसके लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहेगा।

हाल ही में, अंबानी परिवार द्वारा मुंबई स्थित एन्टीलिया में ममेरे रस्म का आयोजन किया गया। अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के विवाह समारोह की शुरुआत इसी रस्म से हुई। इस अवसर पर राधिका ने एक सुंदर नारंगी और गुलाबी लहंगा पहना। अंबानी परिवार ने इस रस्म के दौरान एक बड़े पैमाने पर सामूहिक विवाह समारोह का भी आयोजन किया, जिसमें समाज के निम्न आय वर्ग के कई जोड़ों का विवाह संपन्न कराया गया। यह कार्य एक बड़े दिल और समाज की सेवा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

इस प्रकार की रस्में न केवल विवाह समारोह को विशेष बनाती हैं बल्कि संस्कृति और परंपराओं को भी जीवित रखती हैं। ममेरे रस्म का महत्व विभिन्न कोशिकाओं में बंटा हुआ है: यह परंपरा की निरंतरता का प्रतीक है, पारिवारिक संबंधों को मजबूत करती है, और सामाजिक सेवा का माध्यम भी बनती है। अंबानी परिवार ने इसी भावना के साथ इस रस्म को बड़े पैमाने पर उत्साह और समर्थन के साथ मनाया।

जब भी हम ममेरे रस्म की बात करते हैं, तो यह हमारे लिए गर्व की बात होती है कि हमारी संस्कृति इतनी समृद्ध है और हमारे अनुष्ठान इतने भावनात्मक और गहरे अर्थों से परिपूर्ण हैं। यह रस्म हमें सिखाती है कि भाषाओं के बीच प्यार और समर्थन का कोई सटीक माप नहीं होता और यह असीम और अटल सूत्रों में बंधा होता है जो पीढ़ियों को जोड़ता है।

यह तथ्य है कि अंबानी परिवार ने इस रस्म को इतने व्यापक और सामाजिक ढंग से मनाया, यह दर्शाता है कि वे न केवल अपनी परंपराओं का सम्मान करते हैं बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए आदर्श उदाहरण भी स्थापित करते हैं। इस आयोजन ने न केवल उनके परिवार को खुशियाँ दीं बल्कि समाज के उन वर्गों में भी एक नयी उम्मीद की किरण जगाई जो शायद ऐसे समारोहों का हिस्सा बनने का सपना ही देख पाते हैं।

कुल मिलाकर, ममेरे रस्म का आयोजन न केवल एक पारिवारिक अनुष्ठान था बल्कि यह समाज के लिए एक संदेश भी था कि परंपराओं का सम्मान और उनकी निरंतरता से समाज में नई ऊर्जा का संचार होता है। अंबानी परिवार ने इस आयोजन के माध्यम से यह सिखाया कि शादी केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि यह परिवारों और संस्कृतियों के भी एक साथ आने का उत्सव है।

रोहित चतुर्वेदी

रोहित चतुर्वेदी

मैं नवदैनिक समाचार पत्र में पत्रकार हूं और मुख्यतः भारत के दैनिक समाचारों पर लेख लिखता हूं। मेरा लेखन सुचिता और प्रामाणिकता के लिए जाना जाता है।

समान पोस्ट

एक टिप्पणी लिखें