अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का इतिहास और शुरुआत
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का विचार पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्तुत किया था। उन्होंने दुनिया भर के लोगों को योग के लाभों से अवगत कराने का प्रस्ताव रखा। मोदी जी का कहना था कि योग केवल एक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह मन, शरीर और आत्मा को एकीकृत करने का साधन है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस विचार को सहर्ष अपनाया और 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दी। 21 जून को ही इस दिन को मनाने का मुख्य कारण यह था कि यह उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन होता है और इस दिन को 'समर सॉल्सटिस' के नाम से भी जाना जाता है।
योग का महत्व और लाभ
योग प्राचीन भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण धरोहर है, जिसे अब सारी दुनिया ने अपनाया है। योग के अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है। यह तनाव को कम करने, मानसिक स्पष्टता बढ़ाने और एकाग्रता को सुधारने में सहायक है। योग के अभ्यास से ना सिर्फ व्यक्ति की शारीरिक ताकत और लचीलापन बढ़ता है, बल्कि यह आंतरिक शांति और आत्म-संयम को बढ़ावा देता है। यह उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदयरोग जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में भी कारगर है। आज की तेज-भागती जिंदगी में हर व्यक्ति को योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए ताकि वे अपने स्वास्थ्य को बनाए रख सकें और तनाव को कम कर सकें।
महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए योग: 2024 का थीम
2024 के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम 'महिलाएं सशक्तिकरण के लिए योग' है। यह थीम यह दर्शाती है कि योग महिलाओं के लिए एक सशक्तिकरण का साधन बन सकता है। योग के अभ्यास से महिलाओं को मानसिक और शारीरिक दृढ़ता मिलती है, जिससे वे जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं। योग के माध्यम से महिलाएं अपने आंतरिक शक्तियों को पहचान सकती हैं और अपने आत्मविश्वास को बढ़ा सकती हैं। शारीरिक और मानसिक सशक्तिकरण से महिलाएं समाज में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकती हैं और विभिन्न चुनौतियों का सामना कर सकती हैं।
योग दिवस पर मनाए जाने वाले कार्यक्रम
हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर दुनियाभर में कई कार्यक्रम और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। इन कार्यक्रमों में सामूहिक योग सत्र, कार्यशालाएं, सेमिनार और प्रतियोगिताएं शामिल होती हैं। भारत में, यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है और पूरे देश में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी कार्यालयों और निगमित घरानों में विभिन्न योग सत्र आयोजित होते हैं। कुछ प्रमुख स्थलों पर योग गुरुओं द्वारा सामूहिक योग सत्र का संचालन किया जाता है, जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर भी जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न अभियानों का आयोजन किया जाता है, जिसमें योग के महत्व और लाभों पर प्रकाश डाला जाता है।
योग का इतिहास और उत्पत्ति
योग का इतिहास हजारों साल पुराना है और इसका उद्भव प्राचीन भारत में हुआ था। इसकी उत्पत्ति का उल्लेख वेदों और उपनिषदों में मिलता है। ऋषियों और मुनियों ने योग के सिद्धांतों और प्रथाओं का विकास किया था। सबसे पुरानी और प्रसिद्ध योग ग्रंथ 'पतंजलि योग सूत्र' है, जिसे महर्षि पतंजलि ने लिखा था। यह ग्रंथ योग के आठ अंगों का वर्णन करता है, जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि शामिल हैं। योग का उद्देश्य आत्मा और परमात्मा के मिलन को प्राप्त करना है। विभिन्न योग गुरुओं और स्वामियों ने योग के इस संदेश को पूरी दुनिया में फैलाया है, और आज योग एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की महत्वपूर्णता
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का मुख्य उद्देश्य योग के महत्व और लाभों को बढ़ावा देना है। योग दिवस न केवल योग के अभ्यास को प्रोत्साहित करता है बल्कि लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करता है। यह दिन हमें स्वस्थ जीवन जीने के महत्व की याद दिलाता है और हमें योग को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करने के लिए प्रेरित करता है। योग के माध्यम से हम शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं और एक संतुलित और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से योग के प्रति लोगों की जागरूकता और प्रतिष्ठा को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है। योग दिवस के माध्यम से लोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे हैं और इसे अपने जीवन का हिस्सा बना रहे हैं।
निष्कर्ष
अंत में, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हमें यह याद दिलाता है कि योग केवल एक शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह हमारे मन, शरीर और आत्मा को एकीकृत करने का एक माध्यम है। इसकी प्राचीन विधि हमें एक संतुलित और स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा देती है। 2024 की थीम 'महिलाएं सशक्तिकरण के लिए योग' के माध्यम से हम संपूर्ण समाज में योग का महत्व और इससे होने वाले लाभों का प्रचार-प्रसार कर सकते हैं। हमें चाहिए कि हम इस दिन को संजीवता से मनाएं और योग को अपनी जीवनशैली में शामिल करें। इसी के साथ, हम एक स्वस्थ, खुशहाल और सशक्त समाज का निर्माण कर सकते हैं।
योग तो बस एक और धार्मिक चाल है जिसे राजनीति में इस्तेमाल किया जा रहा है। किसी ने कभी इसके वैज्ञानिक प्रमाण पूछे हैं क्या?
योग का उद्भव वैदिक काल में हुआ, और पतंजलि के योगसूत्रों में आठ अंगों का विस्तृत वर्णन है। यह केवल आसन नहीं, बल्कि एक पूर्ण दार्शनिक प्रणाली है जिसका उद्देश्य चित्तवृत्ति निरोध है।
अगर योग इतना बेहतरीन है तो फिर भारत में डायबिटीज, हार्ट डिजीज और डिप्रेशन की दर क्यों दुनिया के शीर्ष पर है? योग का नाम लेकर लोगों को धोखा दिया जा रहा है।
मैं रोज सुबह 20 मिनट योग करता हूँ। न तो मैंने कभी किसी को बाध्य किया, न ही किसी की आदत पर टिप्पणी की। बस अपने लिए करता हूँ।
भाई योग तो जिंदगी बदल देता है! मैंने जब पहली बार प्राणायाम शुरू किया तो मेरा दिमाग शांत हो गया, गुस्सा कम हुआ, सोने में आराम मिला। अब मैं बिना योग के दिन नहीं गुजार सकता। ये कोई व्यायाम नहीं, ये तो जीवन बन गया!
हमारे पूर्वजों ने जो दिया, उसे बेकार नहीं करना चाहिए। योग हमारी संस्कृति की रूह है। अगर दुनिया इसे अपनाती है तो ये हमारी विरासत की जीत है, न कि किसी बाहरी शक्ति की।
योग का आधुनिक रूपांतरण, जिसे मुख्यधारा में प्रचारित किया जाता है, एक व्यापारिक उत्पाद है जिसमें असली दार्शनिक गहराई का कोई स्थान नहीं। इसका उपयोग नए श्रेणी के लोगों के लिए एक विलासिता के रूप में किया जा रहा है।
मैंने अपनी माँ को योग सिखाया जब वो अपने जोड़ों के दर्द से परेशान थीं। अब वो रोज सुबह नमस्ते करती हैं। उनकी आँखों में वह शांति लौट आई है जो दवाइयों से नहीं मिल सकती थी।
क्या आपने कभी गंगा किनारे पर सुबह योग करते लोगों को देखा है? वो जो अपने शरीर को नहीं बल्कि अपने विचारों को शांत कर रहे होते हैं... वो दृश्य अद्भुत होता है। योग वहाँ भी है, जहाँ कोई नहीं देख रहा होता।
योग करना अच्छा है लेकिन अगर आप बिना शिक्षक के अपने आप सीख रहे हो तो खतरा हो सकता है क्योंकि बहुत सारे लोग गलत तरीके से कर रहे होते हैं
योग? ये तो बस एक धार्मिक रूढ़ि है जिसे जाति-व्यवस्था के साथ जोड़कर लोगों को नियंत्रित किया जाता है! आज की तारीख में ऐसी चीजों को राष्ट्रीय अवधारणा में बदलना असहनीय है!
मैंने एक गाँव में योग का शिक्षण शुरू किया था। वहाँ की एक बूढ़ी महिला ने मुझे बताया कि वो पहली बार अपने बच्चों को बिना चिल्लाए बात कर पा रही है। योग ने उसके अंदर एक नई आवाज जगा दी।
योग के आठ अंगों में से आसन केवल तीसरा है। आजकल लोग बस बैठकर बांहें फैलाते हैं और खुद को योगी कह लेते हैं। यम और नियम के बारे में कोई नहीं बात करता। योग का वास्तविक अर्थ भूल गए हैं।
योग तो सिर्फ भारतीयों के लिए है और अब दुनिया भर में इसका फैलाव हो रहा है जो बिल्कुल ठीक है क्योंकि हमारी संस्कृति दुनिया को सिखा रही है अपनी विरासत का महत्व
अगर योग इतना अच्छा है तो फिर भारत में आत्महत्या की दर क्यों बढ़ रही है? योग ने भारत को क्या बचाया? ये सब बस नारे हैं जिनके पीछे कोई वास्तविक नीति नहीं है।
योग बदल देता है।
योग का वास्तविक अर्थ तभी समझा जा सकता है जब आप अपने विचारों को शांत करने की कोशिश करते हैं। यह एक आंतरिक यात्रा है, जिसे बाहरी दिखावे या सामूहिक जुलूस से नहीं मापा जा सकता।
मैंने अफ्रीका के एक गाँव में योग के लिए एक कार्यशाला आयोजित की। वहाँ की महिलाएं बताती थीं कि योग ने उन्हें अपने पति के साथ बातचीत करने का साहस दिया। यह शारीरिक नहीं, यह सामाजिक शक्ति है।
योग एक ऐसी परंपरा है जो न केवल शरीर को स्वस्थ रखती है बल्कि दिमाग को शांत करती है। इसे राष्ट्रीय प्रचार के लिए नहीं, बल्कि व्यक्तिगत जीवन के लिए अपनाना चाहिए।