आयकर ऑडिट रिपोर्ट की समय सीमा में विस्तार: नई अंतिम तारीख की घोषणा
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की समय सीमा बढ़ा दी है। अब करदाता और अन्य व्यक्तियों को अपनी आयकर ऑडिट रिपोर्ट जमा करने के लिए 7 अक्टूबर 2024 तक का समय दिया गया है, जो पहले 30 सितंबर 2024 थी। इस विस्तार का उद्देश्य उन सभी करदाताओं को राहत प्रदान करना है जिन्हें तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
तकनीकी कठिनाइयों के कारण विस्तार का फैसला
सीबीडीटी ने यह विस्तार इसलिए किया है क्योंकि करदाता और अन्य स्टेकहोल्डर विभिन्न ऑडिट रिपोर्ट को इलेक्ट्रॉनिक रूप से फाइल करने में तकनीकी कठिनाइयों का सामना कर रहे थे। इस संबंध में सीबीडीटी ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 119 के तहत अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए एक परिपत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि पूर्व वर्ष 2023-24 के ऑडिट रिपोर्टों को जमा करने की तिथि को 30 सितंबर 2024 से 7 अक्टूबर 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
इस परिपत्र के अनुसार, यह विस्तार सभी करदाता, कंपनियों और अन्य आसेसियों पर लागू होता है जिन्हें अपनी आयकर रिटर्न 31 अक्टूबर 2024 तक दाखिल करनी होती है।
लाभ और संभावित जोखिम
इस विस्तार से करदाताओं और पेशेवरों को काफी राहत मिलेगी, विशेषकर उन दिनों में जब आयकर पोर्टल पर तकनीकी समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नई समय सीमा के बाद ऑडिट रिपोर्ट जमा न करने पर पेनल्टी लग सकती है। यह पेनल्टी ₹1.5 लाख या कुल बिक्री का 0.5%, जो भी कम हो, हो सकती है।
विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विशेषज्ञों और सीए समुदाय ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका मानना है कि करदाताओं और पेशेवरों को अब आखिरी वक्त तक इंतजार नहीं करना चाहिए ताकि प्रणाली पर अनावश्यक दबाव न पड़े और काम समय पर पूरा हो सके।
आणुविभाग का महत्व
आयकर औडिट प्रक्रिया का चरणबद्ध तरीके से पालन करना महत्वपूर्ण है ताकि करदाता कोई गलती न करें और समय पर भी जमा कर सकें। इसके लिए जरूरी है कि सभी आवश्यक दस्तावेज और फॉर्मेट पहले से तैयार हों।
- पहले चरण में सभी वित्तीय लेन-देन की सही जानकारी और उनकी क्रॉस-चेकिंग जरूरी है।
- दूसरे चरण में ऑडिट रिपोर्ट के सभी शर्तों को समझना और उन्हें सही तरीके से फाइल करना महत्वपूर्ण है।
- तीसरे चरण में, ऑडिटर द्वारा सभी जानकारी की जाँच और सत्यापन करके उसे अंतिम रूप देना आवश्यक है।
- आखिर में, ऑडिट रिपोर्ट का समय पर दाखिल किया जाना जरूरी है ताकि किसी भी पेनाल्टी से बचा जा सके।
इस विस्तार के बाद, सभी करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे समय का सही ढंग से उपयोग करें, सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार रखें और तकनीकी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए पहले ही प्रक्रिया को पूरा कर लें।
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