अगर आप या आपके जान‑परिचित सरकारी स्कूल की छात्रा हैं, तो अब पढ़ाई में आर्थिक दिक्कतें आपको पीछे नहीं रोक पाएँगी। अज़िम प्रींजि फाउंडेशन ने अज़िम प्रींजि स्कॉलरशिप 2025 लॉन्च कर दी है, जो सीधे आपकी जेब में सालाना ₹30,000 डाल देगा। यह पहल उन लड़कियों को लक्षित करती है जिन्होंने कक्षा 10 और 12 सरकारी स्कूल से पास की हैं और अब अपनी पहली साल की स्नातक या डिप्लोमा कोर्स में दाखिला ले रही हैं।
स्कॉलरशिप का सार
सम्पूर्ण भारत में 18 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के 2.5 लाख तक की लड़की छात्रों को यह आर्थिक सहायता दी जाएगी। राशि पूरे कोर्स के दौरान, चाहे वह दो साल का डिप्लोमा हो या पाँच साल का स्नातक, हर साल ₹30,000 के हिसाब से जारी रहेगी। फंड दो बराबर किस्तों में बाँटा जाता है, जिससे सत्र के मध्य में भी वित्तीय मदद बनी रहे।
सिर्फ़ आर्थिक मदद ही नहीं, यह स्कॉलरशिप महिलाओं के शिक्षा‑परिणाम को सुधारने, लैंगिक अंतर को कम करने और उन्हें आत्म‑निर्भर बनाने की दिशा में भी कदम है। अज़िम प्रींजि फाउंडेशन ने इस पहल को अपनी व्यापक शिक्षा‑समानता की रणनीति के तहत रखा है, जिससे ग्रामीण‑शहरी और सामाजिक‑आर्थिक बाधाओं को तोड़ा जा सके।
आवेदन प्रक्रिया व मानदंड
स्कॉलरशिप पाने के लिये कुछ साफ़‑साफ़ शर्तें हैं। सबसे पहला – आप सरकारी स्कूल या सरकारी कॉलेज से कक्षा 10 और 12 दोनों पास कर चुकी हों। दूसरा – आप 2025‑26 शैक्षणिक सत्र में किसी मान्य विश्वविद्यालय या कॉलेज में प्रथम वर्ष की पढ़ाई शुरू कर चुकी हों, चाहे वह सरकार द्वारा चलाए जाने वाला या मान्य निजी संस्थान हो। तीसरा – आपका निवास 19 निर्दिष्ट राज्यों/यूट में से किसी एक में होना चाहिए: अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, ओडिशा, पुदुचेरी, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड।
आवेदन दो राउंड में खुलता है:
- राउंड 1: 10 सितंबर 2025 से 30 सितंबर 2025 तक, शाम 11:59 PM तक।
- राउंड 2: 10 जनवरी 2026 से 30 जनवरी 2026 तक।
हर राउंड में प्रक्रिया चार चरणों में चलती है – ऑनलाइन फॉर्म भरना, आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करना, योग्यता की जांच और फिर चयनित उम्मीदवारों को राशि का भुगतान। फॉर्म भरते समय पहचान पत्र, विद्यालय से पास प्रमाणपत्र, कॉलेज प्रवेश पत्र, और आय का प्रमाण (यदि माँगी गई हो) संलग्न करना अनिवार्य है। आवेदन में कोई फीस नहीं ली जाती, इसलिए फर्जी वेबसाइटों से सावधान रहें।
एक बार चयनित हो जाने पर सालाना राशि दो बराबर क़िस्तों में, आमतौर पर अगस्त‑सितंबर और दिसंबर‑जनवरी में, सीधे छात्रा के बैंक खाते में ट्रांसफ़र की जाएगी। यदि छात्रा को कोर्स के दौरान किसी कारणवश रुकावट आती है, तो उन्हें पुनः आवेदन या पुन: मूल्यांकन के विकल्प मिलते हैं, बशर्ते वे शर्तों को फिर से पूरा करें।
यह पहल न केवल पढ़ाई के खर्चों को कवर करती है, बल्कि पुस्तकें, लैब फीस, और दवा‑संसाधनों जैसी आवश्यकताओं के लिये भी सहारा देती है। जिससे छात्रा को अपना फोकस सिर्फ़ पढ़ाई पर बना रह सके।
यदि आप इस अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं, तो तुरंत आधिकारिक वेबसाइट azimpremjifoundation.org पर जाएँ, रजिस्टर करें और सभी आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें। याद रखें, समय सीमा के बाद आवेदन नहीं स्वीकृत होंगे, इसलिए देर न करें।
ये स्कॉलरशिप बहुत अच्छी है, लेकिन सच बताऊँ तो ग्रामीण इलाकों में ऑनलाइन फॉर्म भरने का मुद्दा अभी भी बना हुआ है। बहुत सारी लड़कियाँ इंटरनेट से परिचित नहीं, और जिनके पास स्मार्टफोन भी नहीं। इसके लिए गाँव-गाँव में स्कॉलरशिप सेंटर बनाए जाने चाहिए, जहाँ कोई भी बिना डिजिटल साक्षरता के आवेदन कर सके।
अरे ये सब बकवास है भाई जी जितना भी लिखा है वो सब टेम्पलेट है असल में जब आप आवेदन करोगे तो पता चलेगा कि दस्तावेज़ नहीं मिल रहे या आय प्रमाणपत्र का जाल बुन रहे हैं और फिर आपका फॉर्म रिजेक्ट हो जाता है और कोई जवाब नहीं आता
हमारे देश में लड़कियों को स्कॉलरशिप देने का नाम लेकर अब बस जाति-धर्म के आधार पर बेकार की राशि बर्बाद की जा रही है। अगर वाकई शिक्षा का विकास है तो पहले गाँवों में स्कूलों को बचाओ, शिक्षकों को भेजो, बिजली और पानी दो। फिर बात करेंगे राशि की। ये सब चुनावी नाटक है।
बहुत बढ़िया। जल्दी करो।
मैं एक शिक्षक हूँ, और राजस्थान के एक गाँव में काम करता हूँ। यहाँ कई लड़कियाँ जो कक्षा 12 पास कर चुकी हैं, अब डिप्लोमा करने के लिए तैयार हैं। लेकिन उनके पास बैंक खाता भी नहीं है। इस स्कॉलरशिप के लिए बैंक खाता और आधार का जोड़ा अनिवार्य है। अगर सरकार और फाउंडेशन इसे ग्रामीण स्तर पर सुलभ बनाएँ, तो ये वाकई बदलाव ला सकती है।
मैंने इस स्कॉलरशिप के लिए आवेदन किया था और मुझे मिल गया। अगस्त में ₹15,000 मिला और दिसंबर में दूसरा हिस्सा। इससे मैंने अपनी लैब फीस और बुक्स खरीदीं। अब मैं बीएड कर रही हूँ। ये पैसा मेरी जिंदगी बदल गया। अगर आप भी योग्य हैं, तो बस आवेदन कर दीजिए। डर के आगे जीत है।
मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ और यहाँ लड़कियों के लिए ये स्कॉलरशिप एक बड़ी उम्मीद है। लेकिन एक बात ध्यान देने लायक है - जब तक हम शिक्षा को लड़कियों के लिए 'सहायता' नहीं बनाएंगे बल्कि इसे उनका अधिकार मानेंगे, तब तक ये पहल भी सिर्फ एक अच्छा इरादा रह जाएगी।
आप सब ये बातें क्यों कर रहे हैं? मैंने अपनी बहन को इसके लिए आवेदन करवाया और उसे रिजेक्ट कर दिया गया क्योंकि उसके पिता का आय प्रमाणपत्र 6 महीने पुराना था। ये सिस्टम बिल्कुल अक्षम है। ये फाउंडेशन को अपनी वेबसाइट पर एक अपडेट फीडबैक लिंक भी नहीं दे रहा।
इस स्कॉलरशिप का मूल उद्देश्य बहुत सही है - लड़कियों को शिक्षा का अधिकार देना। लेकिन जब हम इसे एक बड़े नागरिक अधिकार के रूप में देखें, तो ये बस एक छोटा कदम है। असली बदलाव तब होगा जब हम समाज में लड़कियों की शिक्षा को एक सामाजिक प्राथमिकता बनाएंगे, न कि एक फंडिंग प्रोग्राम के रूप में। ये फाउंडेशन काम कर रही है, लेकिन इसे एक राष्ट्रीय आंदोलन बनाने की जरूरत है।
मैंने ये स्कॉलरशिप ली और अब मैं एक बड़ी लड़की हूँ। लेकिन मेरी माँ ने मुझे रोकने की कोशिश की क्योंकि उसे लगा कि मैं ब्लॉगर बन जाऊँगी और शादी नहीं कर पाऊँगी। अब वो मुझे बहुत गले लगाती हैं। ये पैसा मेरी आत्मविश्वास की शुरुआत था। आप भी करें। मैं आपके लिए दुआ करती हूँ।
इतना सारा फॉर्म भरना है? बस ये सब लोग आधिकारिक वेबसाइट चेक करें और फिर देखें कि कौन सच में मिला। ज्यादातर लोगों को फिर से रिजेक्ट कर दिया जाता है। ये सब नाटक है।
स्कॉलरशिप के नियमों में एक अहम बात छूट गई है: यदि छात्रा अपना कोर्स बदल देती है, तो क्या वह अगले साल भी योग्य रहेगी? उदाहरण के लिए, यदि कोई लड़की डिप्लोमा से बीए की ओर जाती है, तो क्या उसे अगले साल भी राशि मिलेगी? इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं है।
इस स्कॉलरशिप का असली इकोनॉमिक इम्पैक्ट जीरो है। ₹30,000 प्रति वर्ष एक छात्रा के लिए बस 2.5% बजट कवरेज है। इसकी जगह सरकार को शिक्षा बजट को 15% तक बढ़ाना चाहिए। ये बातें सिर्फ फोटो ऑप्टिक्स के लिए हैं। ये एक स्टैटिस्टिकल गैर-इंटरवेन्शन है।
मैंने अपनी बहन को इसके लिए आवेदन करवाया। उसे मिल गया। अब वो अपने घर के लिए एक छोटा सा बैंक खाता खोल रही है। ये बदलाव छोटा है, लेकिन असली है। धन्यवाद अज़िम प्रींजि फाउंडेशन।
मैंने इसे लिया और अब मैं एक टेक्निकल कोर्स कर रही हूँ। पहले मैं घर पर बैठकर रोती थी कि क्या मैं पढ़ पाऊँगी। अब मैं कोडिंग कर रही हूँ। ये ₹30,000 मेरी जिंदगी का ब्रेकपॉइंट था। अगर आप भी लड़की हैं और आपको लगता है कि आप नहीं कर पाएंगी - तो आप गलत हैं। आवेदन करो। बस करो।
ये सब बकवास है। हमारे देश में लड़कियों को शिक्षा देने की बजाय उन्हें नाटकीय तरीके से दिखाया जा रहा है। जब तक लड़कियों के लिए सुरक्षित परिवेश नहीं बनेगा, तब तक ये पैसा बर्बाद है। लड़कियों को बाहर निकलने दो? बाहर क्या होगा? अपराध? शोषण? इसलिए ये स्कॉलरशिप एक फरेब है।