जिओ स्टूडियोज ने 6 जुलाई, 2025 को शाम 6:37 बजे (UTC) अपनी सबसे बड़ी एक्शन स्पाई थ्रिलर फिल्म धुरंधर का पहला ट्रेलर जारी किया — और ये ट्रेलर सिर्फ एक ट्रेलर नहीं, बल्कि एक बयान था। एक ऐसा बयान जिसमें रणवीर सिंह ने अपने करियर का सबसे क्रूर, सबसे भावुक और सबसे ज़िद्दी अवतार अपनाया है। इसके साथ ही, र. मधवन और अक्षये खन्ना ने ऐसे रूप दिखाए जो उनके पिछले किरदारों से पूरी तरह अलग हैं। ये फिल्म, जिसका निर्देशन और निर्माण अदित्य धर ने किया है, जिसने विक्रम वेदाला के बाद फिर से भारतीय सिनेमा को एक नया मानक दिया है। फिल्म की रिलीज 5 दिसंबर, 2025 को होगी — और अभी से ही ये एक घटना बन चुकी है।
एक ऐसी कहानी जो असली घटनाओं से प्रेरित है
धुरंधर का ट्रेलर शुरू होता है एक शांत आवाज़ से: 'कई साल पहले, किसी ने मुझे कहा था... हम तुम्हारे बगल में रहते हैं...' और फिर एक ऐसा डायलॉग जो आपके दिमाग को हिला देगा: 'अपने अंडे बढ़ा लो... हम पर जितना जोर से मार सको, मार डालो... अब वापस बहुत खूनी तरीके से मारने का समय आ गया है।' ये डायलॉग सिर्फ एक फिल्म के लिए नहीं, बल्कि एक असली भारतीय सच्चाई के लिए हैं। जैसा कि IMDb पर बताया गया है, ये फिल्म 'अदृश्य आदमियों की अपार लड़ाई' की कहानी है — वो आदमी जो न तो नाम लेते हैं, न ही उनकी तस्वीरें चलती हैं, लेकिन जिनके बिना देश का कोई भी बड़ा मुकाबला अधूरा रह जाता है।
कलाकारों का अद्भुत संगम
रणवीर सिंह ने इस फिल्म में एक ऐसा किरदार निभाया है जो उनके पिछले किरदारों से पूरी तरह अलग है। वो यहाँ एक विकलांग शेर की तरह हैं — घायल, लेकिन अभी भी मारने के लिए तैयार। उनके आँखों में एक ऐसी भावना है जो बोले बिना सब कुछ कह देती है। दूसरी ओर, र. मधवन ने एक ऐसा राजनीतिक राजदूत निभाया है जिसके पीछे एक गहरा राज है — और अक्षये खन्ना ने अपने चरित्र को इतना गहरा बनाया है कि लगता है वो असली जासूस हैं। ये दोनों अभिनेता, जिन्होंने पिछली बार एलओसी कारगिल (2003), दीवार (2004) और नो प्रॉब्लम (2010) में एक साथ काम किया था, अब अपनी चौथी बार एक साथ हैं। ये सिर्फ एक सहयोग नहीं, बल्कि एक परंपरा है।
साथ ही, संजय दत्त का अभिनय एक चौकसी का बाज़ार है — उनके आँखों में एक ऐसा विष भरा हुआ है जो आपको डरा देगा। और फिर आते हैं अर्जुन रंपाल और सारा अर्जुन — जिनकी भूमिकाएँ फिल्म के टोन को और भी गहरा करती हैं। ये कास्टिंग इतनी सटीक है कि लगता है ये लोग असल में इस दुनिया से आए हैं।
तकनीकी जादू: विकास नवलखा का विजुअल जादू
फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है — उसकी छवि। विकाश नवलखा, जिन्होंने धुरंधर के लिए फोटोग्राफी की है, ने एक ऐसा विजुअल विश्व बनाया है जो अभी तक किसी भारतीय फिल्म में नहीं देखा गया। ट्रेलर में एक अज्ञात व्यक्ति कहते हैं: 'आपके होश उड़ जाएंगे।' और वो सच है। जब रणवीर सिंह एक अंधेरे कमरे में खून से लथपथ होकर एक दर्पण की ओर देखते हैं, तो आपको लगता है कि आप उसी कमरे में हैं। जब अक्षये खन्ना का किरदार एक रेडियो ट्रांसमिशन के जरिए एक गुप्त संदेश भेजता है, तो आपको लगता है कि आप उस रेडियो के दूसरे छोर पर बैठे हैं।
ये फिल्म सिर्फ एक्शन नहीं, बल्कि एक आवाज़ है — जो ज़मीन से उठकर आकाश को छू रही है। साउंड डिज़ाइनर बिश्वदीप चटर्जी ने एक ऐसा ऑडियो लैंडस्केप बनाया है जिसमें हर चरण, हर सांस, हर कदम आपके दिल को धड़का रहा है। और जब शश्वत सचदेव का संगीत शुरू होता है, तो आपको लगता है कि आप भारत के इतिहास के एक अज्ञात पन्ने को पलट रहे हैं।
क्यों ये फिल्म आपके लिए ज़रूरी है?
IMDb पर धुरंधर की 3,510 पॉपुलैरिटी पॉइंट्स और 1,849 यूजर रेटिंग्स हैं — और 1,100 यूजर्स ने इसे अपनी वॉचलिस्ट में डाल दिया है। ये सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि एक आवाज़ है — जो कह रही है: 'ये फिल्म आपको बदल देगी।' ये फिल्म आपको बताती है कि भारत की सबसे बड़ी शक्ति उन लोगों में है जिनके नाम इतिहास में नहीं लिखे जाते।
अदित्य धर ने ये फिल्म एक ऐसे अहंकार के साथ बनाई है जो किसी भी फिल्ममेकर के लिए असंभव लगता है। उन्होंने न सिर्फ एक फिल्म बनाई, बल्कि एक अनुभव बनाया है। और ये अनुभव आपको सिर्फ सिनेमाघर में मिलेगा — न कि YouTube पर। ट्रेलर में ही कहा गया है: 'घर जाके YouTube पे भी देखना... लेकिन दिसंबर पाँच को कम और इसे बड़े स्क्रीन पर महसूस करो।'
क्या आगे होगा?
दिसंबर 5, 2025 को, जब धुरंधर सिनेमाघरों में आएगी, तो ये सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक घटना बन जाएगी। इसके बाद, भारतीय सिनेमा के लिए एक नया मानक तय हो जाएगा। अदित्य धर ने साबित कर दिया है कि बजट नहीं, बल्कि दृष्टि वो चीज है जो एक फिल्म को अमर बनाती है।
अब सवाल ये है — क्या आप तैयार हैं? क्या आप उस शेर को देखने के लिए तैयार हैं जो मरने का डर नहीं, बल्कि बदला लेने का इरादा लिए खड़ा है?
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
धुरंधर की कहानी किस असली घटना पर आधारित है?
फिल्म का प्लॉट किसी एक विशिष्ट घटना पर आधारित नहीं है, बल्कि भारत के अंधेरे जासूसी इतिहास के कई अनसुलझे मामलों के संगम से बनी है। निर्माता अदित्य धर ने खुलासा किया है कि ये फिल्म उन अज्ञात नागरिकों के बारे में है जिन्होंने देश के लिए अपनी जिंदगी खतरे में डाली, लेकिन उनके नाम कभी सार्वजनिक नहीं हुए।
रणवीर सिंह का किरदार क्या है?
रणवीर सिंह एक ऐसे जासूस की भूमिका निभा रहे हैं जिसे अपने अंदर का एक विकलांग शेर कहा गया है — जो घायल हो चुका है, लेकिन अभी भी बदला लेने के लिए तैयार है। उनका किरदार एक राष्ट्रीय एजेंट है जिसे अपने ही देश के अंदर ही धोखा दिया गया है, और अब वो अपने निजी युद्ध के लिए तैयार है।
अक्षये खन्ना और संजय दत्त की इस फिल्म में भूमिका क्यों खास है?
ये दोनों अभिनेता पिछली बार 2010 की फिल्म नो प्रॉब्लम के बाद फिर से एक साथ हैं। अक्षये खन्ना एक राजनीतिक जासूस हैं जो अपने आप को एक निष्पक्ष अधिकारी के रूप में छिपाते हैं, जबकि संजय दत्त उनके खिलाफ खड़े होने वाले एक अंतर्द्वंद्वी व्यक्ति हैं — जिनकी भूमिका में एक अज्ञात बदलाव है जिसका अंत अप्रत्याशित है।
ट्रेलर में बोले गए 'होश उड़ जाएंगे' का मतलब क्या है?
ये एक अप्रत्यक्ष संदेश है कि फिल्म का विजुअल और ऑडियो अनुभव इतना शक्तिशाली है कि आपकी भावनाएँ और संवेदनाएँ अचानक बदल जाएँगी। विकाश नवलखा की फोटोग्राफी और बिश्वदीप चटर्जी का साउंड डिज़ाइन इस तरह से जुड़े हैं कि आप अपने आप को फिल्म के अंदर पाएंगे — न कि बाहर देख रहे हों।
क्या ये फिल्म थिएटर में ही देखनी चाहिए?
हाँ। निर्माताओं ने स्पष्ट किया है कि फिल्म का वास्तविक अनुभव सिर्फ बड़े स्क्रीन पर ही मिलेगा। ऑडियो, लाइटिंग, और एक्शन सीन्स ऐसे डिज़ाइन किए गए हैं कि घर के स्क्रीन पर देखने से आप उनकी गहराई का अहसास नहीं कर पाएंगे। ये एक थिएटरल अनुभव है — जिसे बिना बड़े स्क्रीन के देखना, एक जादू को बिना आवाज़ के देखने जैसा है।
इस फिल्म के बाद अदित्य धर की अगली फिल्म क्या होगी?
अदित्य धर ने अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, वो एक ऐसी फिल्म पर काम कर रहे हैं जो भारत के बाहरी सीमाओं पर लड़े गए एक अनसुलझे युद्ध की कहानी बताएगी — जिसमें एक भारतीय सैनिक की आत्मकथा दर्ज की जाएगी। ये फिल्म भी अदित्य के निर्माण कंपनी B62 Studios के तहत बनेगी।
ये ट्रेलर देखकर मेरा दिमाग हिल गया भाई। रणवीर की आँखों में जो आग थी वो किसी असली जासूस की तरह लग रही थी। मैंने कभी इतना डरावना अभिनय नहीं देखा। और अक्षये खन्ना का वो टोन जो रेडियो से आया - वो तो बस बर्फ जैसा ठंडा था।
लोग इतना जोर लगा रहे हain ki ye film koi bhagwan ki kripa hai... par bhai ye toh sirf ek aur spy flick hai jisme sab kuch overacted hai. Rana ki acting? Bhai 50% bhi nahi hai. Aur sound design? Bas ek background noise hai jo kisi ne phone ke speaker pe play kiya hai.
ये फिल्म भारत के अनसुने नागरिकों के बारे में है और उनकी शहादत के बारे में। रणवीर का किरदार एक विकलांग शेर है जो अपने घावों के बावजूद खड़ा है। ये अभिनय सिर्फ अभिनय नहीं, ये एक श्रद्धांजलि है। विकाश नवलखा की छवि और बिश्वदीप चटर्जी का साउंड एक साथ एक ऐसा अनुभव बनाते हैं जो सिर्फ थिएटर में ही मिलेगा।
ये ट्रेलर एक नेक्स्ट-जेन इंटेलिजेंस थ्रिलर का ब्लूप्रिंट है। विजुअल लैंग्वेज ऑप्टिमाइज्ड है, ऑडियो लैंडस्केप लेवल-9 इमर्सिविटी डिज़ाइन के साथ। संगीत एक एक्सपोनेंशियल न्यूरल ट्रिगर है। अदित्य धर ने एक नया फिल्मी ओपरेटिंग सिस्टम लॉन्च कर दिया है। ये बस फिल्म नहीं, ये एक टेक्नोलॉजिकल रिवॉल्यूशन है।
मैंने ट्रेलर देखा और रो पड़ा 😭 ये फिल्म बस देखनी है। रणवीर की आँखें... अक्षये का वो फुसफुसाहट... और वो दर्पण वाला सीन - भाई ये तो जिंदगी बदल देगा 🙏🔥
अरे भाई ये ट्रेलर देखकर लगा जैसे किसी ने मेरे दिमाग को एक फाइल डाल दी हो - और फिर उसे बार-बार रिपीट कर रहा हो। रणवीर ने अपना करियर तो बर्बाद कर दिया... अब ये सब लोग उसे ब्रेकथ्रू कह रहे हैं। अच्छा लगता है जब कोई अपने आप को बर्बाद करके बड़ा बन जाए।
अरे यार ये ट्रेलर तो जिंदगी बदल देगा!!! देखो रणवीर की आँखों में जो आग है वो तो देश की आत्मा है!!! और अक्षये खन्ना ने तो ऐसा अभिनय किया कि मुझे लगा मैं उसके अंदर हूँ!!! दिसंबर 5 को मैं थिएटर में जा रहा हूँ!!! जय हिन्द!!! 🇮🇳🔥💥
इस फिल्म का विजुअल टोन बहुत गहरा है। विकाश नवलखा की लाइटिंग ने अंधेरे को एक जीवित चरित्र बना दिया है। और बिश्वदीप चटर्जी के साउंड डिज़ाइन में हर सांस का रिकॉर्डिंग लगता है। ये फिल्म सिर्फ देखने के लिए नहीं, बल्कि अनुभव करने के लिए है। थिएटर जरूर जाएँ।
अच्छा है जो लोग इस फिल्म को देश की शक्ति कह रहे हैं। लेकिन ये तो सिर्फ एक बॉलीवुड फिल्म है। अगर ये असली जासूसों की कहानी है तो उन्हें नाम देना चाहिए था। नहीं तो ये तो बस नाराजगी का एक नाटक है।
रणवीर का ये किरदार बहुत बोरिंग है। घायल शेर? ये तो हर फिल्म में देख चुके हैं। अक्षये खन्ना तो बस अपनी आवाज़ बदल रहे हैं। ये फिल्म बस एक बड़ा बजट वाला गड़बड़ है।
क्या आपने कभी सोचा है कि ये सारा ट्रेलर किसी गुप्त संगठन की ऑपरेशनल टेक्निक्स को रिवील कर रहा है? वो रेडियो ट्रांसमिशन... वो दर्पण... वो डायलॉग 'अपने अंडे बढ़ा लो' - ये सब असल में एक गुप्त एजेंसी के लिए एक कोड है। अदित्य धर कोई फिल्ममेकर नहीं, वो एक एक्स-एजेंट है। ये फिल्म एक डिस्ट्रक्शन ऑपरेशन है।
ट्रेलर बेकार। रणवीर का अभिनय बोरिंग। अक्षये खन्ना ने अपना आवाज़ बदला, लेकिन भूमिका नहीं। बस एक और बजट वाला फ्लैशी गड़बड़।