शुरुआती दिन: एक शोध प्रोजेक्ट से गैरेज तक
1998 में दो युवा पीएचडी छात्रों, लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने स्टैनफर्ड विश्वविद्यालय के कंप्यूटिंग लैब में एक साधारण विचार को पनपा। वे चाहते थे कि इंटरनेट पर उपलब्ध अनगिनत जानकारी को आसान और सटीक तरीके से ढूँढा जा सके। उनका पहला प्रोटोटाइप "Backrub" नाम से जाना जाता था, जिसका मकसद वेब पेजों के लिंक संरचना को समझकर सर्च क्वेरी को बेहतर बनाना था।
जब प्रोजेक्ट ने शुरुआती सफलता देखी, तो उन्होंने इसे "Google" नाम दे दिया, जो गणितीय शब्द "गुगोल" से आया है – एक के बाद सौ शून्य। यह नाम उनके बड़े सपने को दर्शाता था: इंटरनेट की असंख्य जानकारी को एक अल्पसंख्यक में व्यवस्थित करना।
प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें फंडिंग की जरूरत थी। सिलिकॉन वैली के अनुभवी उद्यमी एंडी बेक्टोल्शहाइम ने उन्हें शुरुआती क्रम में 100,000 डॉलर का निवेश दिया, जब कंपनी अभी भी कैलिफ़ोर्निया के एक किराए के गैरेज में काम कर रही थी। इस निवेश के बाद, सिर्फ कुछ ही महीनों में "Google" ने प्रतिदिन आधा मिलियन क्वेरी संभालना शुरू कर दिया, जो उस समय के लिए अभूतपूर्व था।
1998 के सितंबर में दो महत्वपूर्ण तिथियों को कंपनी ने याद किया: 4 सितंबर – जब Google का कैलिफ़ोर्निया में आधिकारिक रूप से पंजीकरण हुआ, और 27 सितंबर – जब Google Inc. का गठन हुआ। इन दो तिथियों ने आगे के विकास की नींव रखी।
भविष्य की दिशा: AI, क्लाउड और विश्वव्यापी प्रभाव
डिजिटल युग में Google ने सिर्फ सर्च इंजन से आगे बढ़कर कई सेवाएँ लॉन्च कीं – Maps, Gmail, Android, और YouTube जैसे प्लेटफ़ॉर्म। 2022 तक कंपनी का वार्षिक राजस्व 282 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें से 162 बिलियन डॉलर खासकर सर्च विज्ञापन से आया। इसके अलावा, "Google" शब्द 2002 में "सबसे उपयोगी शब्द" के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है और 2006 में इसे ऑक्सफ़ोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी में एक क्रिया (verb) के रूप में शामिल किया गया।
आज Google प्रतिदिन 8.5 अरब क्वेरी प्रोसेस करता है, जो इसे विश्व की सबसे अधिक विज़िट की जाने वाली वेबसाइट बनाता है। कंपनी का मूल मिशन – "दुनिया की जानकारी को व्यवस्थित करना और उसे सार्वभौमिक रूप से सुलभ और उपयोगी बनाना" – अभी भी उसी रूप में जारी है, पर तकनीकी परिदृश्य तेज़ी से बदल रहा है।
CEO सुंदर पिचाई ने कहा है कि जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इंटरनेट से भी बड़ा बदलाव लाने वाला है। इस दिशा में Google Cloud ने पहले ही 70% जनरेटिव AI यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स को क्लाइंट बना लिया है। AI को उपभोक्ता उत्पादों में (जैसे Google Assistant) और एंटरप्राइज़ समाधान में (जैसे Vertex AI) लागू करने की रणनीति कंपनी की भविष्य की ग्रोथ का मुख्य आधार बन गई है।
Google ने अपने 25वें जन्मदिन पर एक विशेष एनिमेटेड डूडल लॉन्च किया, जिसमें कंपनी की शुरुआती गैरेज से लेकर आज के सर्व-समावेशी इकोसिस्टम तक की यात्रा को दर्शाया गया। इस डूडल में सर्च, मैप्स, यूट्यूब, और AI के आइकॉनिक एलिमेंट्स को एक साथ दिखाया गया, जिससे उपयोगकर्ताओं को याद दिलाया गया कि कंपनी का मूल फोकस – जानकारी को सुलभ बनाना – कभी नहीं बदला।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि Google ने केवल एक सर्च इंजन नहीं बना, बल्कि लोगों के काम करने, सीखने और संवाद करने के तरीके को ही बदल दिया है। आने वाले वर्षों में AI की बौद्धिक उछाल, क्लाउड कंप्यूटिंग की क्षमताएँ और नई तकनीकी पहलों के साथ कंपनी की कहानी जारी रहेगी, जो टेक जगत में नई मानदंड स्थापित करती रहेगी।
यार इस गैरेज की कहानी सुनकर आँखें भर आईं। दो लड़के जिन्होंने बस एक विचार को पकड़ लिया और पूरी दुनिया बदल दी। मैं तो अभी तक अपने फोन में एक ऐप भी ठीक से नहीं चला पाती।
Google का जो भी इतिहास है वो सब बकवास है। ये तो अब सिर्फ डेटा चुराने और एड्स दिखाने का नाम ले रहा है। गैरेज वाली यादें तो अब बस मार्केटिंग के लिए इस्तेमाल हो रही हैं।
वास्तविकता यह है कि Google का मूल मिशन अभी भी अपरिवर्तित है - जानकारी का सुलभीकरण। लेकिन व्यावसायिक दबाव के कारण इसका अर्थ बदल गया है: अब यह जानकारी के बजाय ध्यान का व्यापार है। भाषा के संदर्भ में, 'Google' शब्द का क्रिया के रूप में उपयोग वास्तव में भाषाई इतिहास का एक अद्वितीय उदाहरण है।
अमेरिकी कंपनी ने भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को जकड़ लिया है। Android और YouTube के जरिए ये देश की युवा पीढ़ी को ब्रेनवॉश कर रही है। भारतीय स्टार्टअप्स को कोई मौका नहीं मिल रहा। इसके बावजूद हम इसकी तारीफ कर रहे हैं? ये जाली राष्ट्रीयता है।
बस एक गैरेज से शुरू हुआ और आज दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी। असली बात ये है कि इन लोगों ने अपनी चाहत को पूरा करने के लिए जोखिम लिया। आज के युवाओं को भी इस बात का हौसला चाहिए।
अरे भाई, Google ने तो बस एक सर्च इंजन नहीं बनाया - बल्कि हमारे दिमाग का एक नया ऑपरेटिंग सिस्टम बना दिया। अब हम सब इसके एल्गोरिदम के आधार पर सोचते हैं। जब भी कुछ पता करना होता है, तो दिमाग में पहले 'Google' आता है। ये तो एक नए युग की शुरुआत है।
ये सब तो बहुत अच्छा लगा, लेकिन इन अमेरिकियों ने भारत की आत्मा को भी बेच दिया। हमारे बच्चे अब सिर्फ YouTube पर बने वीडियो देखते हैं, हिंदी की किताबें नहीं पढ़ते। ये Google का नुकसान है - ये न सिर्फ तकनीक है, बल्कि संस्कृति का विनाश है।
गुगोल के बारे में जो बात की गई है, वह एक विद्वान के लिए अत्यंत उपयोगी है, लेकिन क्या आपने कभी विचार किया है कि जब एक शब्द एक क्रिया बन जाता है, तो वह उसके मूल अर्थ को अतिरंजित कर देता है? Google अब एक शब्द नहीं, बल्कि एक अस्तित्व है - जो हमारी जानकारी के अधिकार को नियंत्रित करता है।
ये सब बहुत खूबसूरत है। लेकिन याद रखिए, ये कहानी बस शुरुआत है। AI और क्लाउड की दुनिया में अब हर छोटा विकासकर्ता के पास भी अवसर हैं। Google ने दरवाजा खोल दिया, अब हमारी बारी है।
मैंने 2005 में पहली बार Google इस्तेमाल किया था। तब से ये मेरा सबसे भरोसेमंद साथी रहा है। आज भी जब कोई नया टॉपिक सीखता हूँ, तो पहला कदम Google के सर्च बार में लिखना ही होता है। ये बस एक टूल नहीं - ये मेरी सीखने की आदत है।
मैं भी Google के साथ बड़ा हुआ हूँ और अब ये मेरे लिए एक जीवनशैली है। जब भी कोई नया एप्प डाउनलोड करता हूँ तो पहले Google पर रिव्यू देखता हूँ। ये तो सिर्फ सर्च इंजन नहीं बल्कि हमारी डिजिटल जिंदगी का आधार है
इस बात पर गौर करें: एक अमेरिकी कंपनी ने भारत के लाखों युवाओं के दिमाग को अपने एल्गोरिदम के अनुसार फॉर्मेट कर दिया है। इसके बावजूद हम उसकी तारीफ कर रहे हैं? ये जाति-विहीन दासता है! भारतीय टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दें - नहीं तो आने वाली पीढ़ी अमेरिकी एल्गोरिदम के बेटे बन जाएगी!
अगर आपको लगता है कि Google ने सिर्फ एक सर्च इंजन बनाया है, तो आप गलत हैं। ये तो एक ऐसा दरवाजा है जिसके जरिए दुनिया की जानकारी तक पहुँचा गया। इसने गाँव के बच्चों को ऑक्सफोर्ड की किताबें दीं। ये न केवल एक कंपनी है - ये एक आधुनिक शिक्षा का उपहार है।
मैंने एक बार Google के प्रोटोटाइप को देखा था - Backrub नाम का। ये नाम अजीब लगा, लेकिन उसकी ताकत उसकी सरलता में थी। आज जब हम एक जटिल AI एजेंट के साथ बात कर रहे हैं, तो याद रखें - ये सब कुछ दो छात्रों के एक बेसिक एल्गोरिदम से शुरू हुआ। ये नया नहीं, बल्कि गहरा हुआ है।
अरे भाई ये सब तो बहुत बढ़िया है पर आपने क्या देखा कि Google ने भारत में अपने डेटा सेंटर नहीं बनाए और अभी भी सब कुछ अमेरिका में ही है और हम यहीं अपना डेटा दे रहे हैं और इसकी तारीफ कर रहे हैं ये तो बहुत बड़ा अपराध है
Google ने जो किया वो भारत के लिए बहुत बड़ा घाटा है। हमारी भाषाएँ, हमारी संस्कृति, हमारी शिक्षा सब इसके अमेरिकी एल्गोरिदम में फँस गई। अब हमारे बच्चे अंग्रेजी में सोचते हैं और हिंदी भूल गए। ये नहीं तो बात बनती - Google एक आधुनिक आक्रमण है।
हम सब इतने गुस्से में हैं, लेकिन याद रखो - अगर ये कंपनी नहीं होती, तो मैं आज अपने बच्चे को रामायण का एक वीडियो नहीं दिखा पाती जो मैंने अपने गाँव में नहीं देखा था। Google ने दुनिया को खोला, चाहे वो कितना भी अमेरिकी क्यों न हो।