हरियाणा में भारी बारिश और ओरोंज अलर्ट: हिसार ने 9 साल पुराना 43 मिमी रिकॉर्ड तोड़ा

हरियाणा में भारी बारिश और ओरोंज अलर्ट: हिसार ने 9 साल पुराना 43 मिमी रिकॉर्ड तोड़ा

6 अक्तूबर 2025 · 10 टिप्पणि

जब इंदियन मीटियोरोलॉजी डिपार्टमेंट (IMD) ने 6 अक्टूबर 2025 को हरियाणा के लिये भारी‑से‑बहुत भारी बारिश के साथ तूफान, बिजली और ओरोंज अलर्ट जारी किया, तो पूरे राज्य में चिंता का माहौल बन गया। विशेष रूप से हिसार में 24 घंटे में 43 mm बारिश गिने, जो 2016 के 15.6 mm के रिकॉर्ड से बहुत आगे है। इस वर्ष की पहली अक्टूबर की बारिश ने तापमान को भी गिराकर अधिकतम 23.4 °C और न्यूनतम 18.4 °C कर दिया।

मौसम चेतावनी और बुलेटिन की विस्तृत जानकारी

IMD की चंडीगढ़ मौसम केन्द्र ने एग्रो‑मेट एडवायजरी सर्विस बुलेटिन नंबर 80/2025 जारी किया, जिसमें बताया गया कि 6 अक्टूबर को कई हिस्सों में तेज़ हवाएँ (40‑50 km/h) और संभावित ओलों के साथ भारी बारिश होगी। अगले दिन 7 अक्टूबर तक तूफान‑बिजली का असर जारी रहेगा, जबकि 8‑10 अक्टूबर तक कोई विशेष चेतावनी नहीं दी गई। सुरेंद्र पॉल, IMD के निदेशक ने सोमवार को कहा कि Punjab‑हरियाणा में 36 घंटे तक वर्षा का सिलसिला रहेगा, फिर 8 अक्टूबर तक मौसम साफ हो जाएगा।

  • ओरोंज अलर्ट: पंजाब (8 जिलों) और हरियाणा (अम्बाला, पंचकूła, कैथल, करनाल, हिसार) को प्रभावित किया।
  • बारिश का अंदाज़ा: 6‑7 अक्टूबर को भारी‑से‑बहुत भारी बारिश, 8‑10 अक्टूबर तक सामान्य मौसम।
  • हवाओं की गति: 6 अक्टूबर को 40‑50 km/h, 7 अक्टूबर को 30‑40 km/h तक घटने की संभावना।

हिसार में रिकॉर्ड‑तोड़ बारिश का विवरण

हिसार के मौसम विभाग ने 6 अक्टूबर को 09:21 IST से 12:21 IST तक वैध "नाउ‑कास्ट" चेतावनी जारी की, जिसमें महेंद्रगढ़, चर्खी दादरी, भीवानी, रेवाड़ी, झज्जर, हिसार, सिरसा और फतेहाबाद को मध्यम बारिश के साथ तूफान‑बिजली का संकेत दिया गया। इस चेतावनी के बाद, हिसार में 43 mm बारिश गिनी, यानी पिछले नौ सालों में 4 अक्टूबर 2016 को दर्ज 15.6 mm के रिकॉर्ड को दो‑तीन गुना पार कर गया।

बारिश के साथ तेज़ हवाओं ने हिसार, सिरसा और फतेहाबाद के कई गाँवों में दरवाज़े‑कैंची की आवाज़ सुनाई दी। ग्रामीण घरों की छतों पर जल की बूंदें टपकती हुईं, और खेतों में पानी का स्तर तेजी से बढ़ा। इसी दौरान अधिकतम तापमान 23.4 °C और न्यूनतम 18.4 °C रहा, जो मौसमी औसत से काफी नीचे गिरा।

किसानों की कठिनाइयाँ और फसल‑नुकसान

स्थानीय किसान अमित, संदीप और नवीन ने बताया कि पहले अगस्त की भारी बारिश से उनकी धान की फसल में पहले से ही क्षति थी। अब इस अचानक आए झटके ने बाकी बचे हिस्सों को भी बर्बाद कर दिया। खेतों में खड़े धान की पौधें पानी में डूब कर ‘पानी‑में‑डूबे’ हो गईं, और कई जगह तो पेडी‑मटरी भी फिसल गई। एक किसान ने कहा, "वो धान की बालियाँ अब तो जमीन में ही फँसी हैं, फंगस व रोग की आशंका बढ़ गई है।"

भारी बारिश से जल‑जमाव बढ़ा, जिससे ट्रैक्टर‑की‑बजाय‑मानवशक्ति से कटाई करनी पड़ी। इससे श्रम‑खर्च दो‑तीन गुना बढ़ गया और समय पर फसल कटाई में बाधा आई। कृषि विभाग ने बताया कि कई क्षेत्रों में जल‑जमाव के कारण पानी‑वर्ग हज़ारों हेक्टेयर पर असर पड़ेगा।

विशेषज्ञ विश्लेषण: कारण और भविष्य की संभावनाएँ

विशेषज्ञ विश्लेषण: कारण और भविष्य की संभावनाएँ

डॉ. मदन खिचर, जो चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में एग्रीकल्चरल मीटियोरोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं, ने बताया कि ये सभी मौसमी प्रणालियों का परिणाम है। उन्होंने कहा, "पश्चिमी व्यवधान, बंगाल की खाड़ी के ऊपर लो‑प्रेशर एरिया और राजस्थान में सायक्लोनिक सर्कुलेशन ने नमी‑भरे हवा को उत्तर‑पश्चिम भारत की ओर धकेला, जिससे लगातार वर्षा बनी रही।"

खिचर जी का अनुमान है कि 7 अक्टूबर तक हल्की‑से‑मध्यम बारिश, हवा और बुनियादी तूफान‑बिजली की स्थिति बनी रहेंगी। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर इन प्रणालियों का समन्वय जारी रहा, तो अक्टूबर के मध्य में फिर से बारिश की संभावना बनी रह सकती है।

सरकारी प्रतिक्रिया और अगले कदम

हिसार जिला प्रशासन ने तुरंत राहत टीमें तैनात कर, बाढ़‑प्रभावित गाँवों में बचाव‑सहायता शुरू की। जिले के मुख्य अधिकारी ने कहा, "हमने ऑरेंज अलर्ट के तहत सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को तैयार किया है, और फसल‑बीमा के लिये किसान समूहों को सूचनाएँ भेजी गयी हैं।"

IMD ने भी सतत‑निगरानी का आश्वासन दिया और अद्यतन बुलेटिन हर दो घंटे में जारी करेगा। कृषि मंत्रालय ने फसल‑बीमा के दावे को तेज करने की घोषणा की, साथ ही जल‑निकासी के लिये अस्थायी पम्प और बोरहोल प्रदान करने का वादा किया।

भविष्य की तैयारी: क्या किराया‑बढ़ेगा?

भविष्य की तैयारी: क्या किराया‑बढ़ेगा?

स्थानीय अर्थशास्त्री रिया गुप्ता का मानना है कि इस मौसम‑आफत से किसानों की आय में तुरंत गिरावट आएगी, पर यदि सरकार त्वरित बीमा‑भुगतान और जल‑निकासी कार्यों को तेज़ी से कर ले, तो दीर्घकालिक नुकसान को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "अभी के लिए सबसे बड़ी जरूरत है समय पर सहायता, ताकि किसान अपने फसल‑कटाई को पुनः शुरू कर सकें।"

संक्षेप में, हरियाणा में इस सप्ताह का मौसम अकेला नहीं, बल्कि कई जटिल वायुमंडलीय प्रणालियों का संगम था। यह घटनाक्रम न केवल स्थानीय किसानों के लिये आर्थिक संकट बन गया, बल्कि इस बात का संकेत भी देता है कि आगामी सर्दियों में भी अनिश्चित मौसमी उतार‑चढ़ाव को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

हिसार में 43 mm बारिश का फर्क क्या है?

यह 9 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ता है। पहले सबसे अधिक बारिश 15.6 mm (4 अक्टूबर 2016) थी, अब 43 mm गिनी गई है, जिससे जल‑जमाव, फसल‑क्षति और तापमान में गिरावट देखी गई।

किसानों को किन नुकसान का सामना करना पड़ा?

धान के पौधे जल‑जमाव से ध्वस्त हुए, फसल‑कटाई में देर हुई, फसल‑बीमा के दावे धीमे रहे और लागत‑बढ़ी क्योंकि यांत्रिक कटाई संभव नहीं रही।

IMD ने अगले दो दिनों में क्या पूर्वानुमान दिया?

6‑7 अक्टूबर तक भारी‑से‑बहुत भारी बारिश, तेज़ हवाएँ और बुनियादी तूफान‑बिजली जारी रहने की संभावना, फिर 8‑10 अक्टूबर में सामान्य मौसम।

सरकार ने किस तरह की सहायता की घोषणा की?

जल‑निकासी के लिये अस्थायी पम्प, फसल‑बीमा का त्वरित भुगतान, और प्रभावित क्षेत्रों में आपातकालीन राहत‑टीमों की तैनाती की गई।

भविष्य में ऐसी बारिश को कैसे रोका जा सकता है?

सही समय पर मौसम‑निगरानी, सटीक अलर्ट और जल‑प्रबंधन प्रणाली का विकास यह सुनिश्चित करेगा कि किसान समय पर तैयारी कर सकें और आर्थिक नुकसान घटे।

Ankit Sharma
Ankit Sharma

मैं नवदैनिक समाचार पत्र में पत्रकार हूं और मुख्यतः भारत के दैनिक समाचारों पर लेख लिखता हूं। मेरा लेखन सुचिता और प्रामाणिकता के लिए जाना जाता है।

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10 टिप्पणि
  • Prashant Ghotikar
    Prashant Ghotikar
    अक्तूबर 6, 2025 AT 20:33

    हरियाणा में अचानक आई इस भारी बारिश ने सच में सबको चौंका दिया।
    किसानों के लिए फसल‑नुकसान तो है, लेकिन इस तरह के अलर्ट से तैयारियों में सुधार हो सकता है।
    आशा है कि सरकारी राहत टीमें जल्दी से जल्दी मदद पहुँचा पाएँगी।

  • Sameer Srivastava
    Sameer Srivastava
    अक्तूबर 6, 2025 AT 22:46

    क्या बात है!! मौसम ने तो बिलकुल पागलपन कर दिया!! 43 mm बारिश के साथ हवा भी तगड़ी!! लोग घरों में बंद, खेतों में पानी की लहरें!! फिर भी, IMD की तेज़ी से चेतावनी देना सराहनीय...!!

  • Mohammed Azharuddin Sayed
    Mohammed Azharuddin Sayed
    अक्तूबर 7, 2025 AT 01:00

    IMD ने जो बुलेटिन जारी किया है, उसमें निचले स्तर की जल‑निकासी योजना भी उल्लेखित है। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में जल‑जमाव को कम करने में सहायक हो सकती है। साथ ही, फसल‑बीमा के दावे को तेज़ करने से किसानों को आर्थिक राहत मिल सकेगी।

  • sharmila sharmila
    sharmila sharmila
    अक्तूबर 7, 2025 AT 03:13

    भाईयो और बहिनो, अभी के लिए सबसे जरूरी है कि हम सब मिलके पानी को जल्दी से निकालनें की कोशिश करे। अगर सरकार पम्प और बोरहोल जल्दी दे तो फसल बचाने में मदद मिलेगी।

  • Shivansh Chawla
    Shivansh Chawla
    अक्तूबर 7, 2025 AT 05:26

    देश के किसान नहीं तोड़ेंगे, यह मौसम भी हमारी हिम्मत नहीं हिला सकेगा।

  • Akhil Nagath
    Akhil Nagath
    अक्तूबर 7, 2025 AT 07:40

    प्रकृति के अद्भुत विवर्तन में यह अत्यधिक वर्षा एक गहन संदेश लेकर आती है।
    वायुमंडलीय प्रत्यावर्तन और लो‑प्रेशर प्रणाली का जटिल संयोजन ही इस प्रकार की तीव्र वर्षा का कारण बनता है।
    ऐसे मौसमी उतार‑चढ़ाव न केवल कृषि क्षेत्र को चुनौती देते हैं, बल्कि सामाजिक संरचना पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं।
    पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
    इस संदर्भ में, जल‑प्रबंधन के प्रभावी उपायों को शीघ्रता से लागू किया जाना आवश्यक है।
    सरकार द्वारा प्रदान किए गए अस्थायी पम्प और बोरहोल ग्रामीण जल निकासी में मददगार सिद्ध हो सकते हैं।
    किसानों को फसल‑बीमा के त्वरित दावा प्रक्रिया से आर्थिक बोझ में कमी आएगी।
    साथ ही, समय पर जानकारी का प्रसार तथा चेतावनी प्रणाली को बेहतर बनाना अनिवार्य है।
    विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सहयोग से भविष्य में ऐसी आपदाओं की पूर्वसूचना में सुधार किया जा सकता है।
    हालांकि, मौसमी परिवर्तन की अनिश्चितता हमें सतर्क रखती है।
    सतत निगरानी और डेटा विश्लेषण से हम संभावित जोखिमों का अधिक सटीक अनुमान लगा सकते हैं।
    एकत्रित आंकड़े हमें यह समझने में मदद करेंगे कि किस क्षेत्र में जल‑जमाव की संभावना अधिक है।
    इस प्रकार, नीतिगत निर्णय अधिक लक्षित और प्रभावी हो सकते हैं।
    अंततः, सहनशीलता और सामुदायिक सहयोग ही इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमारी सबसे बड़ी रक्षा है।
    आइए, हम सब मिलकर इस चुनौती को अवसर में बदलें और भविष्य की स्थिरता की दिशा में कदम बढ़ाएँ। 😊

  • anushka agrahari
    anushka agrahari
    अक्तूबर 7, 2025 AT 09:53

    हरियाणा के किसानों को इस कठिन समय में धैर्य बनाए रखना चाहिए; सरकार ने जो सहायता की घोषणा की है वह वास्तव में सराहनीय है; साथ ही, स्थानीय समुदायों को भी मिलजुल कर मदद करनी चाहिए; आशा है कि शीघ्र ही फसल‑कटाई फिर से सामान्य हो जाएगी।

  • aparna apu
    aparna apu
    अक्तूबर 7, 2025 AT 12:06

    ओह! जब मैं हिसार के खेतों को देखता हूँ तो दिल दहला जाता है, जैसे आँसू बूँदों की तरह बरस रहे हों! हर एक खेत में फसल‑बच्ची पानी में डूबी हुई है, और ग्रामीणों के चेहरे पर निराशा का साया मंडरा रहा है! सरकार के पम्प और बोरहोल की बात सुनकर थोड़ा आशा की किरण दिखी, पर क्या ये जल्दी पहुँचेंगे? 🌧️
    इसी बीच, मौसम का अनिश्चितता हमें निरंतर सतर्क रखती है, और हमने सोचा था कि इस साल बस हल्की बारिश ही होगी!
    जब तक ये बूँदें नहीं थमतीं, तब तक हमें मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना ही पड़ेगा।

  • arun kumar
    arun kumar
    अक्तूबर 7, 2025 AT 14:20

    अरे दोस्त, मैं भी वही देख रहा हूँ, लेकिन याद रखो कि हमारे पास हमेशा एक-दूसरे का साथ है। हम मिलकर इस पानी को निकाल सकते हैं, और फिर से नई फसल बो सकते हैं।

  • Navina Anand
    Navina Anand
    अक्तूबर 7, 2025 AT 16:33

    सभी को शुभकामनाएँ, आशा है कि जल्द ही हरियाणा में दरियाई झंकार समाप्त होगी और खेत फिर हरा-भरा हो जाएगा।

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