आईपीएल 2025 की नीलामी में युजवेंद्र चहल का अनुभव उनके लिए भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण रहा। जैसे ही बोली शुरू हुई, चहल ने स्वीकार किया कि उनकी घबराहट इतनी बढ़ गई थी कि वे शुरुआत में इसे देख भी नहीं सके। हालांकि, जब अंततः वे पंजाब किंग्स द्वारा ₹18 करोड़ में खरीदे गए, तो उन्होंने अपने मूल्य को पूरी तरह से जायज बताया।
चहल ने इस बात पर जोर दिया कि उनके अंदर की आवाज ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे इस बड़े दाम के योग्य हैं। क्रिकेट स्थान पर, उनकी पहचान एक प्रमुख स्पिन गेंदबाज के रूप में होती है। आईपीएल में 205 विकेट लेकर वे शीर्ष गेंदबाजों में से एक हैं, और उनकी विविध गेंदबाजी शैली - जिसमें लेग-स्पिनर, दो गुगली और फ्लिपर शामिल हैं - उनके कौशल का प्रमाण है।
उन्होंने कहा कि उनके खेल में मानसिक ताकत का किसी भी शारीरिक क्षमता से कहीं अधिक महत्व है। यह मानसिक ताकत ही उन्हें अन्य खिलाड़ियों से अलग बनाती है।
प्लेऑफ की नई उम्मीदें
चहल का दृढ़ विश्वास है कि वे Heinrich Klaasen और Nicholas Pooran जैसे मजबूत बल्लेबाजों को भी मात दे सकते हैं। उन्होंने इन्हें अपने सबसे चुनौतीपूर्ण विरोधी बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उनके खिलाफ उनकी रणनीति मानसिक रूप से उन्हें पछाड़ने की होगी।
भारतीय सफेद गेंद क्रिकेट टीम से बाहर होने के बावजूद, चहल का ध्यान पूरी तरह से आईपीएल पर है। उनका प्रमुख उद्देश्य पंजाब किंग्स को 2014 के बाद पहली बार प्लेऑफ तक पहुंचाना है, जो कि पिछले वर्ष उनके खराब प्रदर्शन के कारण उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।
चहल का दिमाग इतना मजबूत है कि बोली में डर गए तो भी अंत में ₹18 करोड़ की बोली लगा दी! जबरदस्त!
मानसिक ताकत का मतलब ये नहीं कि तुम डर को नजरअंदाज कर दो... बल्कि ये है कि तुम डर को अपना साथी बना लो। चहल ने यही किया। वो डर के साथ खेले, न कि उसके खिलाफ।
हमारे देश में स्पिनर्स को हमेशा कम दिया जाता है... लेकिन चहल ने साबित कर दिया कि एक अच्छा स्पिनर टीम का खेल बदल सकता है। उनकी गुगली और फ्लिपर तो बस जादू है।
मैंने उन्हें पहले भी देखा है... जब बल्लेबाज उनकी गेंद को समझने की कोशिश करता है, तो उसका चेहरा बदल जाता है। ये वो जादू है जो डेटा से नहीं, दिमाग से आता है।
लेकिन ये बस एक खिलाड़ी की कहानी है... जब तक हम देश के लिए नहीं खेल रहे, तब तक ये सब बेकार है। आईपीएल का क्या फायदा अगर इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं है?
मैं सोच रहा हूँ कि क्या हम इस तरह के खिलाड़ियों को सिर्फ बोली में ही मूल्यांकन कर रहे हैं? क्या हम उनकी लगन, उनकी रातों की नींद, उनकी टीम के साथ बिताई घंटों को नजरअंदाज कर रहे हैं? चहल का ₹18 करोड़ नहीं, उसकी जिद्द है जिसे ये दाम दर्शाता है।
मैं तो रो पड़ी जब उन्होंने बोली जीती... मेरे दादाजी ने भी कहा था कि जो दिल से खेले, उसकी कीमत बाजार में नहीं, दिल में होती है।
बस एक गेंदबाज है। ₹18 करोड़? बस एक बोली है। बहुत बड़ी बात नहीं।
चहल की गेंदबाजी में एक अनूठी शास्त्रीय सटीकता है। उनकी लेग-स्पिन का एंगल, गुगली का डिस्टॉर्शन, फ्लिपर का टाइमिंग - ये सब एक अध्ययन के लायक है।
ये सब बकवास है। इंटरनेशनल क्रिकेट में नहीं खेल पा रहा, फिर भी ₹18 करोड़? ये आईपीएल बाजार है, न कि क्रिकेट टूर्नामेंट। बस एक बड़ा बाजार बन गया है।
मैंने उन्हें एक बार ट्रेनिंग सेशन में देखा था... वो अकेले भी बैटिंग करते हुए गेंदबाजी की शैली बदलते रहते थे। ये लगन देखकर लगता है कि वो खेलने के लिए नहीं, बल्कि खेल के लिए जीते हैं।
चहल की गेंदें तो ऐसी होती हैं जैसे कोई तुम्हें बात कर रहा हो... और तुम बिल्कुल भी नहीं समझ पा रहे कि वो क्या कह रहा है। उसके बाद तुम्हारा बल्ला हवा में उड़ जाता है। ये जादू है, बस।
अब तो भारत के खिलाड़ी भी अपने देश के लिए नहीं खेल रहे... बस पैसे के लिए। ये आईपीएल ने हमारे खिलाड़ियों की आत्मा बेच दी है।