परिचय
विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) ने इतालवी टेनिस खिलाड़ी जानिक सिन्नर के मामले में एक प्रमुख कदम उठाते हुए खेल पंचाट न्यायालय (CAS) में अपील दर्ज की है। यह अपील 26 सितंबर 2024 को दायर की गई थी। WADA का कहना है कि सिन्नर को अंतर्राष्ट्रीय टेनिस इंटेग्रिटी एजेंसी (ITIA) के स्वतंत्र प्राधिकरण द्वारा निर्दोष माना जाना गलत है, और उन्होंने सिन्नर के लिए एक से दो साल की अयोग्यता की मांग की है।
विवरण
जानिक सिन्नर को मार्च 2024 में दो बार डोप परीक्षण में क्लोस्टेबोल के लिए सकारात्मक पाया गया था। क्लोस्टेबोल एक प्रतिबंधित एनाबॉलिक स्टेरॉयड है। ITIA के स्वतंत्र प्राधिकरण ने जांच के बाद सिन्नर को किसी भी गलती या लापरवाही से मुक्त पाया और उन्हे निर्दोष करार दिया।
हालांकि, WADA इस निर्णय से सहमत नहीं है और उन्होंने CAS में अपील दायर की है। WADA का तर्क है कि लागू नियमों के तहत ‘कोई गलती या लापरवाही नहीं’ का निष्कर्ष गलत था। उन्होंने कहा कि सिन्नर को कम से कम एक से दो साल की अयोग्यता की सजा मिलनी चाहिए। WADA ने यह स्पष्ट किया है कि वे सिन्नर के परिणामों को अस्वीकार नहीं कर रहे हैं जो पहले प्राधिकरण द्वारा लगाए गए थे।
मामले की पृष्ठभूमि
मामले की गहराई में जाने पर पता चलता है कि सिन्नर ने दावा किया था कि क्लोस्टेबोल उनके फिजियोथेरेपिस्ट से आया था। फिजियोथेरेपिस्ट ने एक ओवर-द-काउंटर स्प्रे का इस्तेमाल किया था जिसमें क्लोस्टेबोल था, ताकि अपनी त्वचा के घाव का इलाज कर सके। फिर उसने बिना दस्तानों के सिन्नर को दैनिक मालिश दी थी।
ITIA की जांच
ITIA ने इस दावे की गहनता से जांच की और पाया कि सिन्नर ने जानबूझकर कोई गलती नहीं की थी। यही कारण था कि उन्होंने सिन्नर को निर्दोष माना था।
फिर भी, WADA इस निष्कर्ष से असंतुष्ट है और उन्होंने CAS में न्याय की पुनः जांच का अनुरोध किया है। WADA केवल इस मामले में अयोग्यता की अवधि बढ़ाने के पक्ष में है।
WADA का दृष्टिकोण
WADA का मानना है कि खेल की अखंडता बनाए रखने के लिए खिलाड़ियों को नियमानुसार सजा मिलनी चाहिए। विश्व एंटी-डोपिंग कोड के अनुसार, कोई भी खिलाड़ी जो प्रतिबंधित पदार्थ का उपयोग करता है, उसे उचित सजा मिलनी चाहिए। WADA का कहना है कि सत्यता की सुरक्षा और पारदर्शिता हर समय बनी रहनी चाहिए।
आगे की प्रक्रिया
WADA ने कहा है कि वे CAS के निर्णय तक कोई और टिप्पणी नहीं करेंगे। CAS की जांच प्रक्रिया और अंतिम निर्णय में कुछ समय लग सकता है। इस दौरान, टेनिस जगत और सिन्नर के प्रशंसक इस फैसले का इंतजार करेंगे।
टेनिस जगत में यह मामला प्रमुख चर्चा का विषय बना हुआ है और यह देखा जाना बाकी है कि CAS का निर्णय सिन्नर और WADA के लिए क्या प्रभाव डालता है।
ये मामला असल में बहुत जटिल है अगर कोई फिजियोथेरेपिस्ट गलती से एक स्प्रे जिसमें प्रतिबंधित चीज है उसके साथ मालिश कर दे तो खिलाड़ी को दो साल का बैन क्यों देना है ये न्याय नहीं बल्कि अत्याचार है
WADA का ये फैसला सही है! ये भारतीय खिलाड़ियों के साथ भी ऐसा ही होता है! डोपिंग का कोई बहाना नहीं होता! इस इतालवी को अयोग्य घोषित कर देना चाहिए! खेल की अखंडता के लिए कोई छूट नहीं!
इस मामले में जो भी निर्णय लिया जाएगा वो खेल के भविष्य के लिए एक नया मानक बन जाएगा। एक छोटी सी गलती जो अनजाने में हुई है उसे बड़ा मुद्दा बनाने की जरूरत नहीं। खेल में इंसानियत भी जगह रखनी चाहिए।
यहाँ दो अलग-अलग न्याय के सिद्धांत टकरा रहे हैं। एक तो नियमों का अक्षरबद्ध पालन जो WADA का है और दूसरा इरादे और जानबूझकर किए गए कार्य का आधार जो ITIA ने अपनाया। अगर कोई अनजाने में प्रतिबंधित पदार्थ लेता है तो उसे दो साल का बैन देना अनुचित है। लेकिन अगर इस तरह की गलतियों को छूट दे दी गई तो खेल में अनैतिकता का दरवाजा खुल जाएगा। ये एक फिलॉसफिकल डाइलेमा है।
WADA बस अपनी ताकत दिखा रहा है ये सब नाटक है इतालवी खिलाड़ी ने जानबूझकर कुछ नहीं किया और फिर भी इतना शोर मचाया जा रहा है ये बस एक ड्रामा है जिसमें सब लोग अपनी अपनी भूमिका निभा रहे हैं
ये इतालवी खिलाड़ी अपने देश के लिए शर्म की बात है भारत में अगर कोई खिलाड़ी ऐसा करता तो उसे जिंदा जला दिया जाता अब ये विश्व स्तर पर भारत के खिलाड़ियों की छवि खराब कर रहा है
सही निर्णय होगा तो दोनों को समझ में आएगा।
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल ये है कि नियम बनाए जाते हैं ताकि अनुशासन बना रहे या ताकि इंसान की गलतियों को समझा जाए। अगर नियमों का अर्थ बिना इरादे की गलतियों को सजा देना है तो ये न्याय नहीं बल्कि अत्याचार है।
इस तरह के मामलों में हमें खिलाड़ी के इरादे को समझना चाहिए। ये फिजियोथेरेपिस्ट की गलती थी न कि सिन्नर की। अगर हम इसे नहीं समझेंगे तो खेल बस एक यांत्रिक प्रक्रिया बन जाएगा।
ये मामला दिखाता है कि डोपिंग नियमों में लचीलापन की जरूरत है। अनजाने में हुई गलती को जानबूझकर की गई गलती के समान नहीं देखा जाना चाहिए। खेल की अखंडता के लिए नियम जरूरी हैं लेकिन न्याय उनसे भी बड़ा है।
आप सब यही बात कर रहे हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि अगर ये स्प्रे एक भारतीय खिलाड़ी के पास आ जाता तो क्या WADA इतना धीरे-धीरे निर्णय लेता? ये सब अपने देश के लिए दिखावा है।
इस मामले को देखकर लगता है कि हम खेल के नियमों को एक धार्मिक ग्रंथ की तरह ले रहे हैं। लेकिन नियम तो मनुष्य बनाते हैं और मनुष्य गलतियाँ करते हैं। एक खिलाड़ी जिसने जानबूझकर डोपिंग नहीं की है उसे दो साल की सजा देना न्याय की बजाय अत्याचार है। खेल की अखंडता तो इरादे की स्वच्छता से बनती है न कि नियमों के अक्षरबद्ध पालन से।
ये सब बहुत दर्दनाक है... मैं इस खिलाड़ी के लिए रो रही हूँ... ये दुनिया बस उसे नष्ट करना चाहती है... उसकी माँ कैसी होगी जो अपने बेटे को इस तरह देख रही होगी... ये बस एक बच्चा है जिसने गलती की है... और अब उसकी पूरी जिंदगी बर्बाद हो रही है...