जब 24 कैरेट सोना ने 7 अक्टूबर 2025 को 1,20,780 रुपये प्रति दस ग्राम का स्तर छुआ, तो बाजार में हड़कम्प मच गया। इस दिन की कीमत पिछले दिन की 1,19,390 रुपये से एक ही दिन में 1,390 रुपये बढ़ी, जिससे निवेशकों को फिर से सोचने पर मजबूर किया गया। मुंबई के बर्मेज़ी एक्सचेंज पर इस कीमत की घोषणा हुई, जबकि अन्य प्रमुख शहरों में कुछ हद तक अंतर रहा।
देशव्यापी कीमतों का वर्तमान परिदृश्य
भारत में सोने के दरें अब ऑल‑टाइम हाई पर पहुँच चुकी हैं। 24K के साथ 22K और 18K की कीमतें भी क्रमशः 1,10,710 रुपये और 90,590 रुपये प्रति दस ग्राम तक बढ़ गईं। ऐसा इसलिए है क्योंकि दशहरा (2 अक्टूबर) के बाद से उत्सव‑सीजन की मांग में लगातार उछाल देखा गया। इसी दौरान दशहरा पर्वभारत ने सोने की खपत को तेज़ कर दिया।
मुख्य शहरों में कीमतों की तुलना
6 अक्टूबर की सुबह 9:50 ए एम तक की रिपोर्ट से पता चलता है कि मुंबई में 24K सोना ₹12,077 प्रति ग्राम, 22K ₹11,070, और 18K ₹9,058 पर कारोबार हो रहा था। चेन्नई की कीमतें थोड़ी कम – 24K ₹12,066, 22K ₹11,060, 18K ₹9,160 – थीं। बेंगलुरु, हैदराबाद और केरल में कीमतें मुंबई के करीब रही, जबकि दिल्ली में 24K सोना ₹11,954, 22K ₹10,959, 18K ₹8,969 पर था। इन अंतर का मुख्य कारण स्थानीय डिमांड‑सप्लाय की विविधता और आयात शुल्क में छोटे‑छोटे बदलाव हैं।
कीमतों में उछाल के कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि दो प्रमुख कारण इस उछाल को चलाते हैं। पहला, वैश्विक बाजार में अमेरिकी डॉलर की मजबूती और तालाबंद मौद्रिक नीति ने सोने को ‘सुरक्षित आश्रय’ बना दिया। दूसरा, भारत में उत्सव‑सीजन की खरीदारी शक्ति में बढ़ोतरी – खासकर दशहरा और दिवाली के पूर्वावस्था में – ने घरेलू मांग को थ्रस्ट दिया। भारतीय बुलियन मार्केट एसोसिएशन (IBMA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीनों में मौजूदा स्टॉक में 5 % की गिरावट देखी गई।
उपभोक्ताओं और निवेशकों की प्रतिक्रियाएँ
स्थानीय जौहरीयों ने बताया कि ग्राहक अब 10 ग्राम के पैकेट की बजाय 5 ग्राम या 1 ग्राम के छोटे इंस्टेंट्स की मांग कर रहे हैं। एक जौहरी, रवि शूबह, मालिक डायमंड ज्वेलर्स, मुंबई ने कहा, “भले ही कीमतें बढ़ी हैं, लेकिन लोग ‘शुभ’ सोचकर सोना खरीदना नहीं छोड़ते।” दूसरी ओर, निवेशकों में सावधानी बढ़ी है; कई लोग अब सोने के एक्सचेंज‑ट्रेडेड फंड्स (ETF) को प्राथमिकता दे रहे हैं। आरबीआई गवर्नर शशांक दत्त ने हाल ही में एक नोटिस में कहा, “मुद्रा स्फ़ीति के माहौल में सोने की कीमतों में अस्थिरता स्वाभाविक है, परंतु दीर्घकालिक निवेशकों को बाजार के चक्र को समझना चाहिए।”
आगे क्या हो सकता है?
आगामी हफ्तों में दो क्षणिक कारक कीमतों को फिर से बदल सकते हैं। पहली ओर, यदि रात्रि बाजार में यू.एस. फेडरल रिज़र्व की ब्याज दर नीति में बदलाव आता है, तो डॉलर की ताकत में उतार‑चढ़ाव सोने की कीमतों को सीधे प्रभावित करेगा। दूसरी ओर, विदेश में हल्के भू‑राजनीतिक तनाव जैसे मध्य‑पूर्व में तेल की कीमतों में उछाल, सोने को सुरक्षित आश्रय में बदल सकता है। साथ ही, राष्ट्रीय स्तर पर यदि वित्त मंत्रालय आयात शुल्क में कोई कटौती या विशेष कर राहत देता है, तो अस्थायी रूप से कीमतों में सफ़ाई आ सकती है।
- 24K सोना – 1,20,780 रुपये/10 ग्राम (7 ऑक्टूबर)
- 22K सोना – 1,10,710 रुपये/10 ग्राम
- 18K सोना – 90,590 रुपये/10 ग्राम
- चांदी – 156 रुपये/ग्राम (6 ऑक्टूबर)
- मुख्य शहरों में औसत अंतर – लगभग 2 % तक
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सोने की कीमत बढ़ने से आम जनता पर क्या असर पड़ेगा?
ऊँची कीमतों के कारण छोटे-से-बजट वाले परिवारों के लिए 10 ग्राम या अधिक सोना खरीदना मुश्किल हो गया है। कई लोग नक़दी बचत की बजाय छोटे‑छोटे गोल्ड क़्वालिटी ज्वेलरी या टिंकरेटेड इश्यू में निवेश कर रहे हैं।
क्या चांदी की बढ़ती कीमतें भी सोने की कीमतों को प्रभावित करती हैं?
चांदी की कीमतें अक्सर सोने के साथ चलती हैं, परंतु उनका अस्थिरता स्तर अधिक होता है। जब चांदी ₹156/ग्राम पर पहुंची, तो निवेशकों ने सोने की दिशा में भी पूंजी पुनर्संतुलित की, जिससे सोने की कीमतें और ऊपर गईं।
दशहरा के बाद क्यों कीमतें लगातार बढ़ रही हैं?
दशहरा और निकटवर्ती दीपावली दो बड़े त्योहार हैं, जहाँ सोने को शुभ माना जाता है। इन अवसरों पर उपहार‑आदि की मांग में अचानक बढ़ोतरी होती है, जिससे बाजार में सप्लाई‑डिमांड का असंतुलन बनता है और कीमतों में तेज़ी आती है।
भविष्य में सोने की कीमतें स्थिर हो सकती हैं या गिरेंगी?
वित्तीय विश्लेषकों का अनुमान है कि यदि डॉलर की ताक़त घटती है और भारत में आयात शुल्क में राहत मिलती है, तो कीमतें थोड़ी नीचे आ सकती हैं। लेकिन वैश्विक अस्थिरता और मौद्रिक नीति में बदलाव अगर जारी रहे, तो कीमतें ऊँची ही बनी रह सकती हैं।
क्या सोने में निवेश करने के लिए बेहतर विकल्प ETF हैं?
ETF कम प्रीमियम पर सोने के पृष्ठभूमि को ट्रैक करता है, जिससे भौतिक सोने की तुलना में ट्रांसैक्शन लागत कम रहती है। इसलिए कई रिटेल निवेशकों ने हाल के महीने में सोने के ETF में पोर्टफोलियो का हिस्सा बढ़ा दिया है।
आज के सोने के बुलंद स्तर को देखना किसी उच्च वर्गीय क्लब की सदस्यता लिस्ट की तरह लग रहा है; यह असल में व्यापक आर्थिक असमर्थता का प्रतिबिंब है। परिवर्तनशील वैश्विक मुद्रा नीतियों ने भारतीय निवेशकों को एक नई दिशा में धकेल दिया है।