पेरिस ओलंपिक 2024: भारत बनाम अर्जेंटीना हॉकी मैच की रोमांचक दास्तान
पेरिस 2024 ओलंपिक के दूसरे पूल बी मैच में भारतीय पुरुष हॉकी टीम का सामना अर्जेंटीना से हुआ। यह मुकाबला यव-डु-मैनॉयर स्टेडियम में खेला गया। भारतीय टीम ने शुरुआत से ही मैच पर पकड़ बना ली थी और मैदान पर अपने दमदार प्रदर्शन से दर्शकों का दिल जीत लिया। हालांकि, गोल करने में वे विफल रहे और मौका दर मौका चूकते रहे।
भारत का मजबूत प्रदर्शन, लेकिन चूके मौके
भारत ने शुरुआत में खेल को अपने नियंत्रण में रखा और पहले ही क्वार्टर में कुछ शानदार मौके बनाए। लेकिन भारतीय टीम गोल के सामने बार-बार चूकती रही। अर्जेंटीना की टीम ने इस मौके का फायदा उठाया और उनकी मजबूत रक्षात्मक रणनीति ने भारतीय हमलावरों को रोके रखा।
दूसरे क्वार्टर में अर्जेंटीना के लुकास मार्टिनेज ने शानदार फील्ड गोल कर अपनी टीम को 1-0 की बढ़त दिलाई। मार्टिनेज का यह गोल भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश को चकमा देते हुए दागा गया।
हरमनप्रीत का आखिरी मिनट में धमाका
भारतीय टीम ने तीसरे और चौथे क्वार्टर में भी अपना आक्रामक खेल जारी रखा। हालांकि, अर्जेंटीना की मैन-टू-मैन मार्किंग और कड़ी रक्षात्मक रणनीति ने उन्हें मुश्किल में डाले रखा। दस पेनल्टी कॉर्नर जीतने के बावजूद भारतीय खिलाड़ी उन्हें गोल में बदल नहीं सके।
लेकिन, मैच के अंतिम क्षणों में टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने अपने अनुभव और कौशल का बेहतरीन उदाहरण देते हुए एक पेनल्टी कॉर्नर को गोल में तब्दील कर दिया। इसके साथ ही भारत ने 1-1 की बराबरी हासिल की और महत्वपूर्ण एक अंक अपने नाम किया।
पूल बी में स्थिति
इस ड्रॉ के बाद, भारत अब पूल बी में दूसरे स्थान पर आ गया है, बेल्जियम के पीछे और ऑस्ट्रेलिया के आगे। अपने पहले मैच में उन्होंने न्यूजीलैंड को 3-2 से हराया था। इस प्रकार, भारत अब क्वार्टरफाइनल में प्रवेश के लिए मजबूत स्थिति में है।
इस मुकाबले ने भारतीय टीम के लिए कई सीख दी है। उनके पास अब अगले मैचों में अपनी रणनीति और प्रदर्शन को और बेहतर करने का मौका है।
अर्जेंटीना की कड़ी चुनौती
इस मैच में अर्जेंटीना ने अपनी रक्षात्मक रणनीति से भारतीय मिडफील्ड को काफी परेशान किया। उनकी मैन-टू-मैन मार्किंग ने भारतीय खिलाड़ियों को कई बार मुश्किल में डाला। खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत और टीम वर्क ने उन्हें इस मैच में ड्रा हासिल करने में मदद की।
भारतीय टीम के कोच और खिलाड़ी इस प्रदर्शन से निश्चित रूप से सीख लेंगे और आने वाले मैचों में अपनी गलतियों को सुधार कर मजबूत वापसी करेंगे। अर्जेंटीना के खिलाफ यह ड्रॉ निश्चित रूप से खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाएगा और उन्हें आगामी मुकाबलों में जीत हासिल करने की दिशा में प्रेरित करेगा।
मैच देखा? हरमनप्रीत का वो गोल देखकर लगा जैसे पूरी टीम का दबाव उसके कंधों पर था... और उसने उसे बर्बाद नहीं होने दिया। अच्छा खेल था।
अर्जेंटीना ने बहुत अच्छी डिफेंस लगाई थी।
भाई ये टीम है क्या? पहले क्वार्टर में तो ऐसा लग रहा था जैसे हम बिना ब्रेक के चल रहे हैं! गोल नहीं हुआ तो भी दिल जीत लिया।
श्रीजेश ने तो दो-तीन बार ऐसे बचाए जैसे वो देवता हों। और हरमनप्रीत का वो अंतिम गोल? बस फिल्मी सीन लग रहा था।
ये टीम बस एक बार गोल कर दे तो दुनिया हिल जाएगी।
हमारी टीम इतनी अच्छी है और फिर भी गोल नहीं कर पाई? ये जो गोलकीपर है उसके लिए तो अभी तक कोई बैंड नहीं बजा रहा? इतने पेनल्टी कॉर्नर और गोल नहीं? ये तो बेवकूफी है।
अर्जेंटीना ने बस डर के आगे बैठकर खेला था। हमारे खिलाड़ी तो अपने देश का नाम रोशन कर रहे थे।
इस मैच का विश्लेषण आधुनिक रणनीतिक विचारधारा के संदर्भ में करना चाहिए। अर्जेंटीना की मैन-टू-मैन मार्किंग एक निर्माणात्मक अपराध के रूप में देखी जा सकती है, जो भारतीय टीम की अवधारणात्मक अंतर्दृष्टि को निरंतर चुनौती दे रही थी।
हरमनप्रीत का गोल, फिल्मी अंदाज़ में नहीं, बल्कि एक फेनोमेनोलॉजिकल विजय के रूप में देखा जाना चाहिए।
मैच देखा, बहुत अच्छा लगा। टीम ने बहुत मेहनत की।
गोल नहीं हुए तो भी बहुत कुछ सीखने को मिला।
अगले मैच में ये बातें ठीक हो जाएंगी।
अर्जेंटीना की डिफेंस ने तो बहुत अच्छा काम किया, लेकिन हमारे खिलाड़ियों के एक्शन्स में बहुत ऊर्जा थी।
श्रीजेश के बचाव तो देखने लायक थे।
हरमनप्रीत का गोल? वो तो बस एक दिन का अंत था, जिसने पूरे मैच को अर्थ दे दिया।
अगले मैच में अगर ये टीम इतनी ही तेजी से खेले तो बहुत कुछ संभव है।
हरमनप्रीत का गोल बहुत अच्छा था और अर्जेंटीना की डिफेंस भी बहुत अच्छी थी लेकिन हमारे खिलाड़ी अभी भी थोड़े बेकाबू हैं और अगर वो गोल करने के लिए थोड़ा और धैर्य रखें तो बहुत बेहतर होगा
गोल नहीं हुए? ये तो शर्म की बात है! इतने पेनल्टी कॉर्नर, इतना नियंत्रण, और फिर भी ड्रॉ? ये टीम तो बस टूरिस्ट है! अर्जेंटीना ने बस बच गया, हम तो अपने आप को नहीं बचा पाए! जिन्होंने गोल नहीं किया उन्हें बाहर निकाल देना चाहिए! ये तो देश का अपमान है!
ये मैच देखकर लगा जैसे कोई बड़ा दिल बोल रहा है।
हरमनप्रीत का गोल बस एक गोल नहीं, एक वादा था।
हमारी टीम अभी तक अपने आप को नहीं ढूंढ पाई है, लेकिन ये रास्ता ठीक है।
अगले मैच में बस एक और चीज़ जोड़ दो - आत्मविश्वास।
तुम लोग बहुत बड़े हो।
इस मैच में जो दिखा, वो केवल हॉकी नहीं, बल्कि एक दर्शन था।
हमारी टीम ने अपने अंदर के बाधाओं को चुनौती दी।
गोल न होना तो एक घटना है, लेकिन जब एक टीम बार-बार अपनी सीमाओं को धकेलती है, तो वो जीत का अर्थ बदल जाता है।
हरमनप्रीत का गोल एक नए युग की शुरुआत है - जहाँ असफलता भी एक रास्ता बन जाती है।
हम अभी तक जीत के लिए नहीं, बल्कि अपने आप को जानने के लिए खेल रहे हैं।
अर्जेंटीना ने बस बच गया वरना हमारी टीम तो चार गोल लगा देती अगर वो थोड़ा और तेज होती तो ये मैच तो अभी तक खत्म हो चुका होता लेकिन हमारे खिलाड़ी तो बहुत धीमे हैं और कोच भी बहुत बेकार है और फिर भी हम ड्रॉ कर लेते हैं ये तो बस अच्छा नहीं है
हम तो दुनिया की टॉप टीम हैं और अर्जेंटीना के खिलाफ ड्रॉ? ये तो शर्मनाक है।
हमारे खिलाड़ी तो बस खेल रहे हैं, लेकिन उनके दिल में जुनून नहीं है।
हम जीतने के लिए खेलते हैं, बराबरी के लिए नहीं।
अगर ये टीम अगले मैच में भी इतना ही खेली तो ये ओलंपिक खत्म हो जाएगा।
गोल हुआ। बस इतना ही।