बंगाली अभिनेता – इतिहास, प्रमुख हस्तियाँ और नई फ़िल्में
अगर आप बंगाली सिनेमा के fan हैं तो आप शायद कई नाम सुनते होंगे – उट्टम कुमार, सोज़ी चोत्री, प्रोसेंजित और नई पीढ़ी के देव। लेकिन इन कलाकारों के पीछे कौन‑से किस्से हैं, कैसे उनका करियर बना और आज कौन‑से प्रोजेक्ट चलते हैं, इस पर अक्सर नहीं बताते। यहाँ हम सादे अंदाज़ में उन सब बातों को जोड़ते हैं, ताकि आप आसानी से वाकिफ़ हो सकें।
क्लासिक दौर के सुपरस्टार
1950‑60 के दशक में बंगाली फिल्म इंडस्ट्री का केन्द्र कोलकाता था और उट्टम कुमार को ‘মেঘের রাজা’ यानी ‘बादलों का राजा’ कहा जाता था। उनका कुदरती आकर्षण और असाधारण डांसिंग ने ‘नाओ बंधन’ जैसी यादगार फ़िल्में लाई। इसी समय इतनी ही चमक दिखाने वाली अभिनेत्री सुथीरा सेन थीं, जो ‘गीता गोडोबिंदू’ जैसी क्लासिक में अपनी भावनात्मक अभिनय से दिल जीत लीं।
सौमित्र चटर्जी, सत्री जॉय, और बिचीला दास जैसे कलाकारों ने सत्या रहेत रैया की फिल्मों में नई ऊर्जा लाई। ‘पाथेर पायेल’ और ‘नडुश कोशा’ जैसी फ़िल्मों में उनके किरदार आज भी याद किए जाते हैं। ये नाम सिर्फ़ पुरानी याद नहीं, बल्कि आज के कई युवा फ़िल्ममेकर को प्रेरणा भी देते हैं।
आधुनिक बंगाली अभिनेता और नई दिशा
1990‑2000 के दशक में प्रोसेंजित चट्टोपाध्याय ‘बंगाली फिल्म का राजा’ बनकर उभरे। ‘दुश्मनी’, ‘अऩुर्शो’ जैसी फिल्मों ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। रितुपर्णा सेनगुप्ता को ‘रानी का रानी’ कहा जाता था, जो रोमांस और ड्रामा दोनों में माहिर थीं। उनके साथ कई सफल जोड़े बने, जैसे प्रोसेंजित‑रितुपर्णा का ‘लाल जेरो’।
आज की नई लहर में देव, पैरामब्राता चट्टोपाध्याय, जीशु सेनगुप्ता जैसे कलाकारों ने बॉक्स ऑफिस पर नई चमक लाई है। देव की ‘ब्लैक ज़ीरो’ और ‘डॉर्ट डॉर्मास’ जैसी फ़िल्में युवाओं में बेहद लोकप्रिय हैं। पैरामब्राता ने ‘कश आयो’ जैसी फिल्म से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई, जबकि जीशु ने अब बॉलीवुड में भी कदम रखे हैं।
इन कलाकारों की फ़िल्में सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक मुद्दों को भी उजागर करती हैं। चाहे ‘वेस्ट बॉर्न’ की कहानी हो या ‘सॉबर’ की सामाजिक आलोचना, बंगाली अभिनेता अक्सर गहरी बात कहने का साहस रखते हैं।
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12 नवंबर 2024
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प्रसिद्ध बंगाली अभिनेता और नाटककार मनोज मित्रा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण कोलकाता के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उन्हें बांग्ला थियेटर और सिनेमा में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। वे 'सजाना बागान' पर आधारित फिल्म 'बंचारामेर बागान' में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध थे। उनके भाई अमर मित्रा ने उनकी मृत्यु की पुष्टि की।
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