बांग्ला सिनेमा: नई फ़िल्मों, रिव्यू और चर्चित कलाकार
अगर आप फिल्मी दुनिया में कुछ अलग देखना चाहते हैं तो बांग्ला सिनेमा आपके लिए बढ़िया विकल्प है। यहाँ की कहानी‑संकल्पना, संगीत और एक्टिंग अक्सर दिल को छू लेती है। इस लेख में हम बांग्ला सिनेमा के सबसे ज़्यादा चर्चित पहलुओं को आसान भाषा में समझाएंगे।
बांग्ला सिनेमा का इतिहास और विकास
बांग्ला सिनेमा की शुरुआत १९०० के दशक में हुई, लेकिन १९५०‑६० के दशक में ही यह पहचान बना ली। सत्यानंदा दास, रवि शंकर जैसे दिग्गज निर्देशक ने रोज़मर्रा की कहानियों को बड़े पर्दे पर लाया। उस समय की फ़िल्में सामाजिक मुद्दों को हल्के‑फुल्के अंदाज़ में पेश करती थीं, जिससे जनता को गहराई से जोड़ पाती थीं।
समय के साथ तकनीक में प्रगति हुई, रंगीन फ़िल्में, आधुनिक साउंड डिजाइन और खास़ी तौर‑तरीके आए। आज बांग्ला सिनेमा में एक्शन, रोमांस, थ्रिलर और आर्ट‑हाउस सभी शैली मिलती‑जुलती हैं। इस बदलाव ने नई पीढ़ी के दर्शकों को भी आकर्षित किया है।
2025 की प्रमुख बांग्ला फ़िल्में और क्या देखें
2025 में बांग्ला सिनेमा ने कई हिट फ़िल्में रिलीज़ की हैं। ‘परिवारिक बंधन’ एक दिल को छू लेने वाली ड्रामा है जहाँ दो भाईयों के बीच की टकराव और फिर मिलना दिखाया गया है। अभिनय में अर्जुनी दास और तारा डास ने जबरदस्त काम किया।
अगर एक्शन पसंद है तो ‘रोड रेज़र’ को मिस न करें। यह फ़िल्म बांग्ला में पहले बार हाई‑स्पीड रेसिंग को दिखाती है, और साउमा रॉय की स्टंट ड्राइविंग ने दर्शकों को हिला कर रख दिया।
संगीत प्रेमियों के लिए ‘सुरों की धारा’ एक सौंदर्य है। इसमें गाओरविक दास ने अपने गाने के साथ फिल्म को एक अलग ही रंग दिया। हर गीत में बंगाली लोक संगीत की झलक मिलती है, जो दिल को सुकून देती है।
इन फ़िल्मों के अलावा कई छोटे‑बड़े प्रोजेक्ट भी हों‑गर रहे हैं, जैसे डॉक्यूमेंट्री ‘बंगाल की सड़कों पर’ जो शहर की रोज़मर्रा की ज़िंदगी को संजीदा लेंस से दिखाती है। अगर आप इंडी सिनेमा के शौकीन हैं तो यह जरूर देखें।
बांग्ला सिनेमा में अब महिला निर्देशक भी बढ़ती दिख रही हैं। वित्ता शर्मा की ‘नयी राह’ ने महिलाओं के अधिकारों को नई दृष्टि से पेश किया है, और इसे कई फिल्म फ़ेस्टिवल में सराहा गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उद्योग अब विविधता को स्वीकार कर रहा है।
फ़िल्म देखने के बाद अक्सर ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर रिव्यू पढ़ना उपयोगी रहता है। यहाँ पर कई हिंदी‑बोलने वाले साइट्स भी बांग्ला फ़िल्मों की सरल भाषा में समीक्षा करती हैं, जिससे आप आसानी से समझ सकते हैं कि कौन सी फ़िल्म आपके मूड के हिसाब से सही रहेगी।
अंत में, बांग्ला सिनेमा का सबसे बड़ा आकर्षण उसकी सादगी है। बड़े बजट वाली फ़िल्में कभी-कभी अंधेरे में डूब जाती हैं, लेकिन बांग्ला फ़िल्में दिल‑से बात करती हैं। इसलिए अगली बार जब भी फ़िल्म का विकल्प चुनें, तो बांग्ला सिनेमा की ओर एक नज़र जरूर डालें।
12 नवंबर 2024
·
0 टिप्पणि
प्रसिद्ध बंगाली अभिनेता और नाटककार मनोज मित्रा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण कोलकाता के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उन्हें बांग्ला थियेटर और सिनेमा में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। वे 'सजाना बागान' पर आधारित फिल्म 'बंचारामेर बागान' में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध थे। उनके भाई अमर मित्रा ने उनकी मृत्यु की पुष्टि की।
और पढ़ें