प्राइवेट इक्विटी: सरल शब्दों में पूरी जानकारी

अगर आपने कभी ‘प्राइवेट इक्विटी’ नाम सुना है तो समझिए कि यह कंपनियों के लिए एक खास प्रकार की फाइनेंसिंग है। सार्वजनिक शेयर बाजार में नहीं, बल्कि निजी तौर पर लगाई गई पूंजी को कहते हैं प्राइवेट इक्विटी। आम लोगों की नजर में यह जटिल लग सकता है, लेकिन असल में यह निवेशकों और कंपनियों दोनों के लिए win‑win अवसर देता है।

प्राइवेट इक्विटी कैसे काम करती है?

एक प्राइवेट इक्विटी फंड एक समूह होता है जो कई निवेशकों (जैसे संस्थागत फंड, हाई‑नेट‑वर्थ लोग) से पैसा इकट्ठा करता है। फिर वह इस पूँजी को चुनिंदा कंपनियों में निवेश करता है, अक्सर तब जब कंपनी को विस्तार, नई प्रोडक्ट लॉन्च या बोरिंग समस्याओं को हल करने की जरूरत होती है। फंड कंपनी की हिस्सेदारी खरीदता है और आम तौर पर 3‑7 साल में कंपनी को बेचा जाता है या सार्वजनिक किया जाता है, जिससे निवेशकों को रिटर्न मिलता है।

फायदे और जोखिम: क्या सोचना चाहिए?

फायदे देखिए—पहला, कंपनियों को बड़ी रकम जल्दी मिलती है, जिससे वे जल्दी बढ़ सकती हैं। दूसरा, फंड के पास पेशेवर मैनेजर्स होते हैं जो कंपनी को बेहतर बनाने के लिए रणनीति, नेटवर्क और ऑपरेशनल मदद देते हैं। तीसरा, अगर फंड सफल रहा तो निवेशकों को हाई रिटर्न मिल सकता है, अक्सर पब्लिक मार्केट रिटर्न से दो‑तीन गुना तक।

पर जोखिम भी है। प्राइवेट इक्विटी में पैसा अक्सर 5‑10 साल तक लॉक रहता है, इसलिए लिक्विडिटी कम होती है। अगर कंपनी का बिजनेस मॉडल विफल हो गया तो निवेश का पूरा या बड़ा हिस्सा खो सकता है। साथ ही फंड की फीस, मैनेजमेंट चार्ज आदि भी रिटर्न को कम कर सकते हैं। इसलिए निवेश करने से पहले फंड की ट्रैक रिकॉर्ड, टीम और निवेश रणनीति को समझना जरूरी है।

अगर आप व्यक्तिगत रूप से प्राइवेट इक्विटी में निवेश करना चाहते हैं तो दो रास्ते हैं। एक है बड़े फंड में सीधे निवेश करना, जिसके लिए बहुत बड़ी रकम चाहिए। दूसरा है ‘प्राइवेट इक्विटी फंड्स ऑफ फंड्स’ या प्लेटफ़ॉर्म्स जो छोटे निवेशकों को समूह में हिस्सा खरीदने का अवसर देते हैं। इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर न्यूनतम निवेश 5‑10 लाख रुपये तक हो सकता है, पर फिर भी अवधि लंबी रहती है।

आजकल टेक, हेल्थकेयर और क्लीन एनर्जी जैसे सेक्टर में प्राइवेट इक्विटी की माँग बढ़ी है। कंपनियां तेज़ी से स्केल अप करना चाहती हैं, और फंड्स ऐसे हाई‑ग्रोथ स्टार्टअप्स को फाइनेंसिंग दे रहे हैं। इसलिए इस क्षेत्र में जॉब के मौके, स्किल ट्रेनिंग और नेटवर्किंग की भी बड़ी संभावनाएँ हैं।

संक्षेप में, प्राइवेट इक्विटी एक ऐसी फाइनेंसिंग मॉडल है जहाँ पूँजी और विशेषज्ञता दोनों मिलते हैं, जिससे कंपनियां तेज़ी से बढ़ती हैं और निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिल सकता है। लेकिन इसका मतलब है कि पैसा लंबी अवधि के लिए बंद रहेगा और जोखिम भी उतना ही है। इसलिए खुद को अच्छी तरह जानकारी दें, अपने वित्तीय लक्ष्य समझें और फिर ही इस रास्ते पर कदम रखें।

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