प्लेयर के लिए प्रैक्टिस सेशन कैसे मैक्सिमाइज़ करें
ज्यादातर खिलाड़ी कहते हैं कि जीत का राज ट्रेनिंग में है। लेकिन अक्सर हम सोचते हैं कि सिर्फ़ अभ्यास करना ही काफ़ी है। असल में प्रैक्टिस सेशन की डिजाइन, फोकस और रिफ्लेक्शन ही तय करती है कि आप कोर्ट, पिच या फील्ड पर कितना आगे बढ़ पाएँगे।
अगर आप अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते और हर सत्र से कुछ नया सीखना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए टिप्स को अपनाएँ। ये टिप्स खासकर क्रिकेट जैसे टीम स्पोर्ट्स में काम आते हैं, पर किसी भी खेल में लागू हो सकते हैं।
बाबर आज़म की प्रैक्टिस सेशन से सीखें
हाल ही में बाबर आज़म ने एक प्रमुख मैच से पहले अपनी प्रैक्टिस सेशन छोड़ ली, जिससे मीडिया में काफी चर्चा हुई। इसका मतलब यह नहीं कि वह नहीं खेलते— बल्कि उनका निर्णय दर्शाता है कि गुणवत्ता मात्रा से बेहतर है। उन्होंने बताया कि वह अपने बॉलिंग और बैटिंग रूटीन को तब तक दोहराते हैं जब तक वह आराम महसूस न करें।
यहाँ से दो मुख्य बातें निकाल सकते हैं:
- सत्र शुरू करने से पहले लक्ष्य तय करें – जैसे कोई खास शॉट या डिलिवरी बनाना।
- यदि ऊर्जा या फॉर्म नीचे है, तो हार्ड ट्रै닝 से नहीं, बल्कि रीकवरी पर ध्यान दें।
बाबर की कहानी इंगित करती है कि कभी‑कभी थोड़ा ब्रेक लेना भी आपके पूरे सीज़न को बचा सकता है। इसलिए अपने शरीर की सुनें, लेकिन बिना कारण रूटीन नहीं छोड़ें।
अपनी प्रैक्टिस रूटीन बनाना
हर खिलाड़ी का शरीर, तकनीक और समय अलग होता है, इसलिए एक‑साइज़‑फिट‑ऑल प्लान नहीं चलता। प्लान बनाते समय ये कदम फॉलो करें:
- वार्म‑अप को प्राथमिकता दें – हल्का जॉग, स्ट्रेच या फील्ड ड्रिल्स 10‑15 मिनट के लिए। इससे चोट जोखिम घटता है।
- मुख्य कौशल पर फोकस लागू करें – अगर आप बॉलिंग पर काम कर रहे हैं, तो एक ही लाइन अप के 6‑8 बॉल्स पर ज़ोर दें, फिर बदलें।
- आराम का समय तय करें – 5‑10 मिनट का छोटा ब्रेक मस्तिष्क को रिफ्रेश करता है और फॉर्म में गिरावट नहीं आने देता।
- वीडियो रिव्यू – सत्र के बाद 2‑3 मिनट में अपने शॉट्स या डिलीवरी को देखें, सुधार के पॉइंट नोट करें।
- कूल‑डाउन – हल्का स्ट्रेच या धीमी चलना से शरीर को ठंडा करें, इससे मसल रीकवरी तेज़ होती है।
इन बुनियादी कदमों को हर हफ़्ते दोहराएँ और धीरे‑धीरे अपनी प्रगति देखें।
एक और छोटा लेकिन असरदार ट्रिक है माइंडसेट ट्रैकिंग। हर सत्र के बाद 3‑4 लाइनों में लिखें कि आप कैसे फील कर रहे थे, कौन‑से शॉट्स अच्छे हुए और किसमें सुधार चाहिए। यह लिखित रिकॉर्ड आपके अगले सत्र को फोकस्ड बनाता है।
जब आप टीम में खेलते हैं, तो अपने कोच और टीममेट्स को भी शामिल करें। अक्सर उनका फीडबैक आपके खुद के नज़रिए से छूटे पॉइंट्स को उजागर कर देता है। साथ ही, टीम के साथ सिंक्रनाइज़्ड प्रैक्टिस से कॉम्युनिकेशन और समझ बढ़ती है, जो मैच में बड़ी मदद करती है।
अंत में, ध्यान रखें कि प्रैक्टिस सिर्फ़ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक भी होनी चाहिए। विजुअलाइज़ेशन, छोटे‑छोटे पोज़िटिव अफ़र्मेशन और ब्रीदिंग एक्सरसाइस आपके फोकस को बढ़ा सकते हैं।
तो अगली बार जब आप अपने ट्रैनिंग ग्राउंड पर कदम रखें, तो लक्ष्य, फॉर्म और फीडबैक को साथ रख कर चलें। यही सही प्रैक्टिस सेशन की कुंजी है और यही आपको मैदान पर बेहतर प्रदर्शन की ओर ले जाएगी।
24 जुलाई 2024
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नए हेड कोच गौतम गंभीर के मार्गदर्शन में सुर्यकुमार यादव और उप-कप्तान शुभमन गिल की अगुवाई वाली टीम इंडिया ने श्रीलंका दौरे की शुरुआत की। टीम सोमवार को मुंबई से कोलंबो होते हुए पाल्लेकेल पहुंची और मंगलवार को पहला प्रैक्टिस सेशन आयोजित किया।
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