विक्रम मिश्री का नाम भारतीय कूटनीति में एक प्रमुख स्थान रखता है। 1989 बैच के भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी विक्रम मिश्री ने विदेशी मामलों को समर्पित करियर में कई जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है। अब, उन्हें भारत के नए विदेश सचिव नियुक्त किया गया है, जहाँ वे हर्ष वर्धन श्रृंगला का स्थान लेंगे, जो 30 अप्रैल 2023 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
भारत के नए विदेश सचिव के रूप में विक्रम मिश्री की नियुक्ति इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे भारत-चीन संबंधों को बेहतर तरीके से संभालने की कला में माहिर हैं। विक्रम मिश्री वर्तमान समय में चीन में भारत के राजदूत के रूप में कार्यरत हैं, जहाँ उन्होंने कई जटिल कूटनीतिक मुद्दों का समाधान करने में विशेष भूमिका निभाई है। इन मुद्दों में लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव और कोरोना महामारी के समय भारतीय नागरिकों की सुरक्षा शामिल है।
विक्रम मिश्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी सचिव के रूप में 2014 से 2019 तक सेवा दी है। उस दौरान उन्होंने भारतीय विदेश नीति को नए सिरे से आकार देने और इसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मिश्री का कॅरियर विभिन्न जिम्मेदारियों और भूमिकाओं से सुसज्जित है। उन्होंने विदेश मंत्रालय में उप सचिव और निदेशक के रूप में भी कार्य किया है।
विदेश मंत्रालय में प्रमुख भूमिकाएँ
विक्रम मिश्री का अनुभव पाकिस्तान और अफगानिस्तान मामलों में विशेष है। उन्होंने इस्लामाबाद, काबुल और वाशिंगटन डीसी में भारतीय मिशनों में कार्य किया है। मिश्री ने बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका डेस्क के संयुक्त सचिव के तौर पर भी सेवाएं दी हैं, जहाँ उन्होंने संबंधित देशों के साथ भारत के संबंधों को मज़बूत बनाने का प्रयास किया।
व्यक्तिगत उपलब्धियाँ
विक्रम मिश्री ने कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सरकारों के साथ प्रभावशाली संबंध बनाए रखे हैं। उनके कूटनीतिक कौशल के कारण उन्हें कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ और चर्चाएँ सौंपे गए हैं। उनके कार्यकाल में भारत ने विभिन्न देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
भारत के अंतर्राष्ट्रीय समृद्धि और विदेश नीति में उनकी गहरी समझ और विविध अनुभव से भारत को कई लाभ मिलने की संभावना है। विक्रम मिश्री न केवल चुनौतियों को समझते हैं, बल्कि उनके हल के लिए रणनीतिक समाधान भी निकाल सकते हैं। उनके नेतृत्व में, विदेश मंत्रालय को वैश्विक मंच पर मजबूती से आगे बढ़ाने की उम्मीद है।
विदेश सचिव की भूमिका
भारत के विदेश सचिव के रूप में, मिश्री को सरकार को विदेशी नीतियों पर परामर्श देने, विदेशी मिशनों के संचालन का निरीक्षण करने और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और विदेशी सरकारों के साथ संवाद करने की जिम्मेदारी होगी। उनकी नियुक्ति ऐसे समय हो रही है जब भारत की ग्लोबल प्रोफाइल बढ़ रही है और एक कुशल राजनयिक की आवश्यकता है जो जटिल भू-राजनीतिक संबंधों को समझरे।
मिश्री की नियुक्ति से भारतीय विदेश नीति में कई नए आयाम जुड़ने की संभावना है। उनकी कूटनीति की महारत और अनुभव से उन्हें विभिन्न मुद्दों पर सरकार को आवश्यक परामर्श देने में मदद मिलेगी। आने वाले समय में, विक्रम मिश्री से उम्मीद की जा रही है कि वे भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को और मजबूत बनाएंगे और देश को वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण भूमिका में लेकर जाएंगे।
भविष्य की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
विदेश सचिव बनने के बाद विक्रम मिश्री के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ होंगी। इनमें भारत-चीन संबंध, नई वैश्विक सुरक्षा चुनौतियाँ, विदेशी व्यापार और निवेश, और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करना शामिल हैं। इसके अलावा, भारत को अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में अपनी भूमिका को और मजबूत करना होगा, जिसमें मिश्री की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
उनकी नियुक्ति से भारत को लाभ हो सकता है क्योंकि वे केवल पारंपरिक कूटनीति तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि नई तकनीकों और साधनों का भी उपयोग करेंगे। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को प्रबल करने के लिए मिश्री की तत्परता और नवप्रवर्तनशील दृष्टिकोण आवश्यक होंगे।
कुल मिलाकर, विक्रम मिश्री की नियुक्ति एक सकारात्मक कदम है और इससे उम्मीदें भी बढ़ी हैं। उनसे आशा है कि वे कूटनीतिक क्षेत्रों में देश को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का काम करेंगे।
भविष्य में विकासशील रिश्तों, कूटनीतिक जटिलताओं और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सक्रिय भागीदारी हेतु विक्रम मिश्री का अनुभव भारत के लिए मूल्यवान साबित हो सकता है। सभी निगाहें अब उनके नए कार्यकाल पर टिकी होंगी, और देश को उनसे बड़ी उम्मीदें हैं।
इतना अनुभवी आदमी है और अभी तक इतना कम चर्चा हुआ? जब भी चीन के मामले में कोई गड़बड़ होती है, तो वो हमेशा वहाँ होते हैं। उनकी शांति और दूरदर्शिता की वजह से लद्दाख में भी तनाव कम हुआ है। मुझे लगता है भारत को इन्हीं लोगों की जरूरत है, न कि बोलने वालों की।
ये सब बकवास है। एक आदमी का करियर देखकर उसे विदेश सचिव बना दिया? कोई असली नेता नहीं है क्या? हर्ष वर्धन श्रृंगला ने जो किया उसकी जगह ये ले रहा है? बस एक बुद्धिजीवी बनाने की कोशिश है।
विक्रम मिश्री की नियुक्ति केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि भारतीय राजनयिक परंपरा के अंतर्गत एक विचारधारात्मक विकास है। उनका अनुभव उन्हें केवल एक अधिकारी नहीं, बल्कि एक राजनीतिक विश्लेषक बनाता है। उनकी भूमिका अब देश की सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान के संरक्षण के साथ-साथ उसकी आर्थिक स्वावलंबन के लिए भी महत्वपूर्ण होगी।
चीन के साथ बातचीत करने वाला विदेश सचिव? बस यही काफी है। वो लोग जो चीन के साथ बात करते हैं, वो उनके लिए आसानी से बेच जाते हैं। भारत को अब एक लड़ाकू नेता चाहिए, न कि एक बातचीत करने वाला। लद्दाख में जो हुआ, उसकी जिम्मेदारी इन्हीं के नरम दृष्टिकोण की है।
इनका नाम पहली बार सुना, लेकिन जो भी देखा उसमें बहुत गहराई है। वाशिंगटन, इस्लामाबाद, काबुल - ये सब जगहों पर रहकर अनुभव जमाया है। ये आदमी बस एक अधिकारी नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है। उम्मीद है वो नई दिशा देंगे।
ये आदमी तो एक जीवित इतिहास है! जब मैं छोटा था, तब भी उनके नाम का जिक्र होता था। उन्होंने न सिर्फ भारत की नीतियों को बदला, बल्कि उन्होंने दुनिया को भारत को समझने का नया तरीका दिखाया। अगर ये नेतृत्व जारी रहा तो भारत अब बस एक देश नहीं, एक विचार हो जाएगा।
ये सब लोग बस अपने बारे में बात कर रहे हैं। क्या कोई याद करता है जब चीन ने हमारे नागरिकों को निकालने में देर की? क्या इन्होंने उस वक्त कुछ किया? ये सब लोग बस शो के लिए बने हैं। असली देशभक्ति तो वो है जो जमीन पर काम करता है, न कि नौकरियों का जिक्र करता है।
मिश्री की नियुक्ति एक उचित चयन है, लेकिन उनकी विचारधारा को समझने के लिए हमें उनके लेखन और उनके विदेश मंत्रालय के आंतरिक दस्तावेजों को अध्ययन करना होगा। वे एक राजनयिक हैं, न कि एक राजनेता। उनकी शक्ति उनकी विश्लेषणात्मक गहराई में है, न कि उनके नाम की चर्चा में।
इन दिनों जब हर कोई बड़ी बात कर रहा है, तो इस तरह के शांत और अनुभवी लोगों की जरूरत है। उन्होंने कभी नाम नहीं बनाया, लेकिन हर बड़े फैसले में उनकी छाप है। भारत को ऐसे लोगों की जरूरत है - जो बोलें नहीं, बल्कि करें।
क्या कोई जानता है कि विक्रम मिश्री ने 2016 में बांग्लादेश के साथ सीमा समझौते में क्या भूमिका निभाई? उनकी चालाकी ने दोनों देशों को एक दूसरे के बारे में नया नजरिया दिया। अगर ये नियुक्ति उसी तरह के अंतरराष्ट्रीय समझौतों को लाए, तो ये बहुत बड़ी बात होगी।
मिश्री के बारे में बहुत कम बात होती है लेकिन जब कोई बड़ा मुद्दा आता है तो वो हमेशा वहाँ होते हैं। चीन के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने बहुत कुछ संभाला था। अब ये नियुक्ति एक बड़ा संकेत है कि भारत गहराई में जा रहा है, न कि सिर्फ शो के लिए।
हर्ष वर्धन श्रृंगला को बर्खास्त कर दिया गया और इस बूढ़े नौकरशाह को बुलाया गया? ये तो बस एक बदलाव का नाटक है। भारत को चाहिए एक ऐसा आदमी जो चीन के सामने दांत दिखाए, न कि उसके साथ चाय पीए। ये लोग बस अपनी नौकरी बचाने के लिए बने हैं।
मैंने अपने बच्चों को विक्रम मिश्री के बारे में बताया - कि एक आदमी अपने काम से देश को बदल सकता है, बिना किसी ट्रेंड के। वो बिना शो के जीते हैं। ये एक ऐसा नेता है जिसे हम सिखाना चाहिए, न कि आलोचना करना।
विक्रम मिश्री की नियुक्ति एक ऐतिहासिक मोड़ है - एक ऐसा व्यक्ति जिसने अपने करियर के दौरान भारत के विदेश नीति के आधार को बदल दिया है। उन्होंने राजनयिक निर्णयों को आर्थिक और सामाजिक तथ्यों के साथ जोड़ा है। ये नियुक्ति केवल एक नियुक्ति नहीं, बल्कि एक नए दृष्टिकोण की शुरुआत है।
इनको विदेश सचिव बनाया गया? तो फिर विदेश मंत्री कौन है? ये सब लोग अपने नाम बनाने के लिए बने हैं। कोई भी असली बदलाव नहीं होगा। ये सब बस एक नए नाम का शो है।
चीन के साथ बातचीत करने वाले आदमी को विदेश सचिव बनाया गया? ये तो भारत की नीति को ही बेचने का नाम है। हमें चाहिए एक ऐसा आदमी जो चीन के सामने अपने देश की गरिमा को बचाए, न कि उसके साथ बैठकर चाय पीए। ये लोग बस अपनी नौकरी के लिए बने हैं।