अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की प्रेरणा
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2024 ने एक बार फिर लोगों को योग के लाभों के बारे में जागरूक किया है। योग, जो प्राचीन भारत में उत्पन्न हुआ था, आज पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो चुका है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। इसके माध्यम से व्यक्ति लचीला बनता है, ताकत पाता है, संतुलन में सुधार करता है। इसके साथ ही यह खून के संचार को बढ़ाता है, जोड़ों की सेहत को बनाए रखता है और वजन प्रबंधन में मदद करता है। मानसिक रूप से, यह व्यक्ति को संतुष्टि और शांति का अनुभव दिलाता है, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ाता है और तनाव को कम करता है।
योग से जुड़े आम मिथकों का पर्दाफाश
डॉ. आकाश तंवर, एक प्रतिष्ठित योग विशेषज्ञ और वेलनेस कोच, ने योग से जुड़े 10 प्रमुख मिथकों को स्पष्ट किया है जो अनेक लोगों के ध्यान में आए हैं। उनकी राय में, यह मिथक योग के वास्तविक लाभों और इसकी सभी के लिए उपयुक्तता को कम समझने का परिणाम हैं। आइए जानते हैं कि वे कौन से मिथक हैं:
- योग केवल लचीले लोगों के लिए है
- योग केवल पतले व्यक्तियों के लिए है
- योग केवल महिलाओं के लिए है
- योग का अभ्यास केवल युवा लोग कर सकते हैं
- योग सिर्फ ध्यान करने वाले लोगों के लिए है
- योग केवल स्ट्रेचिंग पर आधारित है
- योग के लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है
- योग अनिवार्य रूप से धार्मिक है
- योग हमेशा सरल होता है
- योग के अभ्यास से तुरंत लाभ दिखाई देते हैं
सभी के लिए योग
डॉ. तंवर इस बात पर जोर देते हैं कि योग हर किसी के लिए है, चाहे वे कितने भी लचीले हों या नहीं। योग का अभ्यास करने के लिए पतला होना भी आवश्यक नहीं है। ये गलतफहमियाँ लोगों को योग के वास्तविक लाभों से दूर करती हैं। योग में ऐसा कुछ भी नहीं है जो उसे केवल महिलाओं तक सीमित कर दे। यह पुरुषों और बच्चों के लिए भी उतना ही लाभकारी है। यह किसी उम्र के लोगों द्वारा किया जा सकता है, चाहे वे किसी भी स्थिति में हों।
मन और शरीर का संतुलन
योग से जुड़ा दूसरा मिथक यह है कि यह केवल ध्यान करने वाले लोगों के लिए है। सच्चाई यह है कि योग में शरीर की ताकत, संतुलन और लचीलापन बढ़ाने के तरीके भी होते हैं। इसलिए, यह केवल स्ट्रेचिंग ही नहीं है, बल्कि एक सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक अभ्यास है। योग का उद्देश्य ध्यान के माध्यम से मन को शांति और स्पष्टता प्रदान करना है, लेकिन यह उसी वक्त शारीरिक मुद्दों पर भी ध्यान देता है।
योग के लिए कोई विशेष उपकरण नहीं
योग के लिए फैंसी उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती है। बस एक योगा मैट और आरामदायक कपड़ों की आवश्यकता होती है। योग किसी भी अनिवार्य धार्मिकता से भी मुक्त है। इसलिए इसे करने के लिए किसी विशेष धार्मिक प्रक्रिया का पालन करना जरूरी नहीं है। यह एक शारीरिक और मानसिक अनुशासन है जो आपके स्वास्थ्य और भलाई को बढ़ाता है।
फिजिकल चैलेंजिंग भी है
कुछ लोग मानते हैं कि योग हमेशा सरल होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। योग के कई प्रकार होते हैं और कुछ अभ्यास बहुत ही चुनौतीपूर्ण होते हैं। योग आपके शरीर कीूद परख और बेहतर बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की मुद्रा प्रदान करता है। इसमें समय लगता है और लगातार अभ्यास करने की जरूरत होती है।
योग के लाभ जानें
डॉ. तंवर यह भी बताते हैं कि योग के लाभ तुरंत नहीं दिखते। यह एक धीमी प्रक्रिया है जो नियमित अभ्यास और समय के साथ अपने परिणाम दिखाती है। यह समझना जरूरी है कि योग का अभ्यास आपके जीवन को नई दिशा में ले जा सकता है और यह आपके स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए बेहद आवश्यक है।
निष्कर्ष
अंत में, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2024 ने योग के प्रति जागरूकता बढ़ाई है और इसके अनगिनत लाभों को समझाने का काम किया है। यह महत्वपूर्ण है कि लोग योग के प्रति अपनी गलतफहमियों को दूर करें और इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएँ। योग एक अनमोल धरोहर है जिसे अपनाकर हम अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। डॉ. आकाश तंवर द्वारा बताए गए ये मिथक न केवल योग के सच्चे स्वरूप को उजागर करते हैं, बल्कि हमें इसे बेहतर ढंग से समझने और अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
योग को अंतरराष्ट्रीय दिवस बनाने का श्रेय किसे दें? भारत को ही देना चाहिए, न कि किसी विदेशी संगठन को। ये सब मिथक तो बस विदेशी लोगों की अज्ञानता का परिणाम हैं। हमारी संस्कृति को अपनाने की बजाय उसे बेचने की कोशिश कर रहे हैं।
योग को एक वैज्ञानिक व्यवस्था के रूप में देखना चाहिए, न कि एक धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन के रूप में। इसके शरीर के लिए लाभों को न्यूरोसाइंस और फिजियोलॉजी के माध्यम से समझा जा सकता है, जिसमें कोर्टिसोल लेवल में कमी, वैगल टोन में वृद्धि, और फ्लैक्सिबिलिटी में सुधार शामिल हैं। यह कोई जादू नहीं है, यह एक बायोलॉजिकल रिस्पॉन्स है।
मैंने 60 साल की उम्र में योग शुरू किया था। जोड़ों का दर्द गायब हो गया। नींद बेहतर हुई। अब मैं रोज सुबह 20 मिनट करता हूँ। कोई उपकरण नहीं, कोई जादू नहीं। बस एक चादर और एक शांत कोना।
मुझे लगता है कि योग के बारे में सबसे बड़ी गलतफहमी यह है कि इसे किसी एक शैली में फ़िट किया जा सकता है। योग एक स्पेक्ट्रम है। एक दिन आप हाथ में बोतल लेकर वार्मअप कर सकते हैं, अगले दिन विनयास में जा सकते हैं। बस अपने शरीर की सुनो। वो बता देगा कि आज क्या चाहिए।
मैं एक वर्कर हूँ जो रोज 12 घंटे काम करता हूँ और योग करने का समय नहीं निकाल पाता पर अब मैं बस 5 मिनट के ब्रीदिंग एक्सरसाइज कर रहा हूँ जब भी ऑफिस में तनाव होता है और ये बहुत असरदार है
मैंने एक बार एक बूढ़े आदमी को देखा था जो 80 साल का था और वो एक लड़की के साथ विनयास में तालमेल बिठा रहा था। उसकी आँखों में चमक थी। योग कोई उम्र का खेल नहीं है। ये तो जीवन का अनुशासन है। जो भी अभी शुरू कर रहा है, उसके लिए कहता हूँ - धैर्य रखो। शरीर बदलेगा, दिमाग भी।
योग का अर्थ बस शरीर के अभ्यास से नहीं होता। यह एक दर्शन है - शरीर, मन, और आत्मा का समन्वय। जब आप एक आसन में बैठते हैं और सांस लेते हैं, तो आप अपने अंदर के शोर को सुनते हैं। वो शोर जो आप दिनभर दबा रहे हैं। योग आपको अपने आप से मिलाता है। और जब आप अपने आप से मिल जाते हैं, तो दुनिया आपके आसपास खड़ी हो जाती है।
योग बस एक नाम है जिसे लोग अपने लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं लोगों को लगता है कि योग कर लिया तो सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन असली बात तो यह है कि आप अपनी जिंदगी को कैसे जी रहे हैं आपके पास समय है या नहीं आप अपने शरीर को ध्यान से देख रहे हैं या नहीं योग कोई टूल नहीं है योग तो जीवन का अंदाज है