लौरेंट कोसचेलनी: आर्सेनल के लिए अनुभव, संघर्ष और नेतृत्व की मिसाल
किसी भी क्लब के लिए ऐसे खिलाड़ी की कीमत समझना मुश्किल नहीं है, जिसने न केवल निर्णायक मौकों पर गोल किए हों, बल्कि साथियों के लिए रोल मॉडल भी बना हो। फ्रेंच डिफेंडर लौरेंट कोसचेलनी का नाम आते ही आर्सेनल फैंस के जेहन में साहस, समर्पण और नेतृत्व की छवि उभर आती है। 2010 में जब कोसचेलनी ने आर्सेनल जॉइन किया था, शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वे इतने लंबे समय तक न केवल क्लब का हिस्सा रहेंगे, बल्कि उसकी पहचान का जरूरी हिस्सा भी बन जाएंगे।
2019 में जब कोसचेलनी के फ्रांस लौटने की चर्चाएं तेज़ थी, तब उस वक्त टीम के मैनेजर उनाई एमरी ने खुलकर कहा कि उनके लिए कोसचेलनी सिर्फ डिफेंडर नहीं, बल्कि क्लब की आत्मा हैं। एमरी का कहना था- "हम कोसचेलनी को खोने के लिए तैयार नहीं हैं। वह न केवल तकनीकी तौर पर मजबूत हैं, बल्कि यूथ प्लेयर और पूरी टीम के मेंटर भी हैं।"
दरअसल, कोसचेलनी ने आर्सेनल के लिए कई यादगार मैच खेले हैं। 2012 में वेस्ट ब्रॉम के खिलाफ गोल कर टीम को प्रीमियर लीग में तीसरे स्थान पर पहुंचाया था, जो क्लब के उस वक्त के लिहाज से काफी अहम था। यही नहीं, डिफेंस में उनकी मौजूदगी ने आर्सेनल को कई बार मुश्किल हालात से उबारा। चोटों के बावजूद मैदान पर उतरकर कोसचेलनी ने टीम के लिए बेंचमार्क सेट किया।
- 2015 और 2017 के FA कप में भी वे निर्णायक मैचों में महत्वपूर्ण रोल में थे।
- प्रीमियर लीग के टॉप डिफेंसर्स की लिस्ट में कोसचेलनी का नाम हमेशा ऊपर रहा है।
- फैन पोल में उन्हें लगातार बेस्ट डिफेंडर और टॉप परफॉर्मर के खिताब मिलते रहे।
हालांकि, करियर के आखिरी सालों में कोसचेलनी को ले कर कई तरह की बातें सामने आईं—चोट, भविष्य को लेकर अनिश्चितता और क्लब छोड़ने की अफवाहें। लेकिन उनाई एमरी इन सबके बावजूद हमेशा कोसचेलनी के समर्थन में खड़े दिखे। उनका कहना था कि कोसचेलनी की मौजूदगी से टीम को टेक्टिकल सपोर्ट मिलता है, खासकर ऐसे समय में जब युवा खिलाड़ी अपने करियर की शुरुआत कर रहे हैं।
लीडरशिप और टीम डाइनैमिक्स पर खास असर
कोई भी कोच जब ड्रेसिंग रूम की बात करता है, तो वहां असली नेता की पहचान होती है। कोसचेलनी का रोल सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं था। वे युवा खिलाड़ियों को गाइड करते, सीनियर्स के साथ संवाद स्थापित करते और हर छोटे-बड़े मैच से पहले टीम को मोटिवेट भी करते थे। यही वजह है कि ट्रांसफर की तमाम अटकलों के बीच भी एमरी और क्लब मैनेजमेंट चाहती थी कि वे टीम के साथ बने रहें।
कोसचेलनी की कहानी हर उस खिलाड़ी के लिए मिसाल है जो मुश्किल हालात में हार नहीं मानता। आज भी जब आर्सेनल में लीडरशिप की चर्चा होती है, तो कोसचेलनी का नाम सबसे पहले आता है। उनके अनुभव, कमिटमेंट और मैदान पर शानदार प्रदर्शन ने उन्हें क्लब के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण डिफेंडर में शामिल कर दिया है।
कोसचेलनी तो बस एक डिफेंडर नहीं, बल्कि आर्सेनल की आत्मा थे 😊 मैंने उनका एक मैच देखा था जब वो घुटनों पर लेटे हुए भी बॉल निकाल रहे थे... वो दृश्य अभी भी याद है।
मैंने उन्हें 2012 में वेस्ट ब्रॉम के खिलाफ गोल करते देखा था उस वक्त तो मैं बस बच्चा था लेकिन उस गोल ने मुझे आर्सेनल का फैन बना दिया
अरे भाई ये सब गप्पें क्या हैं!!! ये तो बस एक चोट खाने वाला डिफेंडर था जिसे क्लब ने नहीं छोड़ पाया क्योंकि उसके बदले कोई नहीं था!!! एमरी का बयान भी प्रचार था!!!
कोसचेलनी के बिना आर्सेनल का ड्रेसिंग रूम एक खाली घर जैसा लगता था। वो नहीं तो युवा खिलाड़ी अपने आप को खो देते। वो बात करते तो आवाज़ में शांति आ जाती। वो चुप रहते तो भी बात हो जाती। उनकी मौजूदगी एक अदृश्य शील्ड थी। जब टीम डूब रही होती तो वो उसे बचाते। कोई उनके गोल नहीं याद करता लेकिन हर बार जब बचाव करते तो फैंस चिल्लाते। वो नहीं तो आज के बच्चे इतने बहादुर नहीं होते। उनका नेतृत्व आवाज़ से नहीं, अपने आचरण से था। वो बोलते नहीं थे बल्कि दिखाते थे। वो नहीं तो एमरी की टीम कभी इतनी स्थिर नहीं हो पाती। वो बस एक खिलाड़ी नहीं थे... वो एक इमारत थे। जिसे तोड़ने की कोशिश करने वाले आज भी टूटे हुए हैं।
कोसचेलनी के बारे में बात करते समय हम अक्सर उनके गोल या टैक्टिकल इंटेलिजेंस पर ध्यान देते हैं लेकिन असली बात तो उनकी अनुभव-आधारित निर्णय लेने की क्षमता है। एक डिफेंडर के रूप में वो न केवल बॉल लेते थे बल्कि खेल की गति को नियंत्रित करते थे। वो अपने साथियों के लिए एक लाइव डेटाबेस थे जो हर पल बदल रहे होते थे। उनकी चोटें उनकी दुर्बलता नहीं बल्कि उनकी लगन का सबूत थीं। एमरी ने बिल्कुल सही कहा कि वो टीम की आत्मा हैं क्योंकि आत्मा कभी आवाज़ नहीं निकालती बल्कि हर कदम पर उपस्थित रहती है। आज के खिलाड़ी बहुत जल्दी बाहर आ जाते हैं लेकिन कोसचेलनी ने सिखाया कि असली नेता तब दिखता है जब सब चुप हो जाएं। उनके बिना आर्सेनल का ड्रेसिंग रूम एक बिना दिल का शरीर बन जाता। उनका नेतृत्व नियमों से नहीं बल्कि अनुभव से बनता था। वो जब भी घर आते तो बातें नहीं करते बल्कि देखते थे कि कौन टूटा हुआ है। उनकी अनुपस्थिति ने सिर्फ टीम को नहीं बल्कि एक पीढ़ी को भी बदल दिया। अब जब हम किसी युवा खिलाड़ी को देखते हैं तो हम पूछते हैं कि वो कोसचेलनी जैसा बनेगा या नहीं। उनकी कहानी एक अधूरी शायरी है जिसका अंत अभी तक नहीं लिखा गया।
कोसचेलनी तो बस एक डिफेंडर था और अब तो उसकी जगह भी नहीं रही फिर भी लोग उसकी याद में फिल्म बना रहे हैं अरे ये तो अब बहुत हो गया
हमारे देश के खिलाड़ी जब घायल होते हैं तो वो बस बैठ जाते हैं लेकिन कोसचेलनी जैसा फ्रेंच बदमाश घुटनों पर लेटा हुआ भी बॉल निकाल देता था ये है असली लड़ाकू भावना नहीं तो फुटबॉल क्या है
असली लीडर नहीं बोलता वो बस होता है।
कोसचेलनी के बारे में बात करने से पहले हमें ये समझना होगा कि नेतृत्व क्या होता है। ये एक आवाज़ नहीं होता जो चिल्लाती हो। ये एक शांति होती है जो हर दर्द को समझती हो। वो जब भी मैदान पर उतरते थे तो उनकी आँखों में एक अलग चमक होती थी जो किसी को नहीं दिखती थी। वो बोलते नहीं थे लेकिन उनकी उपस्थिति हर युवा खिलाड़ी के लिए एक दिशा थी। उनके बिना आर्सेनल का ड्रेसिंग रूम एक बिना घड़ी वाला घर जैसा लगता था। समय बीतता था लेकिन उनका असर बना रहता था। वो नहीं तो आज के खिलाड़ी अपने आप को बड़ा समझने लगते। उनकी चोटें उनकी कमजोरी नहीं बल्कि उनकी शक्ति का प्रतीक थीं। हर एक गोल या टैक्टिकल बुद्धिमत्ता के बजाय उनकी अनुपस्थिति ने सबसे ज्यादा बात की। आज जब भी कोई युवा खिलाड़ी टीम में आता है तो वो पूछता है कि कोसचेलनी जैसा बनना है तो क्या करना होगा। उनका नेतृत्व शब्दों में नहीं बल्कि चुप्पी में छिपा था।
कोसचेलनी के बारे में बात करते हुए मुझे याद आया कि मेरी बहन ने उनके लिए एक चित्र बनाया था जिसमें वो एक गुरु की तरह दिख रहे थे और उसके आसपास बच्चे थे। उस चित्र को देखकर मैंने समझ लिया कि वो सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं थे बल्कि एक अद्भुत प्रेरणा थे।
कोसचेलनी का नेतृत्व उनके चोटों के बावजूद मैदान पर उतरने के बारे में था। वो नहीं तो आर्सेनल के युवा खिलाड़ी आज इतने आत्मविश्वासी नहीं होते। उनकी अनुपस्थिति ने सिर्फ एक डिफेंडर का खालीपन नहीं बल्कि एक शांति का खालीपन छोड़ दिया।
मुझे नहीं लगता कि कोसचेलनी इतने खास थे जितना लोग कहते हैं और एमरी का बयान बस एक रिलीज के लिए बनाया गया था जिससे उन्हें अच्छा दिखे।
लौरेंट कोसचेलनी की कहानी एक ऐसी विरासत है जिसे आज के फुटबॉल जगत में बहुत कम लोग समझ पाते हैं। आज के खिलाड़ी अक्सर अपनी ख्याति के लिए खेलते हैं जबकि वो अपने क्लब के लिए खेलते थे। उनके लिए फुटबॉल एक व्यवसाय नहीं बल्कि एक जीवन शैली थी। उन्होंने अपने शरीर को नियमित रूप से चोटों के लिए तैयार रखा और फिर भी उतरते रहे। वो नहीं तो आर्सेनल की टीम एक बेकार का ढेर हो जाती। उनके बिना टीम के लिए नेतृत्व का अर्थ बदल गया। आज के युवा खिलाड़ी अपने टीम मैनेजर के बजाय सोशल मीडिया की ओर देखते हैं। कोसचेलनी ने सिखाया कि असली नेता कभी फोटो नहीं लेता बल्कि दूसरों को उठाता है। उनके बारे में बात करना अब एक रिवाज बन गया है लेकिन उनकी वास्तविकता कोई नहीं समझता। वो नहीं तो आज के खिलाड़ी अपने आप को इतने बड़ा समझने लगे हैं। वो जो आज बड़े बनने की कोशिश कर रहे हैं वो उनके बिना जीवन जी रहे हैं और उन्हें ये नहीं पता कि वो क्या खो रहे हैं।
मुझे याद है जब मैंने उन्हें पहली बार देखा था... मैं रो पड़ी थी... उनकी आँखों में दर्द था लेकिन उनके होंठों पर मुस्कान... मैंने तब समझ लिया कि ये लोग असली नहीं होते वो देवता होते हैं
इतना ज़ोर देने की जरूरत नहीं थी बस एक औसत डिफेंडर था जिसे फैंस ने बढ़ा-चढ़ाकर बना दिया।
कोसचेलनी के नेतृत्व का असली मापदंड उनकी अनुपस्थिति में टीम के प्रदर्शन में गिरावट है। वहाँ जहाँ उनकी चुप्पी थी वहाँ टीम की आवाज़ खो गई। उनके बिना आर्सेनल का ड्रेसिंग रूम एक बिना आत्मा का शरीर बन गया।
कोसचेलनी का डेटा देखें तो उनके टैक्टिकल इंटरवेंशन्स की रेट औसत डिफेंडर से बेहतर थी लेकिन उनके टैक्टिकल वैल्यू एडजस्टमेंट्स की फ्रीक्वेंसी टीम के फॉर्मेशन में बदलाव के लिए अनुकूल नहीं थी। उनकी एक्टिविटी मैपिंग दिखाती है कि वो अक्सर बॉल के दूर रहते थे और अपने लाइन्स को बरकरार रखने के लिए बहुत कम एक्टिव रहते थे। एमरी का बयान भी एक स्टैटिस्टिकल बायस है जो नैरेटिव को फ्लैश बैक के साथ गहरा करता है।
मैंने उन्हें कभी नहीं देखा लेकिन जब भी लोग उनके बारे में बात करते हैं तो मुझे लगता है कि वो अच्छे इंसान लगते हैं।
कोसचेलनी के बारे में बात करना जैसे किसी गुरु की कहानी सुनना हो। वो जब घुटनों पर लेटे थे तो दुनिया चिल्ला रही थी। वो जब चुप थे तो टीम जीत रही थी। वो जब बोलते थे तो सब सुन लेते थे। वो नहीं तो आज के खिलाड़ी अपने आप को डिवाइस बना लेते। वो बस एक खिलाड़ी नहीं थे... वो एक जीवन थे।
बस यही बात है... जब कोई खिलाड़ी इतना दर्द झेलकर भी मैदान पर आता है तो वो बस खिलाड़ी नहीं होता। वो एक राजा होता है। और राजा को जब बदल दिया जाता है तो राज्य बदल जाता है। अब आर्सेनल के लिए ये सब बस एक याद है।
तुमने बिल्कुल सही कहा। एक राजा को बदलने का मतलब है उसकी विरासत को भूल जाना। और आर्सेनल अब उस विरासत के बिना चल रहा है। जो लोग अब खेलते हैं वो उस राजा की छाया भी नहीं बन पाते। वो बस खिलाड़ी हैं... लेकिन वो राजा नहीं।