Baaghi 4: अक्षय कुमार का बड़ा सपोर्ट, टाइगर श्रॉफ के लिए बोले— 'फुल ऑन एक्शन वाला हंगामा'

Baaghi 4: अक्षय कुमार का बड़ा सपोर्ट, टाइगर श्रॉफ के लिए बोले— 'फुल ऑन एक्शन वाला हंगामा'

7 सितंबर 2025 · 8 टिप्पणि

अक्षय का सार्वजनिक समर्थन, टाइगर के लिए मनोबल की बढ़त

रिलीज़ के पहले ही दिन सितारों का समर्थन प्रचार से बड़ा असर डालता है, और यही हुआ जब अक्षय कुमार ने सोशल मीडिया पर Baaghi 4 की तारीफ करते हुए लिखा— 'Hearing #Baaghi4 = full on action wala hungama. Wishing all the very best to my friends, Sajid @tigerjackieshroff & @sunitmorarjee – set the screens on fire.' साफ दिखा कि एक्शन स्टार एक्शन स्टार का साथ दे रहा है।

अक्षय और टाइगर ने हाल ही में 'बड़े मियां छोटे मियां' में साथ काम किया था। तब से दोनों के बीच जमती दोस्ती बार-बार सुर्खियों में रही है। अक्षय का यह मैसेज उसी रिश्ते का विस्तार है और रिलीज़ वीकेंड पर फिल्म की चर्चा को और तेज कर देता है।

फिल्म 5 सितंबर 2025 को थिएटर्स में पहुंची। शुरुआती दर्शकों ने इसे 'सीट से बांधकर रखने वाला' बताया है— जोरदार स्टंट, गहरे टोन और हिंसा की तीव्रता इसकी खासियत बताई जा रही है। यही वजह है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने इसे A (18+) रेटिंग दी है। यानी परिवारों और बच्चों के लिए नहीं, बल्कि हार्डकोर एक्शन पसंद करने वालों के लिए बनी फिल्म।

टाइगर श्रॉफ इस फ्रेंचाइज़ के चेहरे रहे हैं। उन्होंने हाल के इंटरव्यू में माना कि पिछले कुछ साल आसान नहीं रहे— कई फिल्मों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया। उनके शब्दों में, यह दौर 'सीख से भरा' रहा और इसने उन्हें 'बेहतर आर्टिस्ट' बनाया। ऐसे में फ्रेंचाइज़ में वापसी उनके लिए सिर्फ नई रिलीज नहीं, बल्कि आत्मविश्वास की वापसी भी है।

इस बार कहानी और ट्रीटमेंट को 'अब तक का सबसे डार्क' बताया गया है। संजय दत्त बतौर विलेन खास ध्यान खींच रहे हैं— स्क्रीन पर उनकी मौजूदगी का अलग वजन है और शुरुआती रिएक्शंस भी यही कह रहे हैं कि ग्रे-शेड्स में दत्त का काम फिल्म का बड़ा प्लस है।

एक और बड़ा आकर्षण है हरनाज़ संधू। मिस यूनिवर्स बनीं हरनाज़ अब फिल्मों में कदम रख रही हैं और 'पहली फिल्म' का टैग अपने आप में चर्चा खींचता है। साथ ही, सुनीत मोरार्जी का नाम फिर जुड़ा है, जो 'बागी 2' से इस ब्रह्मांड का हिस्सा रहे हैं। फ्रेंचाइज़ का अपना इको-सिस्टम बन चुका है— वही फील, वही एक्शन-डीएनए, लेकिन इस बार शेड्स और ज्यादा गहरे।

अक्षय कुमार का पब्लिक एंडोर्समेंट सिर्फ दोस्ती नहीं, इंडस्ट्री की उस संस्कृति का हिस्सा है जहां बड़े स्टार्स एक-दूसरे की फिल्मों को सोशल मीडिया के जरिए पुश करते हैं। यह ट्रेंड पिछले कुछ सालों में और बढ़ा है— रिलीज़ डे पोस्ट्स, ट्रेलर शाउट-आउट्स, और ओपनिंग वीकेंड पर गुड लक मैसेजेज से फैंस का टॉप-ऑफ-माइंड अटेंशन बना रहता है।

यह भी सही समय पर आया है। हिंदी बॉक्स ऑफिस पर एक्शन की वापसी पहले से तेज दिख रही है— बड़े पैमाने पर बनाए गए एक्शन ड्रामे सिंगल-स्क्रीन और मल्टीप्लेक्स, दोनों में दर्शक खींच रहे हैं। ऐसे में एक डार्क-एक्शन फिल्म को A सर्टिफिकेट के बावजूद कोर ऑडियंस मिलना तय लगता है।

  • रिलीज़: 5 सितंबर 2025
  • रेटिंग: A (18+), हिंसा और तीव्र एक्शन की वजह से
  • कास्ट: टाइगर श्रॉफ, संजय दत्त; हरनाज़ संधू की फिल्मी शुरुआत
  • फ्रेंचाइज़ कनेक्शन: सुनीत मोरार्जी फिर जुड़े, 'बागी' यूनिवर्स को आगे बढ़ाते
  • एंडोर्समेंट: अक्षय कुमार का सोशल मीडिया सपोर्ट, चर्चा को गति

टाइगर श्रॉफ के लिए यह फिल्म एक तरह का टेस्ट भी है। एक्शन उनकी पहचान है— फ्लेक्सिबिलिटी, हाई-फ्लाइंग किक्स, पार्कौर-स्टाइल मूव्स— लेकिन आज का दर्शक सिर्फ स्टंट नहीं, कहानी और इमोशनल स्टेक्स भी मांगता है। फिल्म का 'डार्क' ट्रीटमेंट इसी दिशा में संदेश देता है: इस बार दांव बड़े हैं, दर्द और संघर्ष ज्यादा दिखाई देगा।

संजय दत्त की कास्टिंग रणनीतिक है। 90 के दशक की यादें, एंटी-हीरो वाली आभा और गहरी आवाज— यह सब मिलकर खलनायक को खतरनाक और करिश्माई बनाते हैं। एक अच्छे विलेन के बिना एक्शन फ्रेंचाइज़ अधूरी रहती है; यहां दर्शक उसी को हाईलाइट कर रहे हैं।

हरनाज़ संधू का डेब्यू ग्लैमर से परे एक जिम्मेदारी भी है। पेजेंट-वर्ल्ड से आने वाले कलाकारों पर अक्सर 'स्क्रीन-प्रेजेंस बनाम एक्टिंग-डेप्थ' की कसौटी लगती है। अगर उनका किरदार कहानी में वजनदार लिखा गया है, तो वह नई पीढ़ी के दर्शकों के बीच तुरंत पहचान बना सकती हैं।

A सर्टिफिकेट एक दोधारी तलवार है। फैमिली ऑडियंस का हिस्सा कम होता है, पर थ्रिल और रियलिज़्म की चाह रखने वाले युवाओं में ऐसी फिल्मों की फॉलोइंग मजबूत रहती है। सिंगल-स्क्रीन सर्किट में यह एड्रेनालिन-ड्रिवन एक्शन अच्छा चलता है, जबकि मल्टीप्लेक्स में वर्ड-ऑफ-माउथ निर्णायक होता है— पहले वीकेंड का शोर अगर बना रहा, तो सप्ताह के दिनों में भी निरंतरता मिल सकती है।

मार्केटिंग की बात करें तो सितारों के सोशल पोस्ट अब मीडिया प्लान का केंद्र बन चुके हैं। अक्षय कुमार जैसे बड़े नाम का एक ट्वीट/पोस्ट ट्रेड में सिग्नल भेजता है कि फिल्म देखने लायक है। यह 'सोशल-प्रूफ' का काम करता है— फैंस झिझक छोड़कर टिकट खिड़की तक पहुंचते हैं।

‘बागी’ फ्रेंचाइज़ की जड़ों में जाएं तो 2016 में शुरुआत हुई, फिर 2018 में दूसरा हिस्सा आया, और 2020 में तीसरा भाग महामारी की उथल-पुथल के बीच रिलीज़ हुआ। लगातार बढ़ते स्केल और स्टंट-ड्रिवन टेम्पो इसकी पहचान रहे हैं। चौथे पार्ट में 'डार्केस्ट' टोन का दावा बताता है कि मेकर्स ने वही फॉर्मूला बरकरार रखते हुए खतरे को और ऊंचा उठाया है।

तकनीकी स्तर पर, ऐसी फिल्मों में एक्शन-डिज़ाइन, स्टंट-कोऑर्डिनेशन और साउंड-मिक्सिंग का काम आधी जीत तय कर देता है। जब पंच की आवाज गूंजती है, जब चेस सीक्वेंस की गति स्क्रीन से बाहर छलकती है, तभी थिएटर का मज़ा आता है। शुरुआती दर्शक इसे 'हाई-ऑक्टेन' कह रहे हैं, तो लगता है टीम ने इस पर विशेष मेहनत की है।

टाइगर के करियर के लिए यह मोड़ अहम है। स्टारडम बने रहने के लिए अब सिर्फ बॉडी-वर्क और फुर्ती नहीं, किरदार की परतें भी दिखानी पड़ती हैं। उन्होंने खुद जो 'लर्निंग कर्व' की बात कही, वह दर्शाता है कि टीम और कलाकार दोनों ने होमवर्क किया है— स्क्रिप्ट से लेकर स्केल तक।

उद्योग के भीतर की केमिस्ट्री भी दिलचस्प है। एक्शन स्पेस में अक्षय और टाइगर प्राकृतिक सहयोगी लगते हैं— एक तरफ दशकों का अनुभव, दूसरी तरफ नई पीढ़ी की एथलेटिक ऊर्जा। 'बड़े मियां छोटे मियां' के दौरान बनी समझदारी अब पब्लिक सपोर्ट के रूप में सामने है। यह संदेश भी जाता है कि बड़े स्टार्स प्रतिस्पर्धी नहीं, एक-दूसरे के बूस्टर हो सकते हैं।

अब गेंद दर्शकों के पाले में है। अगर वर्ड-ऑफ-माउथ मजबूत रहा, तो 'डार्क टोन + स्टार पावर + विलेन की करिश्माई मौजूदगी' का कॉम्बिनेशन इसे लंबी दौड़ दे सकता है। और अगर फिल्म ने भावनात्मक दांव को सही पकड़ा, तो यह सिर्फ एक्शन-फैनबेस तक सीमित नहीं रहेगी।

क्या उम्मीद करे दर्शक: टोन, ट्रीटमेंट और दर्शक-वर्ग

जो लोग खुरदरे, हिंसक और स्टाइलाइज्ड एक्शन के दीवाने हैं, उनके लिए यह फिल्म बनी है। कहानी के मोर्चे पर डार्क शेड्स और नैतिक उलझनें मिलने की उम्मीद है— अच्छे और बुरे की रेखा धुंधली, दांव ऊंचा और स्पीड तेज।

सिंगल-स्क्रीन दर्शकों को बड़े सेट-पीस, हैंड-टू-हैंड कॉम्बैट और 'हल्ला-बोल' वाले क्षण भाएंगे, जबकि मल्टीप्लेक्स ऑडियंस स्टाइल और स्केल के साथ भावनात्मक खिंचाव ढूंढेगी। A सर्टिफिकेट इसे युवा-प्रमुख भीड़ तक सीमित कर सकता है, पर वही भीड़ टिकट खिड़की पर सबसे ज्यादा निर्णायक साबित होती है।

फिलहाल, अक्षय कुमार के सपोर्ट ने फिल्म को ओपनिंग चर्चा दे दी है। टाइगर श्रॉफ की फ्रेंचाइज़ी-वापसी, संजय दत्त की धमक और हरनाज़ संधू का डेब्यू— इन तीनों की संयुक्त ऊर्जा 'बागी' यूनिवर्स को नई दिशा देने की क्षमता रखती है। अब देखना यह है कि बड़े दावे बड़े पर्दे पर कितना न्याय पाते हैं।

Ankit Sharma
Ankit Sharma

मैं नवदैनिक समाचार पत्र में पत्रकार हूं और मुख्यतः भारत के दैनिक समाचारों पर लेख लिखता हूं। मेरा लेखन सुचिता और प्रामाणिकता के लिए जाना जाता है।

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8 टिप्पणि
  • Neha Jayaraj Jayaraj
    Neha Jayaraj Jayaraj
    सितंबर 9, 2025 AT 04:26

    ये फिल्म तो बस एक्शन का भंवर है! 💥🔥 टाइगर के फ्लेक्स और संजय दत्त की आवाज़ से मेरा दिल धड़क रहा है... अक्षय का पोस्ट देखकर मैंने टिकट बुक कर दिए! 😍🍿 #Baaghi4

  • Disha Thakkar
    Disha Thakkar
    सितंबर 9, 2025 AT 19:23

    हमेशा ऐसा ही होता है... एक्शन फिल्मों को बड़े स्टार्स का समर्थन मिलता है, लेकिन कहानी तो बस एक बोरिंग रिमेक होती है। डार्क टोन? बस नए लुक का नाम है। ये सब नए नामों के लिए बाजार बनाने की चाल है। 🤷‍♀️

  • Anmol Madan
    Anmol Madan
    सितंबर 9, 2025 AT 21:55

    भाई ये फिल्म तो देखनी ही पड़ेगी! मैंने ट्रेलर देखा तो लगा जैसे कोई एक्शन वीडियोगेम रियलिटी में आ गया हो 😅 संजय दत्त का विलेन तो बहुत डरावना लग रहा है... हरनाज़ का डेब्यू भी देखना है! 🤘

  • Shweta Agrawal
    Shweta Agrawal
    सितंबर 10, 2025 AT 17:01

    मुझे लगता है अक्षय का सपोर्ट बहुत अच्छा है और टाइगर के लिए बहुत मददगार होगा... ये फ्रेंचाइज़ तो अब तक की सबसे ज्यादा एनर्जी वाली है लगता है... बस देखते हैं कैसे चलती है 😊

  • raman yadav
    raman yadav
    सितंबर 11, 2025 AT 21:03

    अरे भाई ये सब बकवास है! एक्शन फिल्मों में डार्क टोन लाने का मतलब ये है कि हिंदी सिनेमा अब बॉलीवुड नहीं बल्कि हॉलीवुड की नकल कर रहा है! बच्चों के लिए A रेटिंग? ये तो बस फिल्म के बजट को बढ़ाने की चाल है! टाइगर श्रॉफ का बॉडी तो है लेकिन एक्टिंग तो बस एक डांस नंबर है! 😤

  • Ajay Kumar
    Ajay Kumar
    सितंबर 12, 2025 AT 16:49

    क्या आपने कभी सोचा है कि अक्षय कुमार का ये सपोर्ट किसी बड़े मार्केटिंग कंपनी की रणनीति का हिस्सा हो सकता है? क्योंकि अगर फिल्म फ्लॉप हो गई तो वो कहेंगे कि 'मैंने तो सपोर्ट किया था'... और टाइगर का करियर तो पहले से ही फिक्की है, ये बस एक और गेम चेंजर है जिसे बनाया गया है ताकि लोग भूल जाएं कि उनकी आखिरी तीन फिल्में क्या थीं। ये फ्रेंचाइज़ तो अब बस एक ब्रांड है, फिल्म नहीं।

  • Chandra Bhushan Maurya
    Chandra Bhushan Maurya
    सितंबर 13, 2025 AT 13:13

    भाई ये फिल्म तो बस दिल की धड़कन बढ़ा देगी! 🤯 संजय दत्त का एक ही नज़र देखो तो लगता है जैसे पूरा थिएटर ठिठुर गया हो... और टाइगर के पंच की आवाज़ सुनकर मैंने अपना ड्रिंक गिरा दिया! ये फिल्म बस एक्शन नहीं, ये तो एक एक्सपीरियंस है... जैसे कोई बर्फ़ के टुकड़े से आग जला रहा हो! 🎬🔥

  • Hemanth Kumar
    Hemanth Kumar
    सितंबर 14, 2025 AT 06:09

    अक्षय कुमार के सामाजिक मीडिया पर अपने अनुभव को साझा करने का यह तरीका, भारतीय सिनेमा में स्टार-स्टार समर्थन के एक नए मानक की ओर इशारा करता है। इस प्रकार की सामाजिक प्रमाणिकता, व्यावसायिक रूप से अत्यंत प्रभावी है, क्योंकि यह दर्शकों के विश्वास को निर्माण करता है, जो बाजार के अनुमानों से अधिक स्थायी होता है।

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