बीजेपी सांसद भरतृहरि महताब बने प्रोटेम स्पीकर, विपक्ष ने जताई नाराजगी

बीजेपी सांसद भरतृहरि महताब बने प्रोटेम स्पीकर, विपक्ष ने जताई नाराजगी

24 जून 2024 · 0 टिप्पणि

भरतृहरि महताब बने प्रोटेम स्पीकर

24 जून 2024 को, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद भरतृहरि महताब ने 18वीं लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ ग्रहण की। यह शपथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें दिलाई। इस मौके पर महताब ने देश और संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली।

प्रोटेम स्पीकर का महत्व लोकसभा के शुरुआती सत्र में काफी महत्वपूर्ण होता है। उनका मुख्य काम नए सदस्यों को शपथ दिलाना होता है और स्थायी स्पीकर का चुनाव कराना होता है। लेकिन महताब के इस पद पर नियुक्ति से विपक्ष में नाराजगी का माहौल बन गया है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

कांग्रेस पार्टी ने इस नियुक्ति पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह परंपरा का उल्लंघन है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने वरिष्ठतम सांसद के. सुरेश को नजरअंदाज किया है, जिन्होंने कई सालों तक लोकसभा में सेवा दी है। कांग्रेस के अनुसार, परंपरागत रूप से प्रोटेम स्पीकर के पद के लिए वरिष्ठतम सदस्य का चयन किया जाता है, जो इस बार नहीं हुआ।

कांग्रेस के प्रवक्ता ने बताया कि इस फैसले से पहली बार संसद सत्र के पहले दिन से ही तनाव का माहौल बन सकता है। कांग्रेस का मानना है कि इस तरह की नियुक्ति से संसद के कामकाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और साथ ही विपक्ष के साथ आपसी समन्वय में भी कमी आ सकती है।

बीजेपी का पक्ष

दूसरी ओर, बीजेपी ने इस नियुक्ति का बचाव करते हुए कहा कि भरतृहरि महताब का अनुभव और क्षमता अद्वितीय है। पार्टी के अनुसार, महताब ने अपने राजनीतिक जीवन में विभिन्न जिम्मेदारियां सफलतापूर्वक निभाई हैं और वे इस पद के लिए उपयुक्त हैं। महताब की नियुक्ति को लेकर बीजेपी का कहना है कि किसी भी पद के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति का चयन किया जाना चाहिए, चाहे वह वरिष्ठतम हो या न हो।

पार्टी ने यह भी कहा कि महताब का लंबा राजनीतिक अनुभव और निष्पक्ष दृष्टिकोण उन्हें इस काम के लिए एक उत्तम उम्मीदवार बनाता है। बीजेपी ने विपक्ष की आलोचना को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि इस तरह के मुद्दों को उठाकर संसदीय प्रक्रिया को बाधित करना सही नहीं है।

प्रोटेम स्पीकर की भूमिका

प्रोटेम स्पीकर की भूमिका

प्रोटेम स्पीकर की भूमिका संसद के प्रथम सत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उनका कार्य नए सदस्यों को शपथ दिलाना और स्थायी स्पीकर का चुनाव कराना होता है। यह एक अस्थायी पद होता है, लेकिन इसका महत्व अत्यंत व्यापक होता है। प्रोटेम स्पीकर को निष्पक्ष तरीके से काम करना होता है और सभी दलों के साथ संतुलन बनाए रखना होता है।

पूर्णकालिक स्पीकर के चयन तक, प्रोटेम स्पीकर सदन की कार्यवाही संचालित करते हैं। इस दौरान उन्हें सदन के कामकाज में निर्णायक भूमिका निभानी होती है। इसलिए इस पद पर एक अनुभवी और सक्षम नेता की नियुक्ति महत्वपूर्ण मानी जाती है।

विपक्ष के आरोपों का प्रभाव

विपक्षी दलों के आरोपों के बावजूद, भरतृहरि महताब अब प्रोटेम स्पीकर के रूप में कार्य करेंगे। हालांकि इस विवाद का संसद के कामकाज पर क्या असर पड़ेगा, यह देखने वाला होगा। पहले दिन से ही सदन में तनाव का माहौल बन सकता है, जिससे की कामकाज में रुकावट आने की संभावना हो सकती है।

विपक्ष की नाराजगी इस बात पर भी है कि इस प्रक्रिया में उनकी राय को महत्व नहीं दिया गया। यह मामला अगर आगे बढ़ता है तो यह राजनीति के गलियारों में और चर्चा का विषय बन सकता है।

क्या कहता है संविधान

क्या कहता है संविधान

भारतीय संविधान में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के लिए कोई सख्त नियम नहीं हैं, हालांकि परंपरागत रूप से वरिष्ठतम सदस्य को चुना जाता है। यह संविधान के अनुच्छेद 94 में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई है। संविधान के मुताबि्क, अध्यक्ष के पद खाली होने पर अगले अध्यक्ष के चयन के पूर्व किसी सदस्य को प्रोटेम स्पीकर के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।

संविधान के नियमों को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का राजनीतिक प्रभाव तो पड़ेगा, लेकिन कानूनी दृष्टिकोण से यह पूरी तरह वैध है। इसलिए इस मुद्दे पर संसद में भी चर्चा होने की पूरी संभावना है और इस पर विचार-विमर्श किया जा सकता है।

अंत में, भरतृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर के रूप में देखना दिलचस्प होगा। उनके अनुभव और कार्यशैली को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि वे अपने कर्तव्यों का निर्वाह कुशलता से करेंगे। लेकिन विपक्ष की नाराजगी और आरोपों के चलते उनकी राह आसान नहीं होगी।

रोहित चतुर्वेदी

रोहित चतुर्वेदी

मैं नवदैनिक समाचार पत्र में पत्रकार हूं और मुख्यतः भारत के दैनिक समाचारों पर लेख लिखता हूं। मेरा लेखन सुचिता और प्रामाणिकता के लिए जाना जाता है।

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