दिल्ली-NCR में भी महसूस हुआ म्यांमार में आए बड़े भूकंप का असर

दिल्ली-NCR में भी महसूस हुआ म्यांमार में आए बड़े भूकंप का असर

20 अप्रैल 2025 · 0 टिप्पणि

म्यांमार के भूकंप के तेज झटकों से हिली दिल्ली-NCR

28 मार्च 2025 की सुबह म्यांमार में अचानक इतना जबरदस्त भूकंप आया कि उसकी गूंज दिल्ली-NCR के लोगों तक पहुंच गई। भूकंप की तीव्रता 7.7 से 7.9 के बीच मापी गई, जिसका केंद्र म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र के पास मंडले में था, यानी एकदम उत्तर-मध्य म्यांमार में। गहराई सिर्फ 10 किलोमीटर की थी, जिससे सतह पर असर ज्यादा महसूस हुआ। यह दिल्ली-NCR के लिए भी हैरान करने वाला था, क्योंकि भूकंप का केंद्र भारत से हजारों किलोमीटर दूर था, फिर भी नोएडा-गाजियाबाद के घरों, दफ्तरों और हाईराइज सोसाइटी की दीवारें तक हिल गईं।

शनिवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे अचानक लोगों ने देखा कि फर्नीचर हिल रहे हैं और पंखे डोलने लगे हैं। सोशल मीडिया पर #Earthquake तुरत ट्रेंड करने लगा। कई परिवारों ने बहुमंजिला इमारतों का सहारा छोड़कर पार्किग या खुले मैदान में शरण ली। इमरजेंसी कॉल्स की संख्या बढ़ गई और लोगों के चेहरे पर डर का माहौल बना रहा।

  • नोएडा और गाजियाबाद में स्पीड 161.42 सेंटीमीटर/सेकंड तक के झटके महसूस हुए।
  • भूकंप के दौरान 'पिक ग्राउंड एक्सीलरेशन' 0.62 g तक पहुंच गया।
  • शुरुआती झटका करीब 80 सेकंड तक चला, यानी आधे से ज्यादा मिनट तक धरती कांपती रही।

ये झटके यहीं तक सीमित नहीं रहे। यूपी, हरियाणा, राजस्थान, चंडीगढ़ जैसे राज्यों से भी कंपन महसूस होने की खबर आईं। सुपरसियर, यानी बेहद तेज गति से ऊर्जा के फैलने वाला यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इसके बाद 394 से अधिक आफ्टरशॉक्स भी दर्ज किए गए, जिसमें सबसे बड़ा 6.7 तीव्रता का था। जोखिम को देखकर कई जगहों पर ऐहतियातन बचाव कार्य भी तेज कर दिए गए।

म्यांमार में भयंकर तबाही, एशियाई देशों में भी असर

जहां दिल्ली-NCR और उत्तर भारत में सिर्फ झटके महसूस हुए, म्यांमार में इस भूकंप ने कहर बरपा दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, म्यांमार में 5,352 लोगों की जान चली गई। पुलिस-प्रशासन, राहत दल, और आम लोग लगातार मलबा हटाने, घायलों को अस्पताल पहुंचाने और लापता लोगों की तलाश में लगे हुए हैं। वहां तेज़ कंपन के चलते कई इमारतें जमींदोज़ हो गईं, सड़कें फट गईं, और संचार व्यवस्था भी काफी समय तक ठप रही।

  • कुल मृतकों का आंकड़ा 5,407 पहुंच गया, जिसमें 55 मौतें थाईलैंड और एक वियतनाम में दर्ज की गई।
  • 11,402 लोग घायल हुए, जिनमें सैकड़ों की हालत गंभीर बनी हुई है।
  • 585 लोग अब भी लापता हैं, जिनमें कई बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं।
  • चीन के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में भी हल्की चोटों की खबरें आईं, जबकि थाईलैंड और वियतनाम के सीमावर्ती इलाके भी भूकंप की जद में आए।

सीमा पार असर को देखते हुए राहत एजेंसियां चौकन्नी हो गई हैं। कई गांवों में खाने-पीने, पानी और दवाओं का संकट खड़ा हो गया है। डर इतना कि लोग घरों में लौटने से भी हिचक रहे हैं। मेडिकल कैंप लगाए गए हैं और बिजली—संचार लाइनें दुरुस्त करने का काम तेजी से जारी है। अभी भी दर्जनों आफ्टरशॉक्स आ रहे हैं, जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इतने बड़े भूकंप की वजह से जमीन के नीचे कई फॉल्ट लाइंस में हलचल हो सकती है, जिसका असर और दिनों तक दिखाई दे सकता है।

दिल्ली-NCR में, इस भूकंप ने यह एहसास जरूर करा दिया है कि सैकड़ों किलोमीटर दूर घटनाएं भी यहां के लोगों को झकझोर सकती हैं, और सतर्कता ही सबसे जरूरी हथियार है।

रोहित चतुर्वेदी

रोहित चतुर्वेदी

मैं नवदैनिक समाचार पत्र में पत्रकार हूं और मुख्यतः भारत के दैनिक समाचारों पर लेख लिखता हूं। मेरा लेखन सुचिता और प्रामाणिकता के लिए जाना जाता है।

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