HDB Financial Services का IPO: हंगामा या समझदारी?
देश की जानी-मानी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) HDB Financial Services ने 2025 में अपने आईपीओ (IPO) की बदौलत शेयर बाजार में हलचल पैदा कर दी है। HDFC Bank की इस सब्सिडियरी ने इस इश्यू में कुल 12,500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसमें से 2,500 करोड़ रुपये की फ्रेश इक्विटी और 10,000 करोड़ रुपये के शेयर मौजूदा शेयरधारकों ने बेचने का फैसला किया है। शेयर का प्राइस बैंड 700 से 740 रुपये तय किया गया है, जिससे कंपनी की कुल वैल्यू करीब 61,253 करोड़ रुपये तक जा रही है।
यह इश्यू 27 जून 2025 तक खुला रहेगा और 30 जून को आवंटन की प्रक्रिया संपन्न होने की उम्मीद है। लिस्टिंग की तारीख 2 जुलाई 2025 तय हुई है, और इसकी चर्चा निवेशकों से लेकर एक्सपर्ट्स तक के बीच तगड़ी हो रही है।
सब्सक्रिप्शन का जोर और बाजार की नब्ज
इस आईपीओ का पहला और दूसरा दिन कमाल का रहा। दूसरे दिन तक इश्यू को कुल 1.16 गुना सब्सक्रिप्शन मिल चुका है। सबसे ज्यादा जोश नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII) ने दिखाया, जिन्होंने अपने हिस्से को 2.29 गुना भर दिया। वहीं, बड़े निवेशकों यानी क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) का रिस्पॉन्स 90% तक ही पहुंचा। खुदरा निवेशकों का उत्साह थोड़ा फीका रहा, उनका हिस्सा 64% ही सब्सक्राइब हुआ। कर्मचारी और उनके लिए रिजर्व शेयरों का सेगमेंट 2.97 गुना सब्सक्राइब हो गया।
नंबर्स जितने दिलचस्प हैं, मार्केट सेंटीमेंट उतना ही मिला-जुला नजर आ रहा है। एनालिस्ट्स की नजर में कंपनी की सबसे बड़ी ताकत है – उसका रिटेल फोक्स्ड लेंडिंग पोर्टफोलियो और HDFC Bank जैसा मजबूत पैरंट। NBFC सेक्टर में कई दिग्गज कंपनियां हैं लेकिन HDB की ब्रांड वैल्यू अलग पहचान देता है।
लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। इस मामले में जोखिम है कंपनी की बेहद ऊंची वैल्यूएशन। लगभग HDB Financial Services IPO 3.9x प्राइस-टू-बुक रेशियो पर ट्रेड करेगा – यानी बाकी NBFCs के मुकाबले महंगा। इसी वजह से कुछ एक्सपर्ट इसे लॉन्ग टर्म में बेहतर मान रहे हैं, क्योंकि शॉर्ट टर्म में लिस्टिंग गेन निश्चित नहीं है।
2025 के शुरुआत से ही शेयर बाजार में NBFC कंपनियों की चर्चा है, और निवेशकों की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। HDB Financial के इस मेगा इश्यू ने लोगों को फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या ये समय NBFC सेक्टर में पैसा लगाने का है या फिर वेट एंड वॉच का? फिलहाल, बाजार की जानकारियां और निवेशकों के अनुभव इस इश्यू की हर खबर पर नजर रखे हुए हैं।
इस IPO में बड़े निवेशकों का रिस्पॉन्स थोड़ा फीका है लेकिन NII और कर्मचारी सेगमेंट में जोश देखने को मिल रहा है। ये अच्छा संकेत है कि आम आदमी भरोसा कर रहा है।
लिस्टिंग पर गेन होगा या नहीं ये तो बाद में पता चलेगा लेकिन अभी तो बाजार में भरोसा है
HDFC की बेटी को अभी भी इतना वैल्यू देना बेकार है। ये तो बस एक नियमित NBFC है जिसे ब्रांडिंग से फूला जा रहा है। लोगों को भ्रमित किया जा रहा है।
3.9x PB ratio के साथ इसे लॉन्ग टर्म के लिए रखना एक बुद्धिमानी का काम होगा। शॉर्ट टर्म में इसकी वैल्यूएशन अतिरंजित है। बाजार की भावनाएं अक्सर अतिरंजित हो जाती हैं।
हाँ ये तो बस एक बड़ा धोखा है! ब्रांड के नाम पर लोगों को धोखा दिया जा रहा है। ये कंपनी तो किसी भी अन्य NBFC से बेहतर नहीं है। आप लोग अपने बचत को बर्बाद कर रहे हैं!
HDB का रिटेल लेंडिंग पोर्टफोलियो वाकई अच्छा है। ग्रामीण और अर्ध-शहरी बाजार में इसकी पहुंच अनूठी है। ये ब्रांड ट्रस्ट निर्माण का असली फायदा है।
इस आईपीओ के बारे में बहस करना अभी भी बहुत जल्दी है। बाजार की भावनाएं अक्सर अल्पकालिक रुझानों पर आधारित होती हैं। एक अच्छी कंपनी को लंबे समय तक देखना चाहिए। हम यह नहीं जानते कि अगले 5 साल में ऋण गुणवत्ता कैसी होगी। ब्रांड तो बहुत अच्छा है लेकिन बैलेंस शीट का अध्ययन भी जरूरी है।
आप सब ये बातें क्यों कर रहे हो? क्या आपने कभी इस कंपनी का फाइनेंशियल रिपोर्ट पढ़ा है? उनका NIM 7.2% है, बैड डीब्ट रेशियो 1.8% है, और लोन ग्रोथ 18% है। ये सब आप लोग जानते हो? बस भावनाओं से बात कर रहे हो।
इस आईपीओ को एक दर्पण की तरह देखिए। यह न केवल एक कंपनी का विश्लेषण है, बल्कि भारतीय निवेशक के मन का भी। हम ब्रांड के नाम पर भरोसा करते हैं, लेकिन अक्सर अंतर्निहित वास्तविकता को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। क्या हम अपनी आर्थिक समझ को विकसित कर रहे हैं या सिर्फ चल रहे हैं?
NII और कर्मचारी सेगमेंट का जोश अच्छा है। इसका मतलब है कि आम लोग इसमें विश्वास कर रहे हैं। बड़े निवेशक तो अक्सर धीरे चलते हैं। ये आईपीओ अच्छा है अगर आप 5+ साल के लिए रखना चाहते हैं।
वैल्यूएशन ऊंचा है लेकिन इसकी ग्रोथ रेट और लेंडिंग पोर्टफोलियो की गुणवत्ता इसे औचित्य देती है। बाजार अक्सर अतिरंजित होता है लेकिन यहां तो बुनियादी बातें भी मजबूत हैं।
हम भारतीयों को हमेशा ब्रांड के नाम पर धोखा दिया जाता है। HDFC का नाम सुनकर लोग बिना सोचे लग जाते हैं। ये एक नियमित NBFC है जिसे ब्रांडिंग से फूला जा रहा है। ये आईपीओ भारतीय निवेशक के अंदर के अंधविश्वास का प्रतीक है
कभी-कभी बड़ी बातें छोटे नंबरों में छिपी होती हैं। ये आईपीओ अभी तक जो भी दिखा रहा है, वो बाजार की एक अच्छी निशानी है। अगर आपका इन्वेस्टमेंट हॉराइजन 5 साल से ज्यादा है तो ये एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है।
इस आईपीओ में कर्मचारी सेगमेंट का 2.97x सब्सक्रिप्शन बहुत महत्वपूर्ण है। इसका मतलब है कि जो लोग इस कंपनी के अंदर काम करते हैं, वो अपने विश्वास को अपने पैसे से दिखा रहे हैं। ये बहुत बड़ा संकेत है।
मैंने इसे खरीद लिया है और मुझे लगता है कि ये अच्छा फैसला है। मुझे डर नहीं लगता। मैं अपने बच्चों के लिए इसे रखूंगी।
क्यों इतना शोर? ये तो बस एक और NBFC है। जब तक बैंक नहीं बन गई, तब तक इसमें निवेश करना बेकार है।
क्या कोई बता सकता है कि ये आईपीओ कितने लोगों के लिए उपलब्ध है और कितने शेयर खुदरा निवेशकों के लिए रिजर्व हैं क्योंकि मुझे लगता है कि ज्यादातर शेयर QIB में चले गए
हर आईपीओ में एक सामाजिक विश्वास का तत्व होता है। यहां विश्वास HDFC के नाम पर है। लेकिन क्या हम इस विश्वास को अपने वित्तीय निर्णयों के आधार बना रहे हैं या केवल भावनाओं के आधार पर?
लोग ये बातें क्यों कर रहे हो ये तो स्पष्ट है कि ये आईपीओ बहुत ऊंचा है और जल्द ही गिर जाएगा लेकिन अभी तक लोगों को ये बात समझ नहीं आ रही