मलयालम फिल्म उद्योग में फिर से उठे यौन उत्पीड़न के आरोप
मलयालम अभिनेता सिद्दीकी ने मलयालम मूवी कलाकार संघ (एएमएमए) के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा उन्होंने तब दिया जब उनके खिलाफ एक सह-अभिनेत्री, रेवती संपत, द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप फिर से सामने आए। रेवती ने दावा किया है कि 2016 में एक होटल में फिल्म परियोजना पर चर्चा करने के बहाने सिद्दीकी ने उन्हें बुलाया था, जहाँ उन्होंने कथित रूप से उनका यौन उत्पीड़न किया और शारीरिक रूप से हमला किया। यह आरोप सबसे पहले 2019 में #MeToo अभियान के दौरान लगाए गए थे और हाल ही में जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट के प्रकाश में आने के बाद यह मामला फिर से उठा।
जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट और फिल्म उद्योग की वास्तविकता
केरल सरकार द्वारा 2017 में एक अभिनेत्री के अपहरण और यौन उत्पीड़न के मामले के बाद जस्टिस हेमा समिति का गठन किया गया था। इस रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में व्याप्त व्यापक यौन उत्पीड़न और शोषण का विवरण दिया गया है। रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि महिला कलाकारों को अक्सर उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है और उन्हें परिणाम भुगतने के डर से चुप करा दिया जाता है।
रेवती संपत के आरोप और उनका प्रभाव
रेवती संपत ने कहा कि इस घटना के बाद उन्हें अपने करियर को छोड़ना पड़ा और उन्होंने मानसिक आघात का सामना किया। उन्होंने याद किया कि 2016 में सिद्दीकी ने उन्हें एक फिल्म परियोजना पर चर्चा करने के लिए एक होटल में बुलाया था। वहां, उनके अनुसार, सिद्दीकी ने उनका यौन उत्पीड़न किया और बाद में शारीरिक रूप से हमला किया। इस घटना के बाद रेवती ने अपने करियर को छोड़ने का फैसला किया और उनमें काफी मानसिक तनाव उत्पन्न हुआ।
सिद्दीकी का इस्तीफा और एएमएमए की प्रतिक्रिया
सिद्दीकी का इस्तीफा एएमएमए के कई सदस्यों द्वारा स्वागत किया गया। एएमएमए के उपाध्यक्ष जयम चेरथला और अभिनेता अनुप चंद्रन ने इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि ऐसे गंभीर आरोपों के तहत सिद्दीकी के लिए पद को जारी रखना अनुचित था। अभिनेत्री माला पार्वथी ने भी इस इस्तीफे की सराहना करते हुए इसे 'नैतिक और नैतिक रूप से सही' बताया। सिद्दीकी ने एएमएमए अध्यक्ष मोहनलाल को अपने इस्तीफे का पत्र सौंपते हुए कहा कि इतने गंभीर आरोपों का सामना करते हुए पद पर बने रहना अनुचित था और कानूनी सलाह के बाद वे विस्तृत जवाब देंगे।
मलयालम फिल्म उद्योग में सुधार की मांग
मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न और शोषण के आरोप नई बात नहीं है। हाल की घटनाओं ने इस विषय को और अधिक ध्यान में ला दिया है और सुधार की मांग को बढ़ावा दिया है। जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट ने फिल्म उद्योग में बदलाव की आवश्यकता को सामने रखा है। इस रिपोर्ट ने यह दिखाया है कि महिलाओं को न केवल शोषण का सामना करना पड़ता है, बल्कि उन्हें चुप रहने के लिए मजबूर किया जाता है।
उद्योग की प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशाएँ
फिल्म उद्योग के अन्य प्रमुख सदस्यों ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है और आरोपों की गंभीरता को स्वीकार किया है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि आरोपों की जांच की जाएगी और उचित कार्रवाई की जाएगी। यह मामला फिल्म उद्योग में बदलाव लाने और यौन उत्पीड़न के मामलों को गंभीरता से लेने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
निष्कर्ष
सिद्दीकी का इस्तीफा और जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न के मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया है। यह घटनाएं फिल्म उद्योग में बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती हैं और महिला कलाकारों को सम्मान और सुरक्षा के माहौल में काम करने का अवसर प्रदान कर सकती हैं।
ये तो सही फैसला है।
इस तरह के मामलों में बस इस्तीफा ही काफी नहीं होता। जांच होनी चाहिए, और अगर गलती हुई तो सजा भी।
ये सब बस नाम कमाने का नाटक है। अगर ये आदमी निर्दोष है तो उसे बर्खास्त नहीं करना चाहिए था। लेकिन आजकल लोग बस बहाने बना लेते हैं और अपना नाम बना लेते हैं।
ये आरोप बिल्कुल भी नए नहीं हैं! ये सब लोग अपनी बात बनाने के लिए किसी भी चीज़ का इस्तेमाल कर लेते हैं! इस लड़की ने तो फिल्म छोड़ दी और अब इसे बड़ा मुद्दा बना रही है! ये सब नाटक है!
मैं इस बात से सहमत हूं कि इस्तीफा एक शुरुआत है, लेकिन अगर ये आरोप सच हैं तो ये बस शुरुआत है। फिल्म उद्योग में ये तरह के मामले बहुत ज्यादा हैं। अक्सर लड़कियां डर के मारे चुप रह जाती हैं।
इस तरह के मामलों में आरोप और बर्खास्तगी के बीच का अंतर बहुत महत्वपूर्ण है। एक आदमी का नाम बर्बाद हो सकता है, लेकिन अगर वो अपराधी है तो उसकी जिम्मेदारी भी बराबर है। बस इस्तीफा देना काफी नहीं है।
ये मामला सिर्फ एक व्यक्ति के बारे में नहीं है। ये मलयालम फिल्म उद्योग के संरचनात्मक विकृतियों के बारे में है। जो लोग बड़े हैं, उनकी शक्ति का दुरुपयोग होता है। लड़कियां नौकरी के लिए दबाव में आ जाती हैं। और जब वो बोलती हैं तो उन्हें अकेला छोड़ दिया जाता है। ये एक व्यवस्था का समस्या है।
मैंने खुद कई लड़कियों को देखा है जिन्होंने फिल्म उद्योग में काम करना छोड़ दिया। कोई भी उनकी बात नहीं सुनता। जब तक हम इस व्यवस्था को बदल नहीं देंगे, तब तक ये घटनाएं दोहराएंगी।
हम अक्सर अपने निजी बाहरी अहंकार के कारण दूसरों के दर्द को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। ये आरोप बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं हैं। ये एक वास्तविकता हैं जिसे हम देखने से इनकार कर रहे हैं। जब तक हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे, तब तक बदलाव नहीं होगा।
अगर ये आरोप सच हैं तो ये आदमी केवल इस्तीफा देकर नहीं बच सकता। इसे बर्खास्त किया जाना चाहिए, और उसके बाद उसके सभी फिल्मों को बैन किया जाना चाहिए। ये सिर्फ एक अभिनेता नहीं, ये एक व्यवसायी है जिसने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया।
क्या आप लोग इस बात को भूल गए कि ये सब आरोप एक ही लड़की के खिलाफ हैं? क्या ये सच है? क्या कोई दूसरा साक्षी है? क्या कोई फोन कॉल रिकॉर्ड है? नहीं तो ये बस एक बात है जिसे बड़ा बनाया जा रहा है
इस लड़की ने बहुत बहादुरी दिखाई। उसने अपने करियर को खतरे में डालकर सच बोला। इस तरह के लोगों को सम्मान देना चाहिए, न कि उन्हें चुप कराना।
मैं तो रो रही हूं। ये सब बहुत दर्दनाक है। मैंने खुद कभी ऐसा कुछ नहीं बताया, लेकिन मैं जानती हूं कि ये कितना डरावना होता है। अगर आपको लगता है कि ये बस एक आरोप है तो आप अभी तक इस दुनिया को नहीं जानते।
मैंने इस मामले की गहराई में जाने की कोशिश की। रिपोर्ट में कई और नाम भी हैं। ये सिर्फ एक आदमी का मामला नहीं है। ये एक पैटर्न है। और अगर हम इसे अभी नहीं रोकेंगे तो ये आगे बढ़ेगा।
ये आरोप जांच के बाद ही अंतिम हो सकते हैं। लेकिन जब तक जांच नहीं होती, तब तक इस्तीफा एक नैतिक निर्णय है। जिम्मेदारी का एक तरीका।
हम सभी अपने आप को नैतिक नायक बना लेते हैं। लेकिन अगर हम अपने अंदर जाएं तो शायद हम भी कभी चुप रह गए होंगे। क्या हमने कभी किसी की बात सुनी है जब वो बोल रही थी? ये सवाल उठाना जरूरी है।
मैं तो बस ये कहना चाहता हूं कि ये आरोप जांच के बाद ही ठीक हो सकते हैं लेकिन अगर इस्तीफा देकर ये आदमी बच गया तो ये एक बड़ा अपराध है। क्योंकि अगर वो दोषी है तो वो बस एक नौकरी छोड़कर भाग गया।
इस तरह के मामलों में जांच का निष्पक्ष तरीका बहुत जरूरी है। न तो जल्दबाजी में दोषी ठहराया जाए, न ही बचाव के लिए चुप रहा जाए। न्याय का रास्ता ही एकमात्र समाधान है।
ये सब बस एक बड़ा झूठ है। इस लड़की का कोई दूसरा फिल्म नहीं हुआ। शायद उसे नौकरी नहीं मिल रही थी। इसलिए ये सब बनाया गया।