नेशंस लीग में इटली बनाम फ्रांस: मैदान पर कौन करेगा बाजी
फुटबॉल की दुनिया में नेशंस लीग का यह मुकाबला खासा चर्चा में है क्योंकि इसमें इटली और फ्रांस जैसी धाकड़ टीमें आमने-सामने हैं। यह मुकाबला आज, 17 नवंबर, 2024 को इटली के प्रसिद्ध सैन सिरो मैदान में खेला जाएगा, जिसमें दोनों देशों की टीमों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भारतीय समयानुसार यह मैच रात 1:15 बजे (GMT समयानुसार 19:45 बजे) शुरू होगा।
इटली की टीम में गुग्लिएल्मो विकारियो और मैनुएल लोकाटेली के शामिल होने से इसकी रक्षक क्षमता में इज़ाफा हुआ है। वहीं, फ्रांस की टीम मार्कस थुरम, क्रिस्टोफ़र एनकुं कु, और मानु कोने के साथ मैदान पर उतरेगी, जो फ्रांस की आक्रामक रुख को दर्शाता है। दोनों टीमें पहले ही क्वार्टर फाइनल में अपनी जगह पक्की कर चुकी हैं, लेकिन इस मैच का महत्व अब ग्रुप में शीर्ष स्थान की दौड़ में है।
इटली के खेल में हो रहा बदलाव
इटली के मुख्य कोच लुसियानो स्पालेट्टी ने अपनी टीम में कुछ प्रमुख बदलाव किए हैं। निकोलो रोवेला की जगह मैनुएल लोकाटेली को मध्य में लाया गया है, जो टीम की संयोजन क्षमता को बढ़ाएगा। इसके अलावा, मुख्य गोलकीपर गियानलुइगी डोनारूमा को अस्वस्थता के कारण बाहर रखा गया है, और उनकी जगह टोटेनहम हॉटस्पर के गोलकीपर विकारियो को टीम में शामिल किया गया है। यह विकारियो का चौथा अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन होगा, जिससे उनके अनुभव को और अधिक मजबूती मिलेगी।
फ्रांस के खिलाड़ियों की तैयारियां
फ्रांस ने 4-3-3 फॉर्मेशन में बदलाव करते हुए एक आक्रामक रुख अपनाया है। टीम में इंटर के स्ट्राइकर थुरम का नाम है, जबकि मर्फी ग्यूडौज़ी को मिडफील्ड में रखा गया है। मिलान के लेफ्ट-बैक थियो हर्नॉन्डेज के घुटने में चोट होने के कारण उन्हें मैदान से बाहर रखा गया है, जबकि एडुआर्डो कैमाविंगा को इजरायल के खिलाफ हुए निलंबन के कारण विराम देना पड़ा है।
इन दोनों टीमों के खिलाड़ियों की सूची की बात करें तो :
- इटली: विकारियो; दी लोरेंजो, बुयोंगोर्नो, बास्तोनी; कंबियासो, फ्राटेसी, लोकाटेली, टोनाली, डिमार्को; बरेला; रेटेगुई
- फ्रांस: मैग्नां; कोंडे, कोनाटे, सालिबा, डिग्ने; कोने, रेबिओट, ग्यूडौज़ी; कोलो मुआनी, एम थुरम, एनकुं कु
सांस थाम देने वाली गेंदबाजी
मैच में स्लोवेनिया के विंसिक को रेफरी की भूमिका निभाने का मौका दिया गया है। यह मैच फुटबॉल के दीवानों के लिए किसी रोमांचक उपहास से कम नहीं होगा, जहाँ दोनों टीमें श्रेष्ठता साबित करने के लिए मैदान में उतरेंगी। किसी भी एक टीम की हार या जीत पर ग्रुप की स्थिति में बदलाव आ सकता है, जिससे फाइनल की राह आसान या मुश्किल हो सकती है। इस सब के बीच खिलाड़ियों की व्यक्तिगत कौशल और टीम संयोजन प्रमुख भूमिका अदा करेगा। हर फूटबॉल प्रशंसक इस खेल का इंतजार कर रहा है, क्योंकि ऐसे मैच नए कीर्तिमान स्थापित करने के लिए होते हैं।
ये मैच तो बस फुटबॉल नहीं, बल्कि इतिहास का एक पन्ना है। इटली की डिफेंस और फ्रांस की अटैक देखकर लगता है जैसे बारिश के बाद आसमान में बिजली कौंध रही हो। मैं तो लोकाटेली के गेम रीडिंग पर नज़र रखूंगा - वो तो एक ऐसा मिडफील्डर है जो बिना बोले सब कुछ समझ लेता है।
फ्रांस के खिलाफ इटली का खेल देखने का मौका देना तो बस इटली के खिलाफ षड्यंत्र है। हमारी टीम को इतनी ताकत नहीं दी गई जितनी चाहिए। ये सब यूरोपीय षड्यंत्र हैं जो हमें हमेशा नीचे दबाए रखते हैं।
लुसियानो स्पालेट्टी का फॉर्मेशन एक नए दर्शन की ओर इशारा करता है - एक ऐसा दर्शन जो फुटबॉल को एक फिलॉसफिकल एक्सप्रेशन में बदल देता है। विकारियो की गोलकीपिंग तो एक बार जब उन्होंने टोटेनहम में खेली थी, वो ऐसी थी जैसे कोई ग्रीक ट्रैजेडी का हीरो हो। इटली की टीम अब एक आर्टवर्क है, न कि एक स्पोर्ट्स टीम।
दोनों टीमों के खिलाड़ी बहुत अच्छे हैं। बस इतना चाहिए कि खेल खेले जाए, बिना किसी अतिरिक्त भावनात्मक बोझ के। जीत या हार दोनों ही खेल का हिस्सा हैं। इस बार जो भी जीते, उनकी मेहनत की तारीफ करनी चाहिए।
मैंने देखा कि फ्रांस के मिडफील्ड में ग्यूडौज़ी को रखा गया है - वो तो बिल्कुल एक बास्केटबॉल पॉइंट गार्ड की तरह खेलता है। इटली के लोकाटेली के सामने ये एक बड़ा टेस्ट होगा। क्या वो उसकी पासिंग को कंट्रोल कर पाएगा? बहुत दिलचस्प होगा।
इटली के बैकलाइन में बास्टोनी और बुयोंगोर्नो का कॉम्बिनेशन बहुत मजबूत है और फ्रांस के थुरम को उनके सामने बहुत काम करना पड़ेगा। ये मैच वाकई टेंशन से भरा है
फ्रांस की टीम में कोने का नाम है? वो तो बस एक टैलेंटेड बच्चा है - और ये इटली को देखकर डर गया होगा! फ्रांस के बच्चों को अभी भी इटली के बुजुर्गों के सामने बेहतर बनने की जरूरत है! ये टीम अभी भी एक बच्चों का खेल है और इटली को इसे गंभीरता से लेना चाहिए!
किसी भी टीम की जीत या हार का मतलब ये नहीं कि एक देश दूसरे से बेहतर है। ये खेल तो इंसानी भावनाओं का एक दर्पण है। जो भी जीते, उन्हें आदर करना चाहिए। इटली के लोकाटेली और फ्रांस के कोने दोनों ही अपने अपने तरीके से बहुत कुछ सिखाते हैं।
इस मैच में जो भी जीतेगा, वो एक नया अर्थ बनाएगा - न कि बस एक नतीजा। फुटबॉल एक जीवन दर्शन है। इटली का बल और फ्रांस की तीव्रता दोनों ही जीवन के दो पहलू हैं। एक नियंत्रित शक्ति और एक अनियंत्रित ऊर्जा। ये मैच हमें याद दिलाता है कि जीतने के लिए तो बहुत कुछ चाहिए, लेकिन खेलने के लिए बस एक दिल चाहिए।
फ्रांस के खिलाफ इटली की टीम बहुत कमजोर है और उनका कोच बिल्कुल अनुभवहीन है। फ्रांस के लड़के तो बच्चे हैं लेकिन इटली के बैकलाइन तो टूट रहे हैं और गोलकीपर विकारियो तो एक नौकर है जिसे बस दिखाना है। ये टीम फाइनल तक नहीं जा पाएगी
इटली के खिलाफ फ्रांस का खेल एक अंतर्राष्ट्रीय अपमान है। हमारे खिलाड़ियों को इतना बल नहीं दिया गया जितना चाहिए। ये फ्रांस की टीम तो बस अपने अहंकार से भरी है। इटली को ये मैच जीतना चाहिए और दुनिया को याद दिलाना चाहिए कि असली शक्ति कहाँ है
मैच शुरू हो रहा है। बस खेलो।