भारतीय बैडमिंटन की स्टार और दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु ने पेरिस ओलंपिक में अपने अभियान की शुरुआत मालीद्वी की फathिमा अब्दुल रजाक के खिलाफ जोरदार जीत के साथ की है। रविवार को खेले गए इस मैच में सिंधु ने रजाक को महिला एकल समूह चरण में 21-9, 21-6 के सीधे सेट में पराजित कर दिया। यह मैच केवल 29 मिनट का था और इसमें सिंधु का हौसला, अनुभव और कौशल साफ दिखाई दिया।
हालांकि मैच की शुरुआत में सिंधु ने कुछ छोटी-मोटी गलतियाँ कीं, लेकिन जल्द ही वे अपनी शैली में ढल गईं और पहला गेम 13 मिनट में 11-4 की बढ़त के साथ समाप्त किया। दूसरे गेम में भी सिंधु ने चार अंक जल्दी ही जीतकर बढ़त बना ली, और रजाक के लिए कोई मौका नहीं छोड़ा। भले ही रजाक ने एक पल के लिए स्कोर 3-4 तक पहुँचाया, लेकिन सिंधु ने फिर से मोर्चा संभालते हुए स्कोर 10-3 तक बढ़ा दिया। अंततः सिंधु ने अपने 14 मैच प्वाइंट में से केवल एक का उपयोग करके इस गेम को समाप्त किया।
पीवी सिंधु का उत्कृष्ट प्रदर्शन
सिंधु वर्तमान में विश्व रैंकिंग में 13वें स्थान पर हैं और इस टूर्नामेंट में 10वीं वरीयता प्राप्त हैं। उन्होंने पहले भी रियो 2016 में रजत पदक और टोक्यो 2020 में कांस्य पदक जीता है। यह जीत उनके आगामी मुकाबलों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है।
सिंधु का अगला मुकाबला एस्टोनिया की विश्व नंबर 75 खिलाड़ी क्रिस्टिन कुबा से है, जो बुधवार को खेला जाएगा। उनके प्रशंसकों को उम्मीद है कि सिंधु एक और मजबूत प्रदर्शन के साथ अपने पदक संग्रह में एक और ओलंपिक पदक जोड़ेंगी।
सिंधु की पेशेवर तैयारियाँ
सिंधु की इस धमाकेदार जीत की पीछे उनकी कठिन मेहनत और पेशेवर तैयारियाँ हैं। वह ओलंपिक के लिए महीनों से तैयारी कर रही थीं और उनके कोच ने हर पहलू पर ध्यान दिया। उनकी रणनीति, फिटनेस और मेंटल टफनेस पर विशेष जोर दिया गया।
सिंधु ने मैच के बाद कहा, 'यह जीत मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मैंने अपने खेल में कुछ बदलाव किए हैं और मैं अपने खेल को एक नए स्तर पर ले जाना चाहती हूं। रजाक के खिलाफ खेलना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मैंने योजना के अनुसार अपना खेल खेला और सफलता प्राप्त की।'
ओलंपिक के महत्व
ओलंपिक खेलों का महत्व खिलाड़ियों के जीवन में बहुत बड़ा होता है। यहां पर एक खिलाड़ी का हर मैच उसकी साख और कड़ी मेहनत की पहचान होती है। पेरिस ओलंपिक में सिंधु की यह शुरुआत न केवल उनके लिए, बल्कि भारतीय बैडमिंटन के लिए भी एक आशा की किरण है।
भारतीय खेल प्रेमियों के लिए यह क्षण गर्व का है और सभी की निगाहें अब सिंधु के अगले मैच पर हैं। हर कोई उनके अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रहा है और उन्हें हर संभव समर्थन देने के लिए तैयार है।
सिंधु ने तो बस एक मैच नहीं जीता, बल्कि पूरे भारत के दिलों में एक ज्वाला जला दी है। ये लड़की बस बैडमिंटन नहीं खेलती, वो इतिहास लिख रही है। देखो उसकी आंखों में वो आग, वो दृढ़ता - ये कोई खिलाड़ी नहीं, एक असली योद्धा है।
मैंने देखा, जब वो पहले गेम में 11-4 की बढ़त बना रही थीं, तो उनकी हर शॉट में एक अलग तरह की शांति थी... जैसे कोई ध्यान में हो, और फिर अचानक - बम।
ओह माय गॉड, ये तो बस एक मैच नहीं, ये तो एक भावनात्मक अनुभव था! मैंने रो दिया, बस देखकर कि वो एक बार फिर अपने नाम को इतिहास में दर्ज कर रही हैं।
21-6? ये तो बस एक ट्रेनिंग मैच लग रहा था। अगर ये ओलंपिक है तो दूसरे खिलाड़ी को भी कुछ चाहिए था।
पीवी सिंधु की ये जीत सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, भारतीय महिलाओं के लिए एक संदेश है - कि तुम जितनी मेहनत करोगी, उतनी ही दुनिया तुम्हें सुनेगी। उनकी बातों में वो सादगी, वो निस्वार्थता - ये सब असली नेतृत्व है।
मैच का वीडियो दोबारा देखा। उनका नेट के पास का खेल, वो फेक शॉट्स - ये सब बस एक बच्चे की तरह नहीं, बल्कि एक अनुभवी योद्धा की तरह था। और फिर भी वो बोलीं - ‘मैंने कुछ बदलाव किए हैं’। ये ही असली ग्रेटनेस है।
जब हम ओलंपिक की बात करते हैं, तो हम अक्सर पदकों की बात करते हैं, लेकिन वास्तविक जीत तो उस आत्मा की होती है जो अपने डर को चुनौती देती है। पीवी सिंधु ने आज न सिर्फ एक खिलाड़ी के रूप में जीता, बल्कि एक व्यक्ति के रूप में - जो जानती है कि असली शक्ति बाहर नहीं, अंदर होती है।
ये सब बकवास है। अगर ये ओलंपिक का मैच है तो फिर ये जीत क्यों नहीं बनी? क्या ये तो बस एक अफ्रीकी खिलाड़ी को हराना था? अगर ये असली चुनौती होती तो ये जीत नहीं होती।
रजाक का रेटिंग 180 से कम है, ये तो एक बेसलाइन मैच है। सिंधु के लिए ये बस एक रिकवरी राउंड था। असली परीक्षा तो कुबा और बाद के खिलाड़ियों के खिलाफ है। इस तरह की जीत से ज्यादा असर तो टीम के फिटनेस प्रोग्राम पर पड़ता है।
मैंने एक फ्रेंच टीवी शो देखा जहां उन्होंने कहा - ‘सिंधु का खेल एक जापानी गार्डन की तरह है - सरल, पर गहरा’। ये बात तो असल में गहरी है।
मैंने अपने बेटे को ये मैच दिखाया। उसने कहा - ‘पापा, वो लड़की बहुत शांत है, लेकिन जब गेंद चलती है, तो वो बिल्कुल बिजली हो जाती है।’ मैंने सोचा - ये बच्चा समझ गया।
मैं एक कोच हूँ, और मैं तुम्हें बताता हूँ - ये जीत बस एक गेम नहीं, ये एक पूरी तैयारी का नतीजा है। जब तुम देखो कि वो नेट के पास उस छोटे से ड्रॉ शॉट कैसे लगाती हैं - वो नहीं तोड़ती, वो बस बात बनाती है। ये ही असली कला है।
मैच के बाद के इंटरव्यू में उन्होंने जो कहा, वो सचमुच याद रखने लायक है - ‘मैं अपने खेल को एक नए स्तर पर ले जाना चाहती हूँ’। ये बात तो एक चैम्पियन की नहीं, एक विचारक की है।
मैंने अभी तक ये देखा है कि उन्होंने कितनी बार अपने रूटीन में बदलाव किया है - अब वो बिना वार्म-अप के भी शॉट लगाती हैं, ताकि दिमाग तेज रहे। ये तो बहुत अलग तरीका है।
मैंने तुम्हारे सारे कमेंट्स पढ़ लिए हैं, लेकिन क्या किसी ने ये देखा कि उनके जूते तो अभी भी पुराने हैं? वो अभी भी उसी जोड़ी को पहन रही हैं जो रियो ओलंपिक से लगे हैं। ये ही है असली बलिदान।
अच्छा, तो क्या क्रिस्टिन कुबा के खिलाफ उनकी रणनीति बदलेगी? क्या वो फ्रंट कोर्ट पर ज्यादा ध्यान देंगी? मैंने देखा कि रजाक ने बहुत जल्दी नेट पर आकर दबाव बनाया - क्या ये अगले खिलाड़ी भी करेंगे?