जब राजीव नयन मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 25 अक्टूबर 2024 को जमानत दी, तो उत्तर प्रदेश के परीक्षा‑पत्र लीक पर चल रहे कई सालों के जाँच‑खोज का एक बड़ा मोड़ आया। यह जमानत आदेश सिर्फ एक कानूनी राहत नहीं बल्कि एक सामाजिक इशारा भी है—कि बड़े‑बड़े किरातकों को न्यायालय भी कभी‑कभी सख्त नियमों से ‘अलग’ कर देता है।
परीक्षा‑पत्र लीक की पृष्ठभूमि
11 फरवरी 2024 को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने आरओ/एआरओ (समीक्षा अधिकारी व सहायक समीक्षा अधिकारी) भर्ती परीक्षा आयोजित की। परीक्षा के प्रश्नपत्र भोपाल, मध्य प्रदेश स्थित एक प्रिंटिंग प्रेस से छपे और परीक्षा के एक हफ्ता पहले ही लीक हो गए। इस बात की पुष्टि उत्तर प्रदेश एसटीएफ की नोएडा यूनिट ने की थी।
स्टेट टास्क फोर्स (STF) ने इस गंभीर कवरेज के पीछे एक व्यापक नेटवर्क का खुलासा किया जो 396 लोगों तक फैला था, जिनमें 54 को सीधे STF ने पकड़ा था। इस गिरोह में चार इंजीनियरिंग‑पढ़े युवक, दो प्रमुख लीडर और एक महिला सदस्य (जिसे अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया) शामिल थे।
राजीव नयन मिश्रा की गिरफ्तारी व जमानत
रक्तपात की तरह तेज़ी से बढ़ते इस केस में राजीव नयन मिश्रा को मुख्य आरोपी घोषित किया गया। उन्हें मेरठ जेल में बंद किया गया, जहाँ से उन्होंने 25 अक्टूबर को प्रयागराज के जिला एवं सत्र न्यायालय में याचिका दायर की। याचिका का उत्तर दे कर एलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत आदेश जारी किया, लेकिन कई सशर्त प्रतिबंध लगाई।
जमानत में सबसे प्रमुख शर्त यह थी कि राजीव नयन मिश्रा को केस से संबंधित किसी भी नई जानकारी को तुरंत STF को रिपोर्ट करना होगा, साथ ही उन्होंने 24 घंटे में पुलिस से संपर्क कर अपने स्थान की पुष्टि करनी थी। इस शर्त को तोड़ने पर जमानत तुरंत रद्द की जा सकती है।
पर्यवेक्षण एवं संपत्ति जब्ती
ज्यादा देर नहीं हुई; 6 अगस्त 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राजीव नयन मिश्रा और उनके सहयोगी सुभाष प्रकाश की 1.02 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली। इस संपत्ति में नकद, जमीनी संपत्ति और दो मोटरसाइकिलें शामिल थीं। दर्शनीय बात यह है कि ED ने आगे कहा कि जांच के दौरान और भी कई बैंक अकाउंट और गहने उनके नाम पर मिल सकते हैं।
संबंधित अधिकारी डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि राजीव नयन मिश्रा पहले भी कई प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक करवाने का जाल बुन चुका है। इस बार लीक किए गए प्रश्नपत्र का दुष्प्रचार विशेष रूप से तकनीकी प्रश्नों पर केंद्रित था, जिससे पक्षपाती उम्मीदवारों को काफी फायदा मिला।

पक्षों की प्रतिक्रियाएँ
उम्मीदवारों ने जमानत की खबर पर मिश्रित भावनाएँ जताईं। एक साक्ष्य‑संबंधी मंच पर एक अभ्यर्थी ने कहा, “जमानत से उनका फायदा नहीं, बल्कि परीक्षा‑पर्याप्ति की सच्ची समस्या की बारीकी से जांच की जानी चाहिए।” दूसरी ओर, कई राजनेता ने न्यायिक प्रक्रिया के सम्मान की वकालत की, यह कहते हुए कि “किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमे के दोषी ठहराया नहीं जा सकता।”
उपरोक्त के अलावा, रेणुका मिश्रा, जिन्हें प्रोन बोर्ड की डीजी के रूप में कार्यरत था, को इस केस में पद से हटाया गया। उनके हटानें से यह संकेत मिलता है कि राज्य भी इस समस्या को गंभीरता से ले रहा है।
भविष्य की संभावनाएँ और न्यायिक निगरानी
जमानत के बाद शर्तों के पालन की देखभाल का काम उत्तरी प्रदेश एसटीएफ का होगा। उन्होंने कहा, “हमें न केवल इस व्यक्ति की हरकतों पर नजर रखनी है, बल्कि पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए अतिरिक्त ऑपरेशन्स भी चलाए जाएंगे।” लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस दिशा में अंकों‑पर‑आधारित री-टेस्टिंग प्रणाली और मजबूत पेपर‑सुरक्षा उपाय लागू किए जाएंगे।
अंत में, यह केस दर्शाता है कि परीक्षा‑पत्र लीक जैसी वैधानिक अपराधों के पीछे सिर्फ एक ही व्यक्ति नहीं होता; यह सामाजिक‑आर्थिक असमानता, उच्च-स्तरीय भ्रष्टाचार और तकनीकी उपायों की कमी का जोड़ है। इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि ‘सख्त सजा’ के साथ-साथ ‘सिस्टम‑रिफ़ॉर्म’ भी जरूरी है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
जमानत मिलने से राजीव नयन मिश्रा को किस प्रकार की शर्तें स्वीकार करनी होंगी?
जमानत के साथ यह शर्त लगाई गई है कि वह केस‑से जुड़े किसी भी नई जानकारी को तुरंत यूपी एसटीएफ को सूचित करेगा, साथ ही 24 घंटे में पुलिस स्टेशन में अपने वर्तमान ठिकाने की पुष्टि करेगा। इन शर्तों का उल्लंघन करने पर जमानत तुरंत रद्द की जा सकती है।
ब्यापारिक या शैक्षणिक संस्थानों पर इस केस का क्या असर पड़ेगा?
कई संस्थानों ने अब परीक्षा‑पत्र की सुरक्षा को लेकर कड़े नियम अपनाने का वादा किया है। कुछ प्रमुख कोचिंग सेंटर ने डिजिटल एन्क्रिप्शन और बायोमेट्रिक लॉग‑इन जैसी तकनीकों को लागू करने की योजना बनायी है, जिससे भविष्य में लीक का जोखिम घटेगा।
प्रवर्तन निदेशालय ने 1.02 करोड़ रुपये की संपत्ति क्यों जब्त की?
ED ने पाया कि राजीव नयन मिश्रा और सुभाष प्रकाश ने लीक किए गए प्रश्नपत्र से प्राप्त अवैध लाभ को बैंक अकाउंट, जमीनी संपत्ति और मूल्यवान धातु में निवेश किया था। इस कारण वह धन ‘अवैध आय’ के रूप में वर्गीकृत किया गया और जब्त किया गया।
क्या अन्य आरोपियों को भी जमानत मिलने की संभावना है?
वर्तमान में अधिकांश आरोपियों को अदालत में मजबूर के रूप में रख दिया गया है और उनके खिलाफ अतिरिक्त साक्ष्य मौजूद हैं। इसलिए जमानत मिलना कठिन माना जा रहा है, लेकिन प्रत्येक केस की व्यक्तिगत सुनवाई के बाद ही निर्णय तय होगा।
उत्तरी प्रदेश सरकार ने इस घटना पर क्या कदम उठाए हैं?
सरकार ने एक विशेष कमेटी बनाकर परीक्षा‑पत्र सुरक्षा के लिए नई नीतियाँ तैयार करने का निर्देश दिया है। इस कमेटी में शिक्षा विशेषज्ञ, साइबर‑सुरक्षा अधिकारी और पूर्व परीक्षक शामिल हैं, जो आगामी वर्षों में लीक‑रोधी उपायों को लागू करेंगे।
जमानत का आदेश न केवल आरोपी को अस्थायी राहत देता है बल्कि जांच के दौरान पारदर्शिता बनाए रखने का भी संकेत है। इसका मतलब है कि STF को तुरंत नई जानकारी देना होगा और आरोपी को 24 घंटे में अपनी लोकेशन रिपोर्ट करनी होगी। इस शर्त का पालन न करने पर जमानत रद्द हो सकती है