दशहरा – भारत का सबसे बड़ा विजय उत्सव
जब दशहरा, हिन्दु कैलेंडर के आश्विन महीने की दसवीं तिथि पर मनाया जाने वाला बहुप्रतीक्षित त्यौहार है, जिसमें बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है की बात आती है, तो हर घर, हर नगर में अलग‑अलग रंग देखे जाते हैं। इसे मुख्यतः विजयदशमी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन रावण जैसे दुष्ट को हराकर भगवान राम ने अपने पिता की अनुकूलता को प्रकट किया। इस पृष्ठ पर हम दशहरा की जड़ें, उसके प्रमुख रिवाज़, और आज के समय में कैसे लोग इसे मनाते हैं, इस पर गहराई से चर्चा करेंगे।दशहरा सिर्फ एक सार्वजनिक छुट्टी नहीं, बल्कि भारतीय सामाजिक fabric में गहरा पैटर्न बुनता है।
दशहरा के प्रमुख पहलू और जुड़े हुए तत्व
दशहरा का मुख्य आकर्षण अक्सर रामलीला, भक्तों द्वारा मंचित नाट्य रूप है जिसमें भगवान राम की जीवन गाथा को प्रस्तुत किया जाता है होती है। शहर‑शहर में 10‑12 घंटे की इस प्रदर्शनी में रावण के 10 सिर, लंका को जलाते हुए देखना आम बात है। इसी तरह, विजयदशमी, दशहरा के अंतिम दिन को दर्शाता है, जहाँ विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजन एवं आमावास्य (मधु) जलाया जाता है का आयोजन होता है। इन दो तत्वों के बीच सीधा संबंध है: रामलीला दर्शकों को रावण पर विजय की कथा सुनाता है, जबकि विजयदशमी उस जीत को आध्यात्मिक रूप में स्मरण कराती है।
एक और महत्वपूर्ण परंतु अक्सर छूट जाने वाला भाग है रावण, अधर्म का प्रतीक, जिसके सिरों को दशहरा में पुतले बनाकर जलाया जाता है का पुतला दहन। यह रिवाज़ सामाजिक रूप से बुराई के अंत को स्पष्ट रूप से दर्शाता है, और साथ ही सामुदायिक एकता को भी बढ़ाता है। साथ में आमावास्य, रावण को जलाने के बाद जलते पुतले के पास रखी जाने वाली मिठाई, जिसे विजय के बाद आनंद के रूप में खाया जाता है का प्रयोग भी उत्सव में मिठास लाता है। ये चारों एंटिटीज़ (दशहरा, रामलीला, रावण, आमावास्य) एक-दूसरे को पूरक करती हैं: दशहरा सेटिंग, रामलीला कथा, रावण पुतला दहन, और अंत में मिठाई के साथ जश्न।
आज के समय में दशहरा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि आर्थिक भी बन गया है। बाजारों में रावण के बड़े‑बड़े पुतले, रोशनियों की लहरें, और सांस्कृतिक मेलों का आयोजन देखा जाता है। कई शहरों में दशहरा पर फ़ैशन शो, संगीत महोत्सव और खेल प्रतियोगिताएँ भी होती हैं, जिससे स्थानीय व्यवसाय को बढ़ावा मिलता है। इसी कारण से प्रतिस्पर्धी कंपनियाँ इस मौके पर विशेष ऑफ़र लाते हैं, और सोशल मीडिया पर हैशटैग #दशहरा2025 ट्रेंड करता है। इस तरह का आधुनिक मिश्रण दर्शाता है कि दशहरा कैसे परम्परा और नवाचार को मिलाकर समकालीन भारत में जीवित रहता है।
अब जबकि हमने दशहरा के इतिहास, प्रमुख रिवाज़ और आज की प्रचलित परम्पराएँ पूरी तरह समझ ली हैं, आप नीचे दी गई पोस्ट सूची में प्रत्येक विषय की गहरी जानकारी पाएंगे। चाहे आप रामलीला के पीछे की तैयारी, रावण पुतले की बनावट, या विजयदशमी के पूजा विधि में रुचि रखते हों, इस संग्रह में सब कुछ कवर किया गया है। चलिए, आगे बढ़ते हैं और इन लेखों में छुपे हुए रोचक तथ्य और उपयोगी टिप्स देखें।
3 अक्तूबर 2025
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11 टिप्पणि
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