हिंडनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत – क्या है और क्यों जरूरी है?

जब आप क्वांटम दुनिया की बात करते हैं तो अक्सर "हिंडनबर्ग" का नाम सुनते हैं। वही अनिश्चितता सिद्धांत है जो बताता है कि किसी कण की स्थिति (जगह) और गति (वेग) को एक साथ पूरी सटीकता से नहीं मापा जा सकता। मतलब, जितना ज़्यादा आप कण की जगह जानेंगे, उतना ही उसकी गति के बारे में अंदाज़ा धूमिल हो जाएगा, और उल्टा भी सही है। यह विचार 1927 में वर्नर हिंडनबर्ग ने पेश किया था और आज भी भौतिकी का बेसिक नियम माना जाता है।

क्यों होता है यह अनिश्चितता?

क्वांटम स्तर पर चीज़ें वैविध्यपूर्ण (wave‑like) होती हैं। जब आप लाइट या इलेक्ट्रॉन जैसे कण को देखना चाहते हैं तो आपको उसे चमकना या बिखरना पड़ता है। यह बिखराव ही कण की सटीक स्थिति को धुंधला कर देता है। वही बिखराव कण की गति को भी बदल देता है। इसलिए "सटीकता" और "परिवर्तन" के बीच एक मूलभूत संतुलन बनता है, जिसे गणितीय रूप से Δx·Δp ≥ ħ/2 लिखा जाता है। यहाँ Δx स्थिति की अनिश्चितता, Δp गति की अनिश्चितता और ħ प्लेटा‑सांख्यिकीय स्थिरांक है।

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अनिश्चितता का असर

ऐसा लगता है कि क्वांटम नियम सिर्फ प्रयोगशालाओं में ही काम आते हैं, पर असल में उनका असर हमारे रोज़मर्रा के गैजेट्स में भी दिखता है। उदाहरण के तौर पर, मोबाइल फोन, लैपटॉप और सैटेलाइट सभी क्वांटम‑डॉट्स और ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल करते हैं, जिनकी कार्यक्षमता इंजीनियरिंग में अनिश्चितता सिद्धांत को ध्यान में रखकर डिजाइन की गई है। यही कारण है कि आज की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस इतनी तेज़ और भरोसेमंद हैं।

दूसरा उधाहरण: अगर आप माइक्रोचिप बनाते समय बहुत छोटा ट्रांसिस्टर बनाते हैं, तो अनिश्चितता के कारण इलेक्ट्रॉनों की स्थिति में थोड़ी‑बहुत अनिश्चितता आती है, जिससे ट्रांसिस्टर की स्थिरता बदल सकती है। इसलिए इंजीनियर्स को उस सीमा का ध्यान रखना पड़ता है, जब वे चिप को छोटा करने की कोशिश करते हैं।

क्वांटम कंप्यूटिंग भी उसी सिद्धांत पर टिकी है। क्वांटम बिट (क्यूबिट) दो स्थितियों में एक साथ रह सकता है, यानी सुपरपोज़िशन। लेकिन जब आप क्यूबिट को पढ़ते हैं, तो वह अपनी एक ही स्थिति में गिर जाता है, यानी अनिश्चितता सिद्धांत के कारण जानकारी का नुकसान हो सकता है। इसको संभालने के लिए शोधकर्ता त्रुटि‑सुधार तकनीक बढ़ा रहे हैं।

तो, हिंडनबर्ग ने हमें जो मुख्य सबक दिया, वह यह है कि प्रकृति में पूरी निश्चितता नहीं है। इस सोच ने वैज्ञानिकों को नई दिशाएँ दिखायीं – जैसे क्वांटम एन्क्रिप्शन, जो डेटा को अनसुरक्षित बनाता है क्योंकि बाहरी व्यक्ति कण की स्थिति नहीं ठीक-ठीक जान पाता।

संक्षेप में, हिंडनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत सिर्फ एक फॉर्मूला नहीं, बल्कि एक ऐसा सिद्धांत है जो हमारे तकनीकी जीवन को आकार देता है। यदि आप विज्ञान में दिलचस्पी रखते हैं, तो इस सिद्धांत को समझना आपको क्वांटम दुनिया के रहस्यों के करीब ले जाएगा। अगली बार जब आपका फोन तेज़ी से काम करे, याद रखें – पीछे हिंडनबर्ग का छोटा‑छोटा योगदान छिपा है।

सेबी बनाम हिंडनबर्ग: मधाबी बुच ने अपने पति के अदानी-लिंक वाले IPE-प्लस फंड में निवेश का कारण बताया

11 अगस्त 2024 · 0 टिप्पणि

सेबी बनाम हिंडनबर्ग: मधाबी बुच ने अपने पति के अदानी-लिंक वाले IPE-प्लस फंड में निवेश का कारण बताया

सेबी अध्यक्ष मधाबी पुरी बुच ने हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि उनके पति द्वारा अदानी-लिंक ऑफशोर फंड में निवेश एक व्यक्तिगत मित्रता और पेशेवर योग्यता पर आधारित था। परिवार ने बताया कि फंड ने अदानी समूह के किसी भी शेयर में निवेश नहीं किया था और यह निवेश 2018 में CIO अनिल आहूजा के पद छोड़ने पर वापस ले लिया गया था।

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