IPE-प्लस फंड: क्या है और कब चुनें?
अगर आप अपने पैसे को सुरक्षित और बढ़िया रिटर्न के साथ लगाना चाहते हैं तो IPE-प्लस फंड एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यह फंड खासकर उन लोगों के लिए बनाया गया है जो मध्यम जोखिम लेकर दीर्घकालिक बचत चाहते हैं। फंड का पूरा नाम "इंडियन प्रीमियम एंरिचमेंट प्लस" है, लेकिन आम तौर पर इसे IPE‑प्लस कहा जाता है। यह इक्विटी और बॉन्ड दोनों में निवेश करता है, इसलिए मार्केट की उठापटक को थोड़ा कम करता है।
मुख्य विशेषताएँ और लाभ
पहली बात, IPE‑प्लस फंड में प्रोफेशनल मैनेजर्स होते हैं जो हर महीने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करते हैं। दूसरा, यह फंड टैक्स फाइलिंग में भी मदद करता है क्योंकि लम्बे समय के निवेश पर कैपिटल गैन्स टैक्स कम रहता है। तीसरा, शुरुआती निवेशकों के लिए यह फंड कम मिनिमम एंट्री पर उपलब्ध है, इसलिए आप छोटे-छोटे अमाउंट से भी शुरू कर सकते हैं।
फंड की रिटर्न देखी जाये तो पिछले 5 सालों में औसत 11‑12% वार्षिक रहा है, जो कि बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट से कहीं बेहतर है। लेकिन याद रखें, रिटर्न गारंटी नहीं है, मार्केट के उतार‑चढ़ाव से असर पड़ता है। इसलिए फंड चुनते समय अपने जोखिम सहनशीलता को समझें।
सही समय पर कैसे निवेश करें?
सबसे पहले, अपने वित्तीय लक्ष्य तय करें – घर खरीदना, बच्चा पढ़ाना या रिटायरमेंट के लिए बचत। फिर अपनी बचत का हिस्सा फिक्स्ड इनकम (बॉन्ड) और इक्विटी (शेयर) में बाँटें। IPE‑प्लस फंड इन दोनों को संतुलित करता है, इसलिए यह एक‑स्टॉप‑सॉल्यूशन बन जाता है।
दूसरी बात, नियमित निवेश (एसआईपी) करें। हर महीने 5‑10 हज़ार रुपये या जितना आपका बजट अनुमति दे, फंड में डालें। इस तरीके से आप मार्केट की वैरिएबिलिटी को स्मूद कर सकते हैं और कॉस्ट एवरेजिंग का फायदा मिलता है।
तीसरा, फंड की परफ़ॉर्मेंस को साल में दो‑तीन बार देखें, लेकिन बार‑बार चेक करने से बचें। अगर फंड लगातार 2‑3 साल नीचे चला तो ही बाहर निकलने के बारे में सोचें, नहीं तो छोटी‑छोटी उतार‑चढ़ाव पर पैंसिल नहीं बदलें।
अंत में, फंड की फ़ीसेस पर ध्यान दें – एंटरप्रेन्योर चार्ज, एडवाइज़र चार्ज आदि। IPE‑प्लस फंड की कुल शुल्क आमतौर पर 1‑2% के बीच रहती है, जो बाजार की औसत से ज्यादा नहीं है। कम फीस मतलब आपके मुनाफे में ज्यादा हिस्सा रहेगा।
तो संक्षेप में, अगर आप हल्के‑मध्यम जोखिम के साथ दीर्घकालिक रिटर्न चाहते हैं, तो IPE‑प्लस फंड को एक बार जरूर देखें। अपनी निवेश योजना में इसे शामिल करें, नियमित एसआईपी बनाएं और फंड की परफ़ॉर्मेंस को समझदारी से मॉनीटर करें। सही कदम उठाकर आप अपने पैसे को सुरक्षित और बढ़िया रिटर्न के साथ बढ़ा सकते हैं।
11 अगस्त 2024
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सेबी अध्यक्ष मधाबी पुरी बुच ने हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि उनके पति द्वारा अदानी-लिंक ऑफशोर फंड में निवेश एक व्यक्तिगत मित्रता और पेशेवर योग्यता पर आधारित था। परिवार ने बताया कि फंड ने अदानी समूह के किसी भी शेयर में निवेश नहीं किया था और यह निवेश 2018 में CIO अनिल आहूजा के पद छोड़ने पर वापस ले लिया गया था।
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