करवा चौथ – परम्परा, पूजा और व्रत की पूरी जानकारी
जब करवा चौथ, एक प्रमुख हिन्दू उपवास है जो विवाहित महिलाएँ अपने पति की लम्बी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं, भी जाना जाता है तो इसका अर्थ सिर्फ एक दिन का व्रत नहीं होता; यह पारिवारिक बंधन को सुदृढ़ करने का मौसम है। Also known as व्रत उत्सव, यह त्यौहार संपूर्ण भारत में अलग‑अलग रीति‑रिवाज़ों के साथ मनाया जाता है, पर मुख्य आशय हमेशा वही रहता है – पति की सुरक्षा और परिवार की खुशहाली।
इस दिन की शुरुआत सूर्यभात, प्रभात में सूर्य भगवान को अर्पित जल, अहरी और फल‑फूल की पूजा से होती है। महिलाओं को पहले हल्का नाश्ता लेना होता है, फिर साफ जल से स्नान कर स्नान‑कुंकुम (कुंकुम) लगाते हैं। सूर्यभात के बाद, व्रत, पूरा दिन बिना खाए‑पीए रहना, केवल साँझ को सतरी (संतरी) और फिर प्रसाद के साथ उपवास तोड़ना मुख्य रीति है। इस व्रत में प्रतिबद्धता की शक्ति होती है – यह न केवल शारीरिक तपस्या है, बल्कि आध्यात्मिक अनुशासन का भी प्रतीक है।
व्रत के दौरान, महिलाएँ अक्सर संतरी, सूर्यास्त के समय पति को अर्पित करने वाली मीठी फल‑फूल की थाली तैयार करती हैं। संतरी में आम, पपीता, अंजीर, और नारियल की कटरियां शामिल रहती हैं, जिन्हें धर्मिक मान्यताओं के अनुसार पति को शक्ति और ऊर्जा प्रदान करने के लिये अर्पित किया जाता है। साथ ही, कुंकुम, भांग‑सिंदूर से बना लाल पेस्ट, जो शादियों और पूजा‑पाठ में शुभ माना जाता है को माथे पर लगाना, विवाहित जीवन में प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
करवा चौथ के सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
करवा चौथ सिर्फ निजी पूजा नहीं, यह सामाजिक जुड़ाव का भी अवसर है। गांव‑शहर में महिलाएँ एकत्रित होकर रात्रि भोज, गीत‑संगीत और गुप्त कथा‑विचार साझा करती हैं। इस दौर में परिवारिक एकता को नई ऊर्जा मिलती है, क्योंकि सब मिलकर व्रत की कहानियों, नियमों और सावधानियों पर चर्चा करते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो व्रत के दौरान हल्का जल‑आहार शरीर को डिटॉक्सिफ़ाई करता है, जबकि शाम को मिलते संतरी और प्रसाद ऊर्जा पुनः भरते हैं।
इन सब बातों को मिलाकर देखें तो करवा चौथ संध्या‑संध्या के रिवाज़, व्रत और प्रार्थना का मिश्रण है, यह जीवन के विभिन्न पहलुओं को जोड़ने वाला एक पुल है। अब आप नीचे दी गई सूची में विभिन्न लेखों और खबरों के माध्यम से इस त्योहार की नई-नई जानकारी, अद्यतित कार्यक्रम, और उपयोगी टिप्स देख सकते हैं। आगे के लेखों में आपको व्रत के स्वास्थ्य लाभ, रात्रि पूजा की प्रक्रियाएँ, और करवा चौथ के विभिन्न क्षेत्रीय रीति‑रिवाज़ों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी। चलिए, इस उत्सव की दुनिया में और गहराई से प्रवेश करते हैं।
10 अक्तूबर 2025
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