ममेरे रस्म क्या है? समझें इसका इतिहास और महत्व
ममेरे रस्म अक्सर गांव‑शहर की शादी‑समारोह में देखी जाती है। यह रिवाज दूल्हा‑दुल्हन के रिश्ते को आधिकारिक तौर पर मान्य करने का एक तरीका है। पुराने समय में यह परिवारों के बीच विश्वास बढ़ाने और सामाजिक बंधन मजबूत करने के लिए किया जाता था। आज भी कई लोग इसे अपने संस्कृति का हिस्सा मानते हैं और बड़े उत्साह से मनाते हैं।
जब दो परिवार एक-दूसरे को मिलने का निर्णय लेते हैं, तो ममेरे रस्म के दौरान दोनों पक्ष के बुजुर्ग एक साथ बैठकर मुहावरे‑बोलते हैं, मिठाइयाँ बांटते हैं और छोटी‑छोटी वादे लेते हैं। इस रस्म में अक्सर हल्दी, फूल और मिठाई जैसे आइटम शामिल होते हैं।
ममेरे रस्म के प्रमुख चरण
1. निवेदन – दूल्हा के परिवार का प्रमुख व्यक्ति दुल्हन के परिवार को आमंत्रित करता है। यह आम तौर पर एक छोटी मीटिंग में होता है जहाँ दोनों पक्ष एक-दूसरे को जानने का मौका पाते हैं।
2. रिवाज़ी शब्द – परिवार के बड़े लोग परम्परागत वाक्यांशों का प्रयोग करके एक-दूसरे को स्वीकारते हैं। जैसे “हमारी दुल्हन का हाथ आपके हाथों में","आपका बंधन हमारी खुशी है" आदि।
3. मिठाई‑वाटर – मिठाइयाँ, फल और पान की प्रसाद बाँटी जाती है। यह सुख‑समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। अक्सर हल्दी या ब्राउन शुगर के साथ पानी भी दिया जाता है, जिससे नई शुरुआत का संकेत मिलता है।
4. धार्मिक आशीर्वाद – कुछ परिवार मंदिर, गीता पढ़ते हैं या पंडित से आशीर्वाद लेते हैं। यह चरण रस्म को आध्यात्मिक स्तर पर जोड़ता है।
आधुनिक समय में ममेरे रस्म को कैसे मनाएँ
आजकल लोग समय की कमी और व्यस्त जीवनशैली के कारण रस्म को छोटा और सरल रखना चाहते हैं। आप छोटे पैकेज में मिठाइयाँ, फ़ोटो एल्बम और एक छोटा वीडियो संदेश तैयार कर सकते हैं। ये चीज़ें ऑनलाइन भी सेंड की जा सकती हैं, जिससे दूरी वाले रिश्तेदार भी भाग ले सकें।
यदि आप इस रस्म को डिजिटल बनाना चाहते हैं, तो एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर सभी को आमंत्रित करें। प्रत्येक परिवार के प्रतिनिधि अपनी आवाज़ में स्वागत शब्द रिकॉर्ड कर सकते हैं और उसे ग्रुप में शेयर कर सकते हैं। इससे व्यक्तिगत टच बना रहता है, लेकिन समय बच जाता है।
भोजन में भी छोटे‑छोटे परिवर्तन किए जा सकते हैं। पारंपरिक मिठाई की जगह आप कुकीज़, बिस्कुट या हेल्दी स्नैक्स रख सकते हैं। अगर आप शाकाहारी हैं तो सभी व्यंजन उसी अनुसार तैयार कर सकते हैं।
रिवाज़ी शब्दों को थोड़ा आधुनिक बनाएं, जैसे “आपके साथ हमारा बंधन अब और भी मजबूत होगा” या “हमारी नई शुरुआत आपके समर्थन से होगी”। इससे रस्म का भाव बना रहता है लेकिन आवाज़ आज के माहौल से मिलती है।
अंत में, इस रस्म को यादगार बनाने के लिए एक छोटा फोटो‑सेशन रखें। सभी एक साथ फोटो ले सकते हैं और इसे सोशल मीडिया पर शेयर करके सभी को खुशियों का हिस्सा बना सकते हैं। इस तरह ममेरे रस्म न सिर्फ़ परम्परा रखती है, बल्कि नई पीढ़ी के लिए भी ख़ुशी का कारण बनती है।
तो अगली बार जब आप ममेरे रस्म की योजना बनाएं, तो पारंपरिक और आधुनिक दोनों पहलुओं को मिलाकर एक संतुलित, सरल और दिल से जुड़े समारोह का आनंद लें।
4 जुलाई 2024
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ममेरे रस्म एक पारंपरिक गुजराती प्री-वेडिंग अनुष्ठान है जिसे अंबानी परिवार ने अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के विवाह के पूर्व मनाया है। इस रस्म में दुल्हन के मामा उसे उपहार देते हैं, जिसमें साड़ियाँ, गहने और मिठाइयाँ शामिल हैं। यह रस्म सिर्फ उपहारों से नहीं, बल्कि पीढ़ियों के बीच प्रेम, समर्थन और आशिर्वाद का प्रतीक भी है।
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