सैन्य सम्मान – भारत के सैनिकों के लिये गर्व का प्रतीक

जब हम सेना की तारीफ़ करते हैं, तो अक्सर उनका सम्मान भी साथ में सुनते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सम्मान किन‑किन रूपों में होते हैं? यहाँ हम भारत के मुख्य सैन्य पुरस्कारों, उनके इतिहास और कब‑कैसे इन्हें मिलता है, इसपर आसान भाषा में बात करेंगे।

सबसे प्रतिष्ठित पदक कौन‑से हैं?

भारत में पाँच बड़े वैरता पदक हैं – विजय पताक, शराबी पताक, परमवीर चक्र, आजादिया पदक और शत्रु जीत पदक. इनमें से परमवीर चक्र सबसे अनन्य माना जाता है; इसे केवल अति वीरता दिखाने वाले सैनिकों को दिया जाता है। विजय पताक और शराबी पताक भी वीरता के लिए होते हैं, पर उनके मानदंड थोड़ा कम कठोर होते हैं।

इनके अलावा आत्मा स मान, विक्रम स मान आदि पुरस्कार भी हैं, जो विशेष सेवाओं या लंबे समय तक उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये दिया जाता है। अधिकांश लोग इनको ‘सैन्य सम्मान’ का हिस्सा मानते हैं क्योंकि ये सैनिकों की कड़ी मेहनत का जश्न होते हैं।

इन पुरस्कारों को कैसे मिलता है?

सैनिकों को इन पदकों के लिये रोज़गार या युद्ध‑की स्थिति में असाधारण साहस दिखाना पड़ता है। उनके कमांडर या उच्च अधिकारी रिपोर्ट बनाते हैं, फिर एक विशेष समिति इसे देखती है। अगर सभी मानदंड पूरे होते हैं, तो राष्ट्रपति द्वारा आधिकारिक घोषणा की जाती है और सम्मान समारोह में पदक दिया जाता है।

ध्यान दें, ये सिर्फ लड़ाई में ही नहीं, बल्कि घातक परिस्थितियों में बचाव, दुश्मन के कब्जे में लोगों की मदद, या राष्ट्रीय आपदा में साहसिक कार्य करने पर भी दिया जा सकता है। कई बार डॉक्टर, इंजीनियर, या महिला सैनिकों को भी ये पुरस्कार मिलते हैं, जब उन्होंने अपने काम में असाधारण बहादुरी दिखायी हो।एक और दिलचस्प पहलू है ‘पदक बाद में रिटायरमेंट तक रखे जाते हैं’ – इसका मतलब है कि कई बार सैनिक पदक अपने साथ लेकर अपनी जिंदगी भर चलते हैं, और उनके परिवारों को भी यह सम्मान मिल जाता है।

**सैन्य सम्मान** के बारे में सबसे ज़्यादा पूछे जाने वाले सवालों में से एक है – क्या नागरिक भी इन्हें ले सकते हैं? जवाब है हाँ, यदि किसी नागरिक ने सेना के साथ मिलकर सिमिट्रिक मिशन में काम किया हो या राष्ट्रीय सुरक्षा में अहम योगदान दिया हो, तो उन्हें भी इन पुरस्कारों से सम्मानित किया जा सकता है।

सरकार हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को प्रमुख सैन्य सम्मान समारोह आयोजित करती है। इस मौके पर पुरस्कार विजेताओं की कहानियाँ मीडिया में आती हैं, जिससे आम जनता को उनकी कुर्बानी की समझ मिलती है।

अगर आप या आपका कोई जानकार इन पुरस्कारों के लिये पात्र समझता है, तो उसके कमांडर को लिखित प्रस्ताव भेजें। सही दस्तावेज़, साक्ष्य और सिफ़ारिश के साथ आपका नाम जाँच के बाद सूची में आ सकता है।

आगे चलकर, इन सम्मान-व्यवस्थाओं को और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में सरकार कई कदम उठा रही है, जैसे कि डिजिटल एप्लिकेशन पोर्टल और त्वरित समीक्षा प्रक्रिया। इससे योग्य सैनिकों को जल्द‑से‑जल्द मान्यता मिल सकेगी।

समाप्ति में, सैन्य सम्मान केवल एक धातु का टुकड़ा नहीं, बल्कि देशभक्ति, साहस और कर्तव्य भावना की कहानी है। इसे समझना और सराहना करना हर नागरिक का फर्ज है।

CRPF जवान की सड़क हादसे में मौत: चंदौली के गांव में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई

10 अगस्त 2025 · 0 टिप्पणि

CRPF जवान की सड़क हादसे में मौत: चंदौली के गांव में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई

जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में सड़क हादसे में शहीद हुए CRPF जवान का पार्थिव शरीर उत्तर प्रदेश के चंदौली लाया गया। पूरे गांव ने उनके बलिदान को सैन्य सम्मान के साथ नम आंखों से विदाई दी। हादसे में तीन जवान शहीद हुए और दस घायल बताए गए।

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