इज़राइल-हेज़बोल्ला संघर्ष में वृद्धि: लेबनान हवाई हमलों में सैकड़ों की मौत

इज़राइल-हेज़बोल्ला संघर्ष में वृद्धि: लेबनान हवाई हमलों में सैकड़ों की मौत

24 सितंबर 2024 · 11 टिप्पणि

इज़राइल-हेज़बोल्ला संघर्ष में भारी वृद्धि

इज़राइल और हेज़बोल्ला के बीच चल रहे संघर्ष में हाल ही में भारी वृद्धि देखी गई है, जिसमें इज़राइल ने लेबनान के विभिन्न क्षेत्रों में कई हवाई हमले किए हैं। इन हमलों में जाने-माने नागरिक क्षेत्र प्रभावित हुए हैं, जिससे व्यापक स्तर पर हानि हुई है। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मृतकों की संख्या बढ़कर 492 हो गई है, जिनमें बच्चे, महिलाएं और आपातकालीन सेवा कर्मी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, 1,500 से अधिक लोग इन हमलों में घायल हुए हैं। गंभीर रूप से घायल लोगों की संख्या बढ़ने की संभावना है, जिससे स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है।

हेज़बोल्ला के ठिकानों पर हमले

इज़राइली सेना ने बताया कि उसने पिछले 24 घंटों में लेबनान में लगभग 1,300 हेज़बोल्ला ठिकानों पर 650 से अधिक हमले किए हैं। इन हमलों ने हेज़बोल्ला की गतिविधियों और उसके ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। भारी गोलाबारी और बमबारी के चलते लेबनान के कई शहर और गाँव व्यापक तवाही के शिकार हुए हैं। कई जगहों पर नागरिक ढांचों को भी बुरी तरह से क्षति पहुँची है, जिससे आम जनता को भारी दुःख सहना पड़ रहा है।

लेबनान की राजधानी बेरूत और उसके आसपास के क्षेत्रों में भी हवाई हमलों का प्रकोप देखा गया है, जहां कई रिहायशी इलाकों में बमबारी की गई है। इन हमलों में सबसे अधिक नुकसान नागरिकों को हुआ है, जिनमें बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। आपातकालीन सेवाओं पर भी इस संघर्ष का भारी असर पड़ा है, जिससे बचाव और राहत कार्यों में भी मुश्किलें आ रही हैं।

नागरिकों की सुरक्षा पर संकट

इस संघर्ष के चलते लेबनान में रहने वाले नागरिकों की सुरक्षा पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। लोग अपने घरों तक में सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे हैं। कई लोगों ने अपना घर और परिवार छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना शुरू कर दिया है। इसी के साथ, स्थानिक प्रशासन और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की ओर से सुरक्षात्मक और राहतकार्यों के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन हालात इतने खरतनाक हैं कि इन प्रयासों को अंजाम देने में भारी कठिनाईयां आ रही हैं।

राष्ट्रपति मिशेल औन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह स्थिति की गंभीरता को समझे और तत्काल कदम उठाए ताकि लेबनान के नागरिकों की जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने इस संघर्ष को रोकने के लिए शांति वार्ताओं की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।

भविष्य की अनिश्चितता

भविष्य की अनिश्चितता

इस संघर्ष की अनिश्चिततता के चलते आने वाले दिनों में स्थिति और भी विकट हो सकती है। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो हानि की डरावनी तस्वीर और बद्तर हो सकती है। दोनों पक्षों के बीच शांति वार्ताएं और मध्यस्थता की आशा अब भी मौजूद है, जिससे संघर्ष को रोका जा सके और सामान्य जीवन को बहाल किया जा सके।

इसी के साथ, नागरिकों के मन में भय और असुरक्षा की भावना तीव्र है। स्कूल, कॉलेज और दैनिक व्यवसाय ठप पड़े हुए हैं। लोगों को रोजमर्रा की आवश्यकताओं को पूरी करने में भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

संयुक्त राष्ट्र और अन्य संस्थाओं की भूमिका

संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका भी इस संकट में महत्वपूर्ण हो सकती है। उन्होंने लगातार अपील की है कि दोनों पक्ष हिंसा को तुरंत रोकें और बातचीत के माध्यम से समस्या का समाधान खोजें। कई मानवाधिकार संगठनों ने भी इस हिंसा की कड़ी निंदा की है और युद्धविराम की मांग की है। उन्होंने नागरिकों की सुरक्षा और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए तुरंत कदम उठाने पर जोर दिया है।

अंततः, इस संघर्ष में पीड़ित हर नागरिक को मानवीय सहायता और सुरक्षित जीवन की उम्मीद है, जिसकी पूर्ति में अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और सहयोग आवश्यक है।

Ankit Sharma
Ankit Sharma

मैं नवदैनिक समाचार पत्र में पत्रकार हूं और मुख्यतः भारत के दैनिक समाचारों पर लेख लिखता हूं। मेरा लेखन सुचिता और प्रामाणिकता के लिए जाना जाता है।

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11 टिप्पणि
  • Sumeet M.
    Sumeet M.
    सितंबर 24, 2024 AT 11:27

    इज़राइल ने बस अपना काम किया है! हेज़बोल्ला ने दशकों से भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया है-अब जब वो अपने घर में आग लग रही है, तो दुनिया रो रही है? ये नाटक बंद करो! ये जिस तरह से बच्चों को शहीद बनाते हैं, वो खुद उन्हें हथियार देते हैं! जिसने घर बनाया, उसी को धोखा देना है! इज़राइल को समर्थन चाहिए, न कि निंदा! और अगर तुम लेबनान के नागरिकों की चिंता करते हो, तो पहले हेज़बोल्ला को बंद करो! ये सब नाटक है, बस नाटक!

  • Kisna Patil
    Kisna Patil
    सितंबर 24, 2024 AT 22:15

    इस तरह के हमलों में बच्चे, महिलाएं, डॉक्टर, नर्स-सब बराबर शहीद हो रहे हैं। ये कोई युद्ध नहीं, ये तो नरसंहार है। कोई भी तर्क नहीं बचता जब घरों को उड़ा दिया जाए, जब अस्पतालों पर बम गिरे, जब बच्चों के खिलौने धूल में मिल जाएं। हम जो देख रहे हैं, वो केवल खबरें नहीं, वो इंसानी आत्माओं का रोना है। और अगर ये अभी भी किसी के लिए 'नीति' है, तो उसकी इंसानियत खो चुकी है।

  • ASHOK BANJARA
    ASHOK BANJARA
    सितंबर 26, 2024 AT 02:38

    यह संघर्ष एक जटिल इतिहास का परिणाम है-1948 का नक्शा, 1982 का इज़राइली आक्रमण, 2006 का युद्ध, और आज का अत्याचार। हेज़बोल्ला एक आतंकवादी संगठन नहीं, बल्कि एक राजनीतिक-सैन्य बल है जिसे लेबनान के कई लोग समर्थन देते हैं। इज़राइल का यह विनाशकारी जवाब भी एक रणनीति है, लेकिन ये रणनीति नागरिकों को निशाना बनाती है, जो अंततः न्याय की बजाय घृणा को जन्म देती है। शांति का रास्ता बमों से नहीं, बल्कि बातचीत से है। और ये बातचीत तभी संभव है जब हम दोनों पक्षों की आत्मा को समझें।

  • Sahil Kapila
    Sahil Kapila
    सितंबर 26, 2024 AT 17:57

    अरे भाई ये सब लोग बस अपने घर में बैठकर दुनिया को बता रहे हैं कि क्या करना चाहिए अब तो देखो ना इज़राइल के पास अपना देश बचाने का हक है ना हेज़बोल्ला के पास अपनी जमीन बचाने का हक है लेकिन जब तुम बम फेंकते हो तो बच्चे भी मर जाते हैं और जब तुम गोली मारते हो तो बच्चे भी मर जाते हैं तो फिर अंतर क्या है अरे भाई ये तो सब एक ही बात है और अगर तुम्हें लगता है कि तुम बेहतर हो तो तुम अपने घर में बैठकर दुनिया को बता रहे हो लेकिन जब तुम वहां जाओगे तो तुम भी डर जाओगे

  • Rajveer Singh
    Rajveer Singh
    सितंबर 28, 2024 AT 17:34

    हेज़बोल्ला एक आतंकवादी आंदोलन है जिसे ईरान ने बनाया है और अब इज़राइल उसके घोंसले को उखाड़ रहा है। तुम जो बच्चों की बात कर रहे हो, वो बच्चे उन्हीं के घर में पले हैं जिन्होंने उन्हें बम बनाने का सिखाया है। इज़राइल को अपनी सीमाएं बचाने का अधिकार है। अगर तुम यहां शांति चाहते हो, तो पहले हेज़बोल्ला को बंद कर दो। ये नागरिकों का दुख नहीं, ये आतंकवाद का दुख है। और जो इज़राइल को निंदा कर रहे हैं, वो खुद आतंकवाद के समर्थक हैं।

  • Ankit Meshram
    Ankit Meshram
    सितंबर 29, 2024 AT 15:05

    इज़राइल कर रहा है जो उसे करना है। लेकिन ये भी सच है कि बच्चे मर रहे हैं।

  • Shaik Rafi
    Shaik Rafi
    अक्तूबर 1, 2024 AT 14:42

    इस संघर्ष के पीछे का इतिहास इतना गहरा है कि एक लाइन में समझना असंभव है। हेज़बोल्ला ने लेबनान के लोगों के बीच एक भावना जगाई है-जिसे लोग अपनी सुरक्षा का एक रूप मानते हैं। इज़राइल का अपना भी भय है-एक छोटा देश, घिरा हुआ, लगातार खतरे में। दोनों तरफ नरक है। लेकिन शांति तभी संभव है जब हम इन भयों को समझें, न कि उन्हें नकारें। बम फेंकने से नहीं, बल्कि बातचीत से ही एक नया नक्शा बन सकता है। और ये बातचीत तभी संभव है जब हम अपने अहंकार को छोड़ दें।

  • Ashmeet Kaur
    Ashmeet Kaur
    अक्तूबर 2, 2024 AT 17:06

    मैं भारत से हूं, और यहां हम भी अपने इतिहास में विभाजन, युद्ध, और नरसंहार देख चुके हैं। इस तरह के दुख को बाहर से समझना आसान है, लेकिन अंदर से जीना असंभव। इज़राइल और हेज़बोल्ला दोनों के लोग भी मानव हैं-उनके बच्चे भी रोते हैं, उनके माता-पिता भी डरते हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह नहीं समझना चाहिए कि कौन अच्छा है और कौन बुरा, बल्कि यह देखना चाहिए कि कैसे इस दुख को रोका जा सकता है। हम अपने घर में भी शांति के लिए लड़ते हैं, तो दूसरों के लिए भी वही आशा रखनी चाहिए।

  • Nirmal Kumar
    Nirmal Kumar
    अक्तूबर 3, 2024 AT 15:47

    हेज़बोल्ला के ठिकानों पर हमले और नागरिकों की मौत-ये दोनों एक साथ हो रहे हैं। इज़राइल का दावा है कि वो सैन्य लक्ष्यों को ही निशाना बना रहा है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षणों के अनुसार, अधिकांश बम नागरिक क्षेत्रों पर गिरे हैं। यह नियमित रूप से अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन है। अगर हम यह कहते हैं कि 'सुरक्षा के लिए युद्ध जरूरी है', तो हम खुद उसी न्याय को तोड़ रहे हैं जिसकी हम रक्षा कर रहे हैं। शांति के लिए न्याय चाहिए, न कि बल।

  • Sharmila Majumdar
    Sharmila Majumdar
    अक्तूबर 4, 2024 AT 01:14

    तुम सब बस बातें कर रहे हो लेकिन क्या तुमने कभी सोचा कि हेज़बोल्ला ने लेबनान के गांवों में अपने बच्चों को शिक्षा देने के बजाय हथियार चलाना सिखाया है और इज़राइल ने अपने बच्चों को स्कूल में रखा है लेकिन अब वो भी बम फेंकने के लिए तैयार हैं तो फिर किसकी गलती है अगर तुम बच्चों की बात कर रहे हो तो तुम्हें ये भी देखना चाहिए कि ये बच्चे किसके लिए मर रहे हैं और किसके लिए जी रहे हैं और ये सब तुम्हारी बातों से नहीं बदलेगा बल्कि तुम्हारी नींद से बदलेगा

  • amrit arora
    amrit arora
    अक्तूबर 5, 2024 AT 00:01

    यह संघर्ष एक अनंत चक्र है-हिंसा का जन्म हिंसा से होता है, और हिंसा का बचाव फिर हिंसा से होता है। इज़राइल के लिए अपनी सुरक्षा एक अस्तित्व का प्रश्न है। हेज़बोल्ला के लिए यह एक राष्ट्रीय अहंकार और धार्मिक दायित्व का प्रश्न है। लेकिन इस चक्र को तोड़ने के लिए किसी एक पक्ष का विजयी बनना नहीं, बल्कि दोनों पक्षों की आत्मा का बदलना जरूरी है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अब तक बातचीत के बजाय बम भेजे हैं। शांति के लिए बातचीत नहीं, बल्कि विश्वास की जरूरत है। और विश्वास का निर्माण तभी हो सकता है जब हम अपने दुश्मन को इंसान मानें। नहीं तो यह चक्र कभी नहीं टूटेगा।

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