पेरिस ओलंपिक 2024: भारतीय शेड्यूल, तिथियां, इवेंट टाइम और लाइव स्ट्रीमिंग जानकारी
2024 में पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए तैयारी जोरों पर हैं। भारत के 112 एथलीट इस आयोजन में 16 खेलों में 69 पदक इवेंट्स में अपनी किस्मत आजमाएंगे। ये ओलंपिक खेल 26 जुलाई से 11 अगस्त 2024 तक चलेंगे। भारतीय टीम के लिए तीरंदाजी के व्यक्तिगत रैंकिंग राउंड के साथ शुरुआत होगी, जो 25 जुलाई को होगी।
इस बार के ओलंपिक में भारतीय टीम का नेतृत्व कुछ प्रमुख खिलाड़ियों द्वारा किया जाएगा। तीरंदाजी में, हमारी टीम में कई मेधावी खिलाड़ी शामिल हैं। 27 जुलाई को भारतीय शूटिंग टीम की पहली पदक संभावना होगी, जिसमें मनु भाकर के नेतृत्व में मिक्स टीम 10 मीटर एयर राइफल इवेंट होगा।
प्रमुख भारतीय खिलाड़ी
नेरज चोपड़ा, जिन्होंने पिछली बार स्वर्ण पदक जीता था, इस बार भी पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में भाग लेंगे। वहीं, बैडमिंटन में पीवी सिंधु और वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू से भी काफी उम्मीदें हैं। ये खिलाड़ी कई मर्तबा देश को गर्वित कर चुके हैं और लोगों की नज़रें इन पर रहेंगी।
हालांकि, यह साफ़ है कि भारतीय दल के लिए प्रतिस्पर्धा तीव्र होगी, लेकिन उनकी तैयारियों पर भरपूर ध्यान दिया जा रहा है। ओलंपिक का यह मंच न केवल व्यक्तिगत एथलीटों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।
लाइव स्ट्रीमिंग और टेलीविजन ब्रॉडकास्ट
भारतीय दर्शकों के लिए पेरिस ओलंपिक 2024 के सभी इवेंट्स का लाइव स्ट्रीमिंग जियो सिनेमा और स्पोर्ट्स 18 चैनलों पर देखा जा सकता है। यह सुनिश्चित किया गया है कि भारतीय दर्शक अपने पसंदीदा खिलाड़ियों के प्रदर्शन को मिस ना करें। इसके अलावा, विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्म्स पर भी इन इवेंट्स की कवरेज उपलब्ध होगी।
यह आयोजन खेल प्रेमियों के लिए बेहद खास होने वाला है। पिछले ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया था और इस बार उनसे और भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। तो चलिए, तैयार हो जाइए, अपने खिलाड़ियों का समर्थन करने के लिए और इस खेल महोत्सव का हिस्सा बनने के लिए।
जय हिंद! भारत की टीम के लिए बहुत शुभकामनाएं!
इस बार के ओलंपिक में भारत के लिए बस एक पदक नहीं, एक ऐतिहासिक मोड़ चाहिए। तीरंदाजी में निशानेबाज़ी का जो जुनून है, वो केवल एक खेल नहीं, बल्कि एक दर्शन है। ये खिलाड़ी न सिर्फ़ धनुष चलाते हैं, बल्कि देश की आत्मा को भी लक्ष्य पर लगाते हैं। और फिर नेरज चोपड़ा-एक ऐसा नाम जो भारतीय खेलों के इतिहास में सोने के अक्षरों से लिखा जाएगा। क्या आपने कभी सोचा है कि एक भाला फेंकने के लिए कितने साल की अनुशासन, कितनी रातें अकेले ट्रेनिंग के लिए बिताई गईं? ये खिलाड़ी नहीं, देश के असली नायक हैं। और फिर वो बैडमिंटन की पीवी सिंधु-एक ऐसी महिला जिसने एक छोटे से शहर से दुनिया के शीर्ष पर अपना नाम दर्ज कर दिया। लेकिन अगर हम असली बात करें तो, ये सब तो सिर्फ़ टेलीविजन के लिए बनी हुई नाटकीयता है। हमारे राष्ट्रीय खेल नीति के पीछे क्या है? क्या हम इन खिलाड़ियों के लिए एक टिकाऊ ढांचा बना रहे हैं या सिर्फ़ इवेंट्स के दिनों में उनकी तारीफ़ कर रहे हैं? इस बार का ओलंपिक हमें बस गर्व दिलाने के लिए नहीं, बल्कि सोचने के लिए भी आयोजित किया गया है।
हमारे खिलाड़ियों को बस एक गोल्ड मिलना है तो भी ये देश जिंदा है! जब तक ये लोग खेलते हैं, तब तक हमारा अहंकार जिंदा है। ये जियो सिनेमा पर देखने की बात कर रहे हैं? अरे भाई, अगर तुम्हारे घर में टीवी नहीं है तो तुम जाकर गली में बैठकर देखो! ये खेल हमारे खून में हैं!
मैंने गुरुवार को तीरंदाजी के रैंकिंग राउंड का रिकॉर्ड देखा-हमारे खिलाड़ियों ने वैश्विक स्तर पर बेहद स्थिर प्रदर्शन किया। खासकर अनुराग शर्मा ने जो शूट किया, वो असली क्लास था। लाइव स्ट्रीम के लिए जियो सिनेमा और स्पोर्ट्स 18 बहुत अच्छे विकल्प हैं, लेकिन अगर आपको लगता है कि ये अकेले पर्याप्त हैं, तो आप भूल रहे हैं-डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भी एक्सेस है, और उन पर अक्सर एक्स्ट्रा कमेंट्री और बैकग्राउंड स्टोरीज़ भी मिल जाती हैं। अगर आप अपने बच्चों को खेलों की दुनिया में ले जाना चाहते हैं, तो इन रिसोर्सेज़ का इस्तेमाल करें। ये बस एक खेल नहीं, ये एक शिक्षा है।
मुझे लगता है कि ओलंपिक का मतलब सिर्फ़ पदक नहीं है। ये एक ऐसा अवसर है जहाँ दुनिया एक होती है। भारत के खिलाड़ी जो भी खेल खेल रहे हैं, वो अपनी जड़ों के साथ दुनिया के सामने अपना संस्कृति लाए हैं। मैं तो हर एथलीट के लिए शुभकामनाएं भेजता हूँ-चाहे वो पदक जीते या न जीते। ये लोग जो दिनभर अपने शरीर को तनाव में रखते हैं, वो अपने आप में जीत गए हैं। हमारी समाज में अक्सर ये भूल जाते हैं कि जीत का अर्थ सिर्फ़ ट्रॉफी नहीं है। ये खिलाड़ी हमें सिखाते हैं कि लगन, अनुशासन और समर्पण का क्या मतलब होता है। और अगर हम इन बातों को अपने जीवन में लाएं, तो ये ओलंपिक हमारे लिए बहुत ज्यादा कुछ हो जाएगा।
आप सब तो बस तीरंदाजी और भाला फेंक पर बात कर रहे हैं, लेकिन क्या किसी ने नोटिस किया कि भारत ने इस बार क्रिकेट नहीं भेजा? ये एक बड़ा निर्णय है। ये दिखाता है कि हम अब अलग खेलों पर ध्यान दे रहे हैं। अब तक हमारी नीति तो बस क्रिकेट के चक्कर में घूम रही थी। इस बार तो असली बदलाव आया है। अगर हम वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाना चाहते हैं, तो हमें अपने खेलों की विविधता को समझना होगा। ये एक ऐतिहासिक बदलाव है।
क्या हमने कभी सोचा है कि एक एथलीट के लिए एक दिन कैसा होता है? वो अपने घर से निकलता है, जब आकाश अभी भी अंधेरा होता है। वो बिना नाश्ते के ट्रेनिंग ग्राउंड पर पहुंचता है। वो अपने दर्द को दबाकर दौड़ता है, फिर भी खुद को दोबारा ले आता है। और फिर वो घर लौटता है, जब दुनिया सो चुकी होती है। क्या हम इन लोगों के लिए इतना कुछ करते हैं? हम उनकी तारीफ़ करते हैं, लेकिन क्या हम उनके लिए एक ऐसा वातावरण बनाते हैं जहां वो बिना डर के खेल सकें? ये ओलंपिक एक बड़ा मंच है, लेकिन असली लड़ाई तो वहां होती है जहां एथलीट के लिए एक स्वस्थ खेल नीति नहीं है। जब तक हम इस बात को नहीं समझेंगे, तब तक हमारे खिलाड़ी बस देश के लिए नहीं, बल्कि अपने आप के लिए लड़ रहे होंगे।
भारतीय टीम के प्रदर्शन के लिए वैश्विक रैंकिंग में 87वां स्थान है। अगर आप गोल्ड मेडल की उम्मीद कर रहे हैं, तो आपको इस रियलिटी को स्वीकार करना होगा। शूटिंग और तीरंदाजी में तो हम अच्छे हैं, लेकिन एथलेटिक्स में हमारा बेसलाइन अभी भी गरीब है। वेटलिफ्टिंग में मीराबाई का ट्रेनिंग प्रोग्राम बेहतर है, लेकिन उनके पास अभी भी एक नियमित डायटिशियन नहीं है। ये सब निर्माण नहीं, बल्कि बजट निर्धारण का मुद्दा है। और जियो सिनेमा पर स्ट्रीमिंग? ये तो बस एक ब्रांडिंग ट्रिक है। किसी ने कभी लैटेंसी टेस्ट किया है? अगर आप इंडिया के छोटे शहरों में हैं, तो आपको ये स्ट्रीमिंग बिल्कुल भी नहीं चलेगी।
मैं तो बस ये कहना चाहती हूँ कि जब मैंने नेरज चोपड़ा का वीडियो देखा, तो मेरी आँखें भर आईं। मैंने अपने पिता को याद कर लिया, जो खुद एक छोटे से गांव से आए थे और हमेशा कहते थे कि खेल ही जीवन है। मैं उन्हें अभी भी याद करती हूँ। इस बार भारत के लिए बस एक पदक चाहिए, लेकिन मैं चाहती हूँ कि हम सब इन खिलाड़ियों को अपने दिल से चाहें।
पदक की उम्मीद नहीं है। बस एक बार फिर जोर लगाने की बात है।
मैंने इस बार तीरंदाजी के रैंकिंग राउंड के लिए एक छोटा सा लाइव ट्रैकर बनाया है। अगर कोई चाहे तो मैं लिंक शेयर कर सकता हूँ। ये बस एक छोटा सा तरीका है जिससे हम अपने खिलाड़ियों का समर्थन कर सकते हैं।
क्या आप जानते हैं कि भारतीय तीरंदाजों ने 2020 टोक्यो ओलंपिक के बाद से वैश्विक स्तर पर 12 बार विश्व कप जीता है? ये एक बड़ी उपलब्धि है। लेकिन इसके बावजूद, हमारे मीडिया में इसकी चर्चा नहीं होती। ये एक बड़ा अनुचित विकृति है।
अगर आप अपने बच्चों को खेलों में लगाना चाहते हैं, तो उन्हें बस गोल्ड मेडल के बारे में नहीं, बल्कि खेल के मजे के बारे में बताएं। खेल जीवन का एक हिस्सा है, न कि बस एक बहस।