सरकार ने मनमोहन सिंह के स्मारक की योजना शुरू की, राष्ट्र स्मृति स्थल को प्राथमिकता दी

सरकार ने मनमोहन सिंह के स्मारक की योजना शुरू की, राष्ट्र स्मृति स्थल को प्राथमिकता दी

27 सितंबर 2025 · 14 टिप्पणि

स्मारक निर्माण की विस्तृत प्रक्रिया

भारत सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह (92) के निधन के बाद, उनके सम्मान में स्मारक बनाने के चरणभंगुर कार्य को औपचारिक रूप से आरंभ किया है। गृह एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने पहले विस्तृत सर्वेक्षण किया, तथा उच्च‑स्तरीय बैठकों के बाद तीन संभावित स्थलों को शॉर्टलिस्ट किया। इनमें राजघाट के पास, किसान घाट और सबसे प्रमुख रूप से यमुना किनारे स्थित राष्ट्र स्मृति स्थल शामिल हैं। इन जगहों में 1 से 1.5 एकड़ जमीन के भीतर स्मारक निर्मित किया जा सकता है।

राष्ट्र स्मृति स्थल के दो नजदीकी भू‑खंड, प्रत्येक लगभग 10,000 वर्ग फुट के, विशेष रूप से चुने गए हैं। ये क्षेत्र पूर्व राष्ट्रपति ज़ैल सिंह, शंकर दयाल शर्मा, चंद्र शेखर, इ.के. गुजाराल और पी.वी. नरसिम्हा राव जैसे नेताओं के स्मारकों के पास स्थित हैं, जिससे एक समेकित स्मृति‑पार्क का रूप लेगा। सी.पी.डब्ल्यू.डी. के अधिकारियों और मुख्य वास्तुकारों ने इन जगहों की माप‑जाँच, स्थल‑विवरण एवं लागत अनुमान पर गहन चर्चा की है।

परिवार को इन संभावित स्थानों का दौरा करने के बाद अंतिम निर्णय लेना होगा। परिवार के चयन के बाद, जमीन को आधिकारिक तौर पर एक पंजीकृत ट्रस्ट को आवंटित किया जाएगा। ट्रस्ट स्मारक के निर्माण और निरंतर रख‑रखाव दोनों की जिम्मेदारी लेगा। सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया में एक‑दो सप्ताह का समय लग सकता है, बशर्ते परिवार की सहमति शीघ्र मिल जाए।

राजनीतिक विवाद और परिवार की भूमिका

राजनीतिक विवाद और परिवार की भूमिका

डॉ. मनमोहन सिंह के अंतराल पर सरकार ने निचले स्तर की पूजा‑अर्चना निघामबोध घाट में कराई, जिससे विपक्षी दलों ने प्रोटोकॉल में चूक का अहवाल दिया। कांग्रेस ने कहा कि सरकार ने उन्हें ऐसे स्थल पर अन्त्येष्टि का अधिकार नहीं दिया जहाँ स्मारक बन सके। वहीं बीजेपी ने इसे "सस्ती राजनीति" करार दिया। इस बीच, सरकार ने स्पष्ट किया कि सभी निर्णय परिवार के साथ मिलकर किए जा रहे हैं, ताकि उनके भावनात्मक जुड़ाव को ध्यान में रखकर ही स्मारक की योजना बनायी जाए।

परिवार के भरोसे को मजबूत करने के लिये, सरकार ने यह भी कहा कि ट्रस्ट की स्थापना के बाद, सी.पी.डब्ल्यू.डी. के साथ एक मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) साइन किया जाएगा, जिससे निर्माण कार्य में पारदर्शिता और समयबद्धता दोनों बनी रहेगी। यह कदम न केवल स्मारक की भौतिक संरचना बल्कि उसके भविष्य में रख‑रखाव और सार्वजनिक पहुंच को भी सुनिश्चित करेगा।

डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्हें भारत के आर्थिक सुधारों का मुख्य वास्तुकार माना जाता है, की स्मृति को सुरक्षित रखने के लिए यह पहल सरकारी और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

Ankit Sharma
Ankit Sharma

मैं नवदैनिक समाचार पत्र में पत्रकार हूं और मुख्यतः भारत के दैनिक समाचारों पर लेख लिखता हूं। मेरा लेखन सुचिता और प्रामाणिकता के लिए जाना जाता है।

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14 टिप्पणि
  • Sahil Kapila
    Sahil Kapila
    सितंबर 28, 2025 AT 10:22

    ये सब नाटक है भाई। जब जी रहे थे तो उनकी आवाज़ को कोई नहीं सुनता था, अब मर गए तो स्मारक बनाने की तैयारी। राष्ट्र स्मृति स्थल का नाम लेकर किसी को भी धोखा नहीं दिया जा सकता

  • Rajveer Singh
    Rajveer Singh
    सितंबर 28, 2025 AT 13:12

    इन लोगों को सम्मान देने के लिए राष्ट्र स्मृति स्थल पर जाकर गुलाब चढ़ाना चाहिए न कि राजनीति का खेल खेलना। डॉ मनमोहन सिंह ने भारत को आर्थिक रूप से वैश्विक मंच पर खड़ा किया था और अब उनकी याद में एक ऐसा स्मारक बनाया जा रहा है जो भारत के इतिहास को सम्मान देगा

  • Ankit Meshram
    Ankit Meshram
    सितंबर 29, 2025 AT 18:12

    बहुत अच्छा।

  • Shaik Rafi
    Shaik Rafi
    सितंबर 29, 2025 AT 22:28

    स्मारक बस एक पत्थर या इमारत नहीं होता, ये तो एक भावना होती है। जब एक व्यक्ति ने अपनी जिंदगी में देश के लिए बिना किसी व्यक्तिगत लाभ के काम किया, तो उसकी याद को स्थायी बनाना हमारा कर्तव्य है। लेकिन ये सब नाटक जो हो रहा है, ये उस भावना को नहीं बढ़ाता, बल्कि उसे घटाता है

  • Ashmeet Kaur
    Ashmeet Kaur
    सितंबर 30, 2025 AT 23:34

    मैंने राजघाट और यमुना किनारे के स्थलों के बारे में पढ़ा था। वहाँ का वातावरण शांत है, लोग आते हैं, बैठते हैं, सोचते हैं। अगर यहाँ स्मारक बनेगा तो ये न सिर्फ एक स्मृति स्थल होगा बल्कि एक जगह जहाँ नई पीढ़ी देश के इतिहास को समझ पाएगी

  • Nirmal Kumar
    Nirmal Kumar
    अक्तूबर 2, 2025 AT 13:31

    मुझे लगता है कि सरकार ने बहुत सही फैसला किया है। राष्ट्र स्मृति स्थल के पास बनाना इतिहास को जोड़ने का तरीका है। एक दिन बच्चे यहाँ आएंगे और पूछेंगे कि ये आदमी कौन था। और उसकी कहानी सुनकर वो समझेंगे कि देश का विकास कैसे हुआ

  • Sharmila Majumdar
    Sharmila Majumdar
    अक्तूबर 2, 2025 AT 14:02

    परिवार को निर्णय लेने दो तो बहुत अच्छा है, लेकिन इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि ये स्मारक बस एक दिन के लिए नहीं बन रहा, ये अगले 100 सालों तक रहेगा। इसलिए निर्माण की गुणवत्ता, सामग्री, और रखरखाव की योजना बहुत अहम है। अगर ये बनकर भी एक साल बाद टूटने लगा तो फिर क्या होगा?

  • amrit arora
    amrit arora
    अक्तूबर 4, 2025 AT 08:06

    मैं समझता हूँ कि ये सब राजनीति के बीच हो रहा है, लेकिन अगर हम इसे एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अवसर के रूप में देखें तो ये एक बहुत बड़ा मौका है। डॉ. मनमोहन सिंह ने जो आर्थिक नीतियाँ बनाईं, वो आज भी जीवित हैं। इसलिए उनका स्मारक बस एक स्थान नहीं, बल्कि एक सिद्धांत होना चाहिए - जहाँ विचार, शांति, और विकास का प्रतीक बने। इसलिए ये स्मारक बनाते समय एक शांत वातावरण बनाना जरूरी है, जहाँ लोग अपने विचारों को जमा कर सकें

  • Ambica Sharma
    Ambica Sharma
    अक्तूबर 4, 2025 AT 16:41

    मुझे इतना दुख हो रहा है कि उनकी याद को इतना राजनीतिक बना दिया जा रहा है। मैं उनकी आवाज़ को याद करती हूँ, जब वो बोलते थे तो लगता था जैसे देश की आत्मा बोल रही हो। अब ये सब शो है। बस एक फोटो खिंचवाने के लिए ये सब हो रहा है।

  • Hitender Tanwar
    Hitender Tanwar
    अक्तूबर 5, 2025 AT 09:26

    अरे भाई, ये सब नाटक है। जब वो जी रहे थे तो उनकी नीतियों के खिलाफ लोग आंदोलन करते थे, अब मर गए तो उनका स्मारक बनाने की बात। असली सम्मान तो उनकी नीतियों को जारी रखने में है, न कि एक पत्थर लगाने में

  • pritish jain
    pritish jain
    अक्तूबर 6, 2025 AT 03:28

    राष्ट्र स्मृति स्थल के पास बनाने का निर्णय ऐतिहासिक निरंतरता का प्रतीक है। ज़ैल सिंह से लेकर पी.वी. नरसिम्हा राव तक के नेताओं के स्मारक एक साथ उपस्थित होने से भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का एक अनूठा दृश्य बनता है। यह एक शिक्षात्मक स्थल बन सकता है जहाँ नागरिक अपने देश के नेताओं की विरासत को समझ सकें।

  • Gowtham Smith
    Gowtham Smith
    अक्तूबर 7, 2025 AT 07:46

    इस स्मारक के लिए बजट का विश्लेषण करें। ये कितना खर्चा होगा? वो पैसा अगर शिक्षा या स्वास्थ्य पर खर्च किया जाता तो लाखों लोगों की जिंदगी बदल जाती। ये स्मारक एक बड़ा स्टेटस सिम्बल है, जिसे सामाजिक असमानता के बीच बनाना निर्मम है।

  • Shivateja Telukuntla
    Shivateja Telukuntla
    अक्तूबर 9, 2025 AT 03:25

    मैं इस बात से सहमत हूँ कि ये स्मारक बनाने का निर्णय सही है। बस ये ध्यान रखें कि ये जगह जनता के लिए खुली रहे। अगर इसे बंद कर दिया जाए या टिकट लगा दिया जाए तो ये स्मारक बस एक निशान बन जाएगा, न कि एक जीवित स्मृति।

  • Ravi Kumar
    Ravi Kumar
    अक्तूबर 9, 2025 AT 14:32

    मैं अपने दादा के साथ राजघाट गया था। उन्होंने बताया कि ये जगह न सिर्फ एक स्मारक है, बल्कि एक जगह है जहाँ आत्मा शांत होती है। डॉ. मनमोहन सिंह के लिए यही जगह सही है। उनकी शांति, उनकी विनम्रता - ये सब यमुना के किनारे के साथ बेहतरीन तरीके से मेल खाती है। ये स्मारक बस एक जगह नहीं, ये एक भावना होगा।

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