स्मारक निर्माण की विस्तृत प्रक्रिया
भारत सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह (92) के निधन के बाद, उनके सम्मान में स्मारक बनाने के चरणभंगुर कार्य को औपचारिक रूप से आरंभ किया है। गृह एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने पहले विस्तृत सर्वेक्षण किया, तथा उच्च‑स्तरीय बैठकों के बाद तीन संभावित स्थलों को शॉर्टलिस्ट किया। इनमें राजघाट के पास, किसान घाट और सबसे प्रमुख रूप से यमुना किनारे स्थित राष्ट्र स्मृति स्थल शामिल हैं। इन जगहों में 1 से 1.5 एकड़ जमीन के भीतर स्मारक निर्मित किया जा सकता है।
राष्ट्र स्मृति स्थल के दो नजदीकी भू‑खंड, प्रत्येक लगभग 10,000 वर्ग फुट के, विशेष रूप से चुने गए हैं। ये क्षेत्र पूर्व राष्ट्रपति ज़ैल सिंह, शंकर दयाल शर्मा, चंद्र शेखर, इ.के. गुजाराल और पी.वी. नरसिम्हा राव जैसे नेताओं के स्मारकों के पास स्थित हैं, जिससे एक समेकित स्मृति‑पार्क का रूप लेगा। सी.पी.डब्ल्यू.डी. के अधिकारियों और मुख्य वास्तुकारों ने इन जगहों की माप‑जाँच, स्थल‑विवरण एवं लागत अनुमान पर गहन चर्चा की है।
परिवार को इन संभावित स्थानों का दौरा करने के बाद अंतिम निर्णय लेना होगा। परिवार के चयन के बाद, जमीन को आधिकारिक तौर पर एक पंजीकृत ट्रस्ट को आवंटित किया जाएगा। ट्रस्ट स्मारक के निर्माण और निरंतर रख‑रखाव दोनों की जिम्मेदारी लेगा। सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया में एक‑दो सप्ताह का समय लग सकता है, बशर्ते परिवार की सहमति शीघ्र मिल जाए।

राजनीतिक विवाद और परिवार की भूमिका
डॉ. मनमोहन सिंह के अंतराल पर सरकार ने निचले स्तर की पूजा‑अर्चना निघामबोध घाट में कराई, जिससे विपक्षी दलों ने प्रोटोकॉल में चूक का अहवाल दिया। कांग्रेस ने कहा कि सरकार ने उन्हें ऐसे स्थल पर अन्त्येष्टि का अधिकार नहीं दिया जहाँ स्मारक बन सके। वहीं बीजेपी ने इसे "सस्ती राजनीति" करार दिया। इस बीच, सरकार ने स्पष्ट किया कि सभी निर्णय परिवार के साथ मिलकर किए जा रहे हैं, ताकि उनके भावनात्मक जुड़ाव को ध्यान में रखकर ही स्मारक की योजना बनायी जाए।
परिवार के भरोसे को मजबूत करने के लिये, सरकार ने यह भी कहा कि ट्रस्ट की स्थापना के बाद, सी.पी.डब्ल्यू.डी. के साथ एक मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) साइन किया जाएगा, जिससे निर्माण कार्य में पारदर्शिता और समयबद्धता दोनों बनी रहेगी। यह कदम न केवल स्मारक की भौतिक संरचना बल्कि उसके भविष्य में रख‑रखाव और सार्वजनिक पहुंच को भी सुनिश्चित करेगा।
डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्हें भारत के आर्थिक सुधारों का मुख्य वास्तुकार माना जाता है, की स्मृति को सुरक्षित रखने के लिए यह पहल सरकारी और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण मानी जा रही है।