कांग्रेस सांसद किशोरीलाल शर्मा ने राहुल गांधी के उस बयान का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ ऑनलाइन ट्रोलिंग की निंदा की थी। राहुल गांधी ने एक कार्यक्रम में खुलकर कहा था कि किसी को अपमानित और अपशब्द कहकर हमला करना कमजोरी का प्रतीक है, न कि ताकत का। उन्होंने जोर देकर कहा था कि हार-जीत तो जीवन का हिस्सा है और यह उनकी मूल्यों के खिलाफ है कि किसी पर बुरी भाषा का प्रयोग किया जाए।
किशोरीलाल शर्मा, जो उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित अमेठी सीट से हाल ही में संपन्न 2024 लोकसभा चुनाव में जीते थे, ने राहुल गांधी के इसी भावना को साझा किया। शर्मा ने कहा, ‘हमारे राजनीतिक समीकरण चाहे जैसे भी हों, यह महत्वपूर्ण है कि हम एक-दूसरे का सम्मान करें और घृणा फैलाने वाले बयान ना दें।’
राहुल गांधी का समर्थन
राहुल गांधी ने अपने बयान में स्मृति ईरानी के खिलाफ हुए ट्रोलिंग पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा कि किसी के व्यक्तिगत सम्मान पर हमला करना गलत है और यह दिखाता है कि समाज में किस प्रकार की मानसिकता फल-फूल रही है।
गौरतलब है कि स्मृति ईरानी ने 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट से हार का सामना किया था। उन्हें कांग्रेस के किशोरीलाल शर्मा ने पराजित किया था। शर्मा ने 5,39,228 वोट प्राप्त किए जबकि ईरानी को 3,72,032 वोट मिले थे। इस बड़े अंतर ने चुनावी समीकरणों को पूरी तरह से हिला दिया था। स्वयं को आश्वस्त रखने वाली स्मृति ईरानी ने अपनी हार को स्वीकार करते हुए विजेताओं को बधाई दी और अपने समर्थकों का धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने वादा किया कि वे अमेठी के लोगों के लिए काम करती रहेंगी।
ट्विटर पर प्रतिक्रिया
स्मृति ईरानी की हार के बाद ट्विटर पर कई टिप्पणियां आईं। इनमें से कुछ टिप्पणियां अपमानजनक थीं और ईरानी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया था। राहुल गांधी ने इन टिप्पणियों का न केवल विरोध किया, बल्कि इसे समाज की कमजोरी का प्रतीक बताया।
राहुल गांधी ने कहा कि एक मजबूत समाज वह होता है जहां हार-जीत को समझदारी और सम्मान के साथ स्वीकार किया जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें अपने विपक्षियों का भी सम्मान करना चाहिए और एक-दूसरे के प्रयासों की सराहना करनी चाहिए।
राजनीतिक संयम का उदाहरण
किशोरीलाल शर्मा का यह बयान राजनीतिक संयम और आदर की एक मिसाल है। शर्मा ने कहा कि राजनीति का मतलब केवल पद और प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि जनता की सेवा करना भी है। उन्होंने राहुल गांधी के बयान की सराहना की और कहा कि ऐसे वक्तव्य लोगों के दिलों में राजनीति के प्रति विश्वास को और मजबूत करते हैं।
शर्मा ने आगे कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि राजनीति के मैदान में हार और जीत अटल सत्य हैं, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह प्रक्रिया गरिमा और सम्मान के साथ पूरी हो। जब तक हम अपने राजनीतिक विरोधियों का सम्मान नहीं करेंगे, तब तक हम सही मायनों में लोकतंत्र को मजबूत नहीं कर सकते।’
अंततः बदलती राजनीति
यह राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है जब नेताओं ने अपने विरोधियों के प्रति भी सम्मान दिखाना शुरू किया है। किशोरीलाल शर्मा और राहुल गांधी का यह दृष्टिकोण न केवल राजनीति की दिशा को बदलेगा, बल्कि लोगों के दिलों में भी एक सकारात्मक बदलाव लाएगा।
किशोरीलाल शर्मा की जीत और उनके द्वारा अपनाई गई यह नीति निश्चित रूप से एक नई राजनीति का संकेत है जो गरिमा, सम्मान और परस्पर सहानुभूति पर आधारित है। यह राजनीतिक परिदृश्य की दिशा को बदलने का एक महत्वपूर्ण अवसर है और इसे जनता और नेताओं दोनों को समझने की आवश्यकता है।
ये बात सच है कि राजनीति में हार-जीत तो होती ही है लेकिन अपमान करना कभी भी ठीक नहीं। अगर हम एक-दूसरे का सम्मान नहीं करेंगे तो लोकतंत्र का क्या मतलब?
राहुल गांधी के बयान पर तो बहुत लोग अपनी आंखें बंद कर लेते हैं, लेकिन इस बार वो बिल्कुल सही थे। आजकल की राजनीति में जो लोग ट्रोलिंग को बुद्धिमत्ता का निशान समझते हैं, वो अपनी ही अज्ञानता को निखार रहे हैं। एक सभ्य समाज में विचारों का विरोध होता है, लेकिन व्यक्ति के खिलाफ नहीं। ये बात बहुत कम लोग समझ पाते हैं।
मैंने देखा है कि जब कोई नेता हार जाता है, तो उसके खिलाफ जो टिप्पणियां आती हैं, वो बस नफरत का एक अभिव्यक्ति होती हैं। ये नफरत नहीं, बल्कि बुद्धि होनी चाहिए।
किशोरीलाल शर्मा के बयान में एक नई ऊर्जा है। ये वो तरह का नेतृत्व है जिसकी आजकल भारत को जरूरत है। वो न सिर्फ जीते हैं, बल्कि जीत के बाद भी विनम्र रहे।
अमेठी के चुनाव के बाद जितनी घृणास्पद टिप्पणियां आईं, उनमें से कई तो ऐसी थीं जो किसी भी शिक्षित व्यक्ति के लिए शर्म की बात हैं।
क्या ये हमारी राजनीति की असली ताकत है? या हम सिर्फ एक दर्जन ट्वीट्स के लिए अपनी मानवता बेच रहे हैं?
मैं नहीं चाहता कि मेरा बच्चा बड़ा होकर सोचे कि राजनीति का मतलब अपमान करना है।
हमें अपने बच्चों को ये सिखाना होगा कि विपक्षी नहीं, बल्कि विचार अलग हो सकते हैं।
ये बयान बस एक बयान नहीं, ये एक नया मानक है।
जब तक हम ट्रोलिंग को सामान्य नहीं मानेंगे, तब तक ये राजनीति कभी बदलेगी नहीं।
राहुल गांधी ने जो कहा, वो एक नेता की बात थी। और शर्मा ने जो जवाब दिया, वो एक नेता का व्यवहार था।
इस तरह के दृष्टिकोण को बढ़ावा देना हम सबकी जिम्मेदारी है।
क्या हम इस बात को समझ पाएंगे? या फिर हम अपनी नफरत को आत्मसात कर लेंगे?
अच्छा हुआ कि किशोरीलाल शर्मा ने ये बात कह दी। लोगों को याद दिलाना जरूरी है कि ट्रोलिंग ताकत नहीं, कमजोरी है।
मैंने अमेठी के चुनाव के बाद कुछ ट्वीट्स देखे थे... उनमें से कुछ तो बहुत बुरे थे। लेकिन अब ये बयान देखकर लगा कि अभी भी कुछ लोग अच्छे रह गए हैं।
राहुल गांधी के बयान का मतलब ये नहीं कि ट्रोलिंग बंद हो जाएगी लेकिन ये बताता है कि किस दिशा में जाना चाहिए
हमें अपने विरोधियों के खिलाफ भी सच्चाई बोलनी चाहिए लेकिन बिना अपमान के
शर्मा का बयान अच्छा लगा
अरे ये सब बकवास है! राहुल गांधी को अपनी नौकरी छूटने का दर्द दिखाने के लिए ये बयान दिया है! जब उसकी पार्टी ने देश को बर्बाद किया तो कोई ट्रोलिंग नहीं हुई? अब जब हार गया तो रोने लगा! ट्रोलिंग तो बस लोगों की आवाज़ है! तुम लोगों की ये नरम बातें किसके लिए हैं? भारत के लिए नहीं, अपनी पार्टी के लिए हैं! जो लोग अमेठी में वोट देने गए थे वो जानते थे कि ईरानी क्या बकवास कर रही थी! उसकी नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाना अपराध है? ये बयान देखकर लगता है कि कांग्रेस का दिमाग अभी भी 1990 के दशक में है!
इस बयान को देखकर लगा जैसे एक गहरी सांस ली गई हो।
आजकल हर बात को लड़ाई बना दिया जाता है।
लेकिन जब कोई नेता अपने विरोधी के लिए भी इंसानियत बरकरार रखता है, तो वो बस एक नेता नहीं, एक नेता है।
किशोरीलाल शर्मा ने जीत के बाद भी अपनी जीत को अहंकार नहीं बनाया।
ये जो बयान दिया, वो एक दिल की बात है।
राहुल गांधी ने जो कहा, वो भी दिल से था।
हम लोग इसे बस एक ट्वीट की तरह समझ लेते हैं।
लेकिन ये वो चीज़ है जो भारत को बदल सकती है।
एक बार ये बात दिल में बैठ जाए, तो राजनीति बदल जाएगी।
मैं इस बात के लिए आभारी हूँ।
इस बयान में एक गहरा दार्शनिक संदेश है।
राजनीति का मूल आधार तो लोगों की सेवा है, न कि उनका अपमान।
जब हम विपक्षी के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं, तो हम उसके विचारों को नहीं, बल्कि उसकी मानवता को नकार रहे होते हैं।
ये बात बहुत पुरानी है, लेकिन आज के दौर में बहुत नई लगती है।
स्मृति ईरानी ने हार मान ली, और उन्होंने विजेता को बधाई दी।
ये भी एक बड़ी बात है।
लेकिन जब उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां आईं, तो राहुल गांधी ने उन्हें बचाने की कोशिश की।
ये नेतृत्व है।
जब तक हम ये समझ नहीं लेंगे कि विचारों का विरोध करना और व्यक्ति का अपमान करना दो अलग चीजें हैं, तब तक हमारी राजनीति बर्बर रहेगी।
ये बयान एक नया आधार है।
अगर हम इसे नज़रअंदाज़ कर देंगे, तो हम अपने भविष्य को बर्बाद कर रहे हैं।
ये सब बकवास है भाई लोगों को इतना फिलॉसफी समझाने की जरूरत नहीं
जो लोग ट्रोल कर रहे थे वो सिर्फ ईरानी के विचारों के खिलाफ थे
राहुल गांधी को अपनी पार्टी के लिए बचाव करना है तो ये बयान दे दो
लेकिन ये बात नहीं कि ट्रोलिंग गलत है
अगर तुम्हारा विचार बुरा है तो तुम्हें ट्रोल होना ही चाहिए
हर नेता को इतना नरम बनाने की जरूरत नहीं
भारत में तो जोरदार बोलने वाले ही चलते हैं
ये बयान बस एक नेता का फेक इमेज है
मैं तो उन लोगों को सलाम करता हूं जो ईरानी के खिलाफ बोले
वो तो असली आवाज़ हैं
राहुल गांधी को अपनी बेकार की नीतियों का बचाव करने के लिए ये बयान दिया है और शर्मा ने उसका जवाब दिया ताकि वो अपने आप को अच्छा दिखाए
अमेठी में जो लोग वोट दिए वो जानते थे कि ईरानी ने देश को क्या नुकसान पहुंचाया है
ट्रोलिंग का मतलब है लोगों की आवाज़
अगर तुम्हारा विचार बुरा है तो तुम्हें अपमानित होना चाहिए
ये बयान लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश है
हम लोग नहीं भूलेंगे कि कांग्रेस ने देश को क्या किया
राहुल गांधी को अपने जीवन के बारे में सोचना चाहिए न कि दूसरों के बारे में
इस तरह के बयान से भारत बेहतर नहीं होगा
हमें ताकतवर नेता चाहिए न कि रोने वाले नेता
ये बयान सच है।