पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का दिन 14: उम्मीदें और संघर्ष
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय दल के लिए दिन 14 एक महत्वपूर्ण दिन साबित हो सकता है। देशवासियों की नजरें अब अमन सेहरावत पर टिकी हैं, जिन्होंने सेमीफाइनल में जापान के रेई हीगुची से हारने के बाद अब कांस्य पदक के लिए अपनी ताकत आजमाएंगे। अमन सेहरावत ने रवि दहिया की जगह 57 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती स्पर्धा में कदम रखा और अब उनका सामना पूर्टो रिको के डेरियन टॉय क्रूज से होगा। अमन के कोच और प्रशंसक उनकी इस प्रतिस्पर्धा के लिए बेहद उत्साहित हैं, क्योंकि उनकी जीत से भारत की पदक तालिका में एक और पदक जुड़ सकता है।
गोल्फ में महिलाओं का प्रदर्शन
गोल्फ स्पर्धाओं में अदिति अशोक और दीक्षा डागर दिन 14 के दौरान महिला इंडिविजुअल राउंड 3 में हिस्सा लेंगी। दोनों गोल्फर 1 अंडर पार के साथ अब तक के प्रदर्शन में जुटी हैं, लेकिन उन्हें आगे भी मजबूत खेल दिखाना होगा ताकि वे प्रतिस्पर्धा में बनी रहें। अदिति और दीक्षा दोनों ही पिछले ओलंपिक्स से बहुत कुछ सीख चुकी हैं, और उन्हें अपनी मजबूत मानसिकता और तकनीकी दक्षता पर भरोसा है। इसके अलावा, उनके कोच और टीम उनके स्वास्थ्य और फिटनेस के प्रति पूरी तरह सचेत है, ताकि वे अपनी श्रेष्ठता बनाए रख सकें।
रिले हीट्स में भारतीय टीम
रिले स्पर्धाओं में भारत की 4x400 मीटर पुरुष और महिला रिले टीमें हीट्स में अपना जोर आजमाएंगी। इन हीट्स में उनका मकसद फाइनल में जगह बनाना होगा। भारतीय एथलीटों ने पिछले कुछ महीनों में अपनी फिटनेस और प्रशिक्षण पर बहुत ध्यान दिया है, और अब समय आ गया है कि वे अपने परिश्रम का फल प्राप्त करें। भारतीय रिले टीम की ताकत उनकी टीम वर्क और समन्वय में है, जबकि उनके व्यक्तिगत कौशल भी किसी से कम नहीं हैं।
अन्य महत्वपूर्ण स्पर्धाएं और उम्मीदें
इसके अलावा, दिन 14 में रिदमिक जिम्नास्टिक्स, मैराथन स्विमिंग, टेबल टेनिस और फुटबॉल की भी प्रमुख स्पर्धाएं होंगी। इनमें भारतीय खिलाड़ियों की मेहनत और तैयारियों का नतीजा देखने को मिलेगा। खास तौर पर महिलाओं की 4x100 मीटर रिले फाइनल में भी भारत की टीम का मुकाबला बेहद रोमांचक रहेगा।
ओलंपिक जैसे महोत्सवों में भारतीय दल की दिलचस्पीदारी हमेशा ही उत्साहवर्धक रहती है और इस बार भी भारत की उम्मीदें और संघर्ष जारी हैं। प्रशंसकों और खेल प्रेमियों के लिए इन स्पर्धाओं का हर एक मुमेंट गर्व और उत्साह से भरा होगा। दिन 14 के अंत तक क्या भारत अपनी पदक तालिका में और वृद्धि कर सकेगा, यह देखना आत्मविभोर कर देने वाला अनुभव होगा।
अमन सेहरावत का सेमीफाइनल खेल देखकर लगा जैसे कोई फिल्म का क्लाइमैक्स हो रहा हो। उसकी रफ्तार और तकनीक देखकर लगा भारत की कुश्ती की नई पीढ़ी आ गई है। अब कांस्य के लिए जो लड़ेगा वो भी उसी तरह लड़ेगा। कोच की तैयारी और खिलाड़ी की लगन दोनों का असर दिख रहा है। इस तरह के खिलाड़ी ही भारत को ओलंपिक्स में ऊपर ले जाएंगे।
अमन के खिलाफ टॉय क्रूज ने जो बेकार की बातें कीं वो सब झूठ है!! भारतीय कुश्ती दुनिया की सबसे ताकतवर है और ये लोग अपनी नाक के नीचे जीत नहीं पाते!! अदिति और दीक्षा को भी गोल्फ में स्वर्ण चाहिए!! नहीं तो ये खेल भारत के लिए बेकार हैं!! और रिले टीम अगर फाइनल में नहीं जाएगी तो उनके कोच को निकाल देना चाहिए!!
अमन के लिए ये सिर्फ एक पदक नहीं है। ये एक पीढ़ी की उम्मीद है। उसने जो लड़ाई लड़ी है, वो एक युवा भारत की आत्मा है। अदिति और दीक्षा के गोल्फ के लिए भी यही बात लागू होती है। वो बस खेल नहीं खेल रहीं, वो अपनी जड़ों को दुनिया के सामने दिखा रही हैं। रिले टीम की टीमवर्क देखकर लगता है कि भारत के अंदर एक नया भाव जाग रहा है। ये खिलाड़ी अब बस खिलाड़ी नहीं, वो देश के लिए जी रहे हैं।
इस ओलंपिक में भारत के खिलाड़ियों की दिलचस्पी उनकी तकनीक से ज्यादा उनके अंदर के विश्वास से बढ़ रही है। अमन सेहरावत के लिए जीत या हार दोनों ही एक नए दृष्टिकोण का आरंभ है। गोल्फ में अदिति और दीक्षा ने दिखाया कि तकनीक के साथ मानसिक शक्ति का कितना महत्व है। रिले टीम की समन्वय क्षमता भारतीय शिक्षा के उस अंश को दर्शाती है जो बस बुक्स तक सीमित नहीं है। ये सब एक संस्कृति का उदय है।
क्या आपने देखा कि अमन ने जब जीत के बाद उसने अपना हेलमेट उतारा तो उसके बाल बिल्कुल नम थे? वो नहीं जानता था कि वो जीत रहा है या हार रहा है। और गोल्फ में अदिति के शॉट में जो गलती हुई वो नहीं बताई गई लेकिन मैंने देखा कि उसके शूज़ में एक छोटी सी धूल थी जिसने उसका बैलेंस बिगाड़ दिया। रिले टीम के एक खिलाड़ी के बाल भी अच्छे से बांधे नहीं थे और ये तो बहुत बड़ी गलती है। अगर भारत को पदक चाहिए तो इन छोटी चीजों पर ध्यान देना होगा
हमारे खिलाड़ियों को अभी तक इतना भरोसा नहीं दिया गया। अगर हमने 1983 के क्रिकेट विश्वकप जैसा विश्वास दिया होता तो आज भारत टॉप 5 में होता। अमन का ये पदक सिर्फ एक जीत नहीं, ये एक विद्रोह है। ये वो बिंदु है जहां भारतीय खिलाड़ी अपने आप को दुनिया के सामने खड़ा कर रहा है। गोल्फ और रिले टीम के लिए भी यही बात है। अगर ये जीत नहीं पाए तो ये देश की निराशा है। ये नहीं हो सकता।
अमन जीत गया।