प्रधानमंत्री मोदी का दिवाली सेलिब्रेशन: भारत-पाक सीमा पर जवानों के साथ विशेष समय

प्रधानमंत्री मोदी का दिवाली सेलिब्रेशन: भारत-पाक सीमा पर जवानों के साथ विशेष समय

1 नवंबर 2024 · 17 टिप्पणि

प्रधानमंत्री मोदी का दिवाली के अवसर पर खास कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सशस्त्र बलों के साथ दिवाली मनाने का यह वार्षिक आयोजन कई मायनों में अहम है। गुरुवार को, उन्होंने गुजरात के कच्छ में स्थित भारत-पाक सीमा के पास बीएसएफ, सेना, नौसेना और वायुसेना के जवानों के साथ विशेष समय बिताया। यह उत्सव प्रधानमंत्री की हमारे जवानों के प्रति कृतज्ञता और राष्ट्र सुरक्षा के प्रति उनके संकल्प का प्रतीक है। प्रधानमंत्री के इस कदम से जवानों के मनोबल में वृद्धि होती है और वे यह महसूस करते हैं कि देश उनके सर्वोच्च बलिदानों और सेवा को महत्व देता है।

दिवाली हर्ष और उल्लास का पर्व

दिवाली, जो कि रोशनी का पर्व है, भारत में अपार उल्लास और समर्पण के साथ मनाया जाता है। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी का आस-पास के जवानों के साथ रहना यह दर्शाता है कि दिवाली केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति का एक अहम हिस्सा है, जिससे हम अपने जांबाज जवानों के बीच जाकर उनकी खुशियों में शामिल हो सकते हैं। इस दिन, प्रधानमंत्री ने अपने आमंत्रण से जवानों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी।

सशस्त्र बलों की सुरक्षा में भूमिका

सशस्त्र बलों की सुरक्षा में भूमिका

सशस्त्र बलों की भूमिका देश की सुरक्षा में अनिवार्य है। सीमाओं की रक्षा और देश की संप्रभुता की संरक्षण के लिए इन बलों का योगदान बेमिसाल है। ऐसे में प्रधानमंत्री का इस दिवाली के मौके पर उनके साथ वक्त बिताना, न केवल एक औपचारिकता है, बल्कि यह सशस्त्र बलों की भूमिका और उनके महत्व को समझने की कोशिश है। देश में हर नागरिक को यह समझना आवश्यक है कि उनके स्वतंत्र और सुरक्षित जीवन के पीछे इन जवानों का ही हाथ है।

त्याग और साहस की प्रशंसा

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर जवानों की साहस और उनके त्याग की विशेष रूप से सराहना की। उन्होंने कहा कि उनके बलिदान और सेवाओं के कारण ही हम सुरक्षित रूप से अपना जीवन जी पाने में सक्षम हैं। प्रधान मंत्री की यह प्रशंसा बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जवानों को उनके कार्य की महत्ता और इसकी आवश्यकता की याद दिलाती है।

सैनिकों के साथ जुड़ाव

सैनिकों के साथ जुड़ाव

प्रधानमंत्री का यह कदम जवानों के साथ राष्ट्र के जुड़ाव को प्रकट करता है। न केवल वह जवानों के साथ दिवाली मनाते हैं, बल्कि उनसे बातचीत भी करते हैं, उनका हाल-चाल पूंछते हैं और उनके मुद्दों को समझते हैं। इससे जवानों को यह महसूस होता है कि देश के प्रथम नागरिक उनके साथ हैं और उनका समर्थन कर रहे हैं।

दिवाली का यह आयोजन मोदी के नेतृत्व में भारत के सशस्त्र बलों के प्रति समर्थन और कृतज्ञता का अभिव्यक्ति है, जो हर बार जवानों में नई ऊर्जा और उम्मीद जगाने का काम करता है। यह केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी और समर्थन का प्रतीक है।

Ankit Sharma
Ankit Sharma

मैं नवदैनिक समाचार पत्र में पत्रकार हूं और मुख्यतः भारत के दैनिक समाचारों पर लेख लिखता हूं। मेरा लेखन सुचिता और प्रामाणिकता के लिए जाना जाता है।

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17 टिप्पणि
  • Ravi Kumar
    Ravi Kumar
    नवंबर 2, 2024 AT 12:13

    भाई ये दिवाली का दृश्य देखकर आँखें भर आईं। जवानों के बीच बैठकर दीया जलाना, लड्डू बांटना, उनके नाम पुकारना - ये कोई स्टेज पर नाटक नहीं, ये तो देश की आत्मा है।

  • rashmi kothalikar
    rashmi kothalikar
    नवंबर 3, 2024 AT 00:18

    इस तरह के कामों से नहीं बदलता देश का भाग्य। पाकिस्तान के साथ लड़ने वाले जवानों को तो असली सम्मान देना है - जम्मू-कश्मीर में अभी भी 300+ जवान लाशें बर्फ में दफन हैं, और वहाँ कोई प्रधानमंत्री नहीं जा रहा।

  • vinoba prinson
    vinoba prinson
    नवंबर 4, 2024 AT 15:45

    अरे भाई, ये सब तो बहुत अच्छा है - प्रधानमंत्री का सीमा पर जाना, दीया जलाना, गीत गाना - पर इसके बाद क्या होता है? क्या जवानों को महीने के 18,000 रुपये मिलते हैं? क्या उनकी बीमारी के लिए ट्रीटमेंट होता है? क्या उनके बच्चों को शिक्षा मिलती है? ये सब तो बस टीवी के लिए एक शो है।

  • Shailendra Thakur
    Shailendra Thakur
    नवंबर 4, 2024 AT 18:14

    देखो ये दिवाली का दृश्य - बर्फ वाली धरती पर जवानों के साथ खड़े होकर एक आदमी दीया जला रहा है। इसमें कोई राजनीति नहीं, कोई शो-बिजनेस नहीं - बस एक इंसान दूसरे इंसान को याद कर रहा है। ये ही असली नेतृत्व है।

  • Muneendra Sharma
    Muneendra Sharma
    नवंबर 6, 2024 AT 01:17

    मैंने अपने चाचा को सीमा पर देखा था - वो दिवाली को एक चिट्ठी लिखते थे, जिसमें लिखा था - 'बेटा, यहाँ बर्फ इतनी है कि दीया जलता नहीं, पर हम बिना दीये भी रोशनी हैं।' आज जब PM वहाँ गए, मुझे लगा - अब वो चिट्ठी किसी को नहीं लिखेंगे।

  • Anand Itagi
    Anand Itagi
    नवंबर 7, 2024 AT 00:23

    ये सब बहुत अच्छा है पर एक बात बताओ क्या जवानों के घरों में बिजली आती है क्या उनकी बीवी ने कभी एक बार बाबा को फोन किया है जब वो दिवाली पर घर नहीं आया ये सब तो बस बातों का खेल है

  • Sumeet M.
    Sumeet M.
    नवंबर 8, 2024 AT 17:54

    ये तो बस फोटो ऑपरेशन है! जब तक तुम लोग नहीं बदलोगे कि जवानों के लिए 100% फैमिली सपोर्ट बनाओगे, तब तक ये सब बकवास है! जो लोग इसे देखकर रोए, वो जानते हैं कि वो रो रहे हैं क्योंकि ये देश उनके बलिदान को नहीं मानता!

  • Kisna Patil
    Kisna Patil
    नवंबर 10, 2024 AT 11:01

    मैं एक सैनिक का बेटा हूँ। मेरे पापा ने 2016 में लद्दाख में अपनी जान दी। उस दिन मैंने सोचा - अब कोई नहीं आएगा। पर आज, जब PM ने दीया जलाया, मुझे लगा - अब कोई नहीं भूलेगा। बस इतना ही चाहिए।

  • ASHOK BANJARA
    ASHOK BANJARA
    नवंबर 10, 2024 AT 20:53

    दिवाली का अर्थ केवल दीयों की रोशनी नहीं है - यह तो अंधेरे के भीतर उस अनमोल आत्मा की ज्योति है जो अपने देश के लिए अपने घर, अपने परिवार, अपने सपनों को त्याग देती है। जवानों के बीच बैठकर बस एक दीया जलाना - यह एक ऐसा अनुष्ठान है जो राष्ट्रीय चेतना को नए सिरे से जगाता है।

  • Sahil Kapila
    Sahil Kapila
    नवंबर 11, 2024 AT 03:13

    ये सब बहुत अच्छा है पर अगर ये दिवाली नहीं होता तो क्या वो जवानों के साथ नहीं जाते ये तो बस टीवी के लिए दिखाने के लिए है अगर वो सच में चाहते होते तो वो हर हफ्ते जाते

  • Rajveer Singh
    Rajveer Singh
    नवंबर 12, 2024 AT 06:18

    पाकिस्तान के बारे में कोई बात नहीं कर रहा जो जवान यहाँ बर्फ में खड़े हैं वो नहीं जानते कि वो बर्फ में क्यों खड़े हैं क्योंकि उनके देश का एक भी नेता उन्हें बताने के लिए नहीं आया अब ये दीया जलाने का नाटक करके क्या बदलेगा

  • Ankit Meshram
    Ankit Meshram
    नवंबर 14, 2024 AT 01:04

    ये दिवाली नहीं। ये देश है।

  • Shaik Rafi
    Shaik Rafi
    नवंबर 15, 2024 AT 01:03

    मैंने एक बार सीमा पर एक जवान के साथ बात की थी। उसने कहा - 'मैं दिवाली पर घर नहीं जा सकता, पर ये दीया जलाने का दृश्य मुझे याद दिलाता है कि मैं अकेला नहीं हूँ।' यही तो सच्चा सम्मान है।

  • Ashmeet Kaur
    Ashmeet Kaur
    नवंबर 17, 2024 AT 00:36

    मैं एक गुजराती हूँ, और मैं जानती हूँ कि दीया का अर्थ क्या है। ये न सिर्फ रोशनी है, बल्कि ये वो आत्मा है जो घर के बाहर भी अपने घर को याद करती है। जवान घर से दूर हैं, पर आज उनका घर भी देश बन गया।

  • Nirmal Kumar
    Nirmal Kumar
    नवंबर 17, 2024 AT 21:50

    ये दिवाली का आयोजन नहीं, ये एक राष्ट्रीय अनुष्ठान है। जब एक देश का सबसे ऊँचा नेता अपने जवानों के साथ बैठता है, तो यह एक संकेत है - कि यह देश अपने बलिदान को नहीं भूलेगा।

  • amrit arora
    amrit arora
    नवंबर 19, 2024 AT 03:55

    यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना है जिसका सामाजिक और राष्ट्रीय आयाम बहुत गहरा है। इस तरह के दृश्यों के माध्यम से न केवल सैनिकों के मनोबल में वृद्धि होती है, बल्कि नागरिकों के मन में भी एक ऐसी भावना जागृत होती है जो राष्ट्र के प्रति आत्मसमर्पण की ओर ले जाती है। यह एक ऐसा नाटक नहीं है जिसे केवल टीवी पर दिखाया जाए, बल्कि यह एक ऐसा अनुभव है जो राष्ट्रीय चेतना को नए आयाम देता है।

  • Sharmila Majumdar
    Sharmila Majumdar
    नवंबर 20, 2024 AT 07:04

    तुम सब इतने भावुक क्यों हो रहे हो? ये तो सिर्फ एक फोटो ऑपरेशन है। जब तक जवानों के लिए बेसिक सुविधाएँ नहीं बनेंगी, तब तक ये सब बकवास है।

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